केंद्र ने राहत पैकेज की घोषण करते समय ट्रांसपोर्ट्स सेक्टर पर नहीं दिया ध्यान, आर्थिक संकट गहराया

punjabkesari.in Wednesday, May 20, 2020 - 04:32 PM (IST)

अमृतसर (वालिया) : केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को फिर से गति देने के लिए विभिन्न सैक्टर्स के लिए आर्थिक राहत पैकेज की घोषण 5 चरणों में की हैं। हालांकि ट्रांसपोर्ट सैक्टर से जुड़े लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार ने राहत पैकेज की घोषण करते वक्त इस सैक्टर का ध्यान नहीं रखा। महामारी के इस मुश्किल दौर में यदि जन-जन तकआवश्यक  और गैर-आवश्यक वस्तुएं पहुंच पा रही हैं तो इसकी वजह ट्रांसपोट्र्स ही हैं।

हालांकि वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह के जाने के कम में केवल 15 से 25 प्रतिशत ट्रक, कंटेनर्स और अन्य वाहन ही लगे हैं, क्योंकि ट्रांसपोर्ट सैक्टर भी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा हैं। आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की मानें तो सरकार ने यदि जल्द ही कोई आर्थिक पैकेज नहीं दिया तो जरूरी माल लाने ले जाने वाले सभी वाहनों के पहिए अपने-आप थम जाएंगे। ऐसा हुआ तो देश में खाद्य पदार्थो से लेकर जीवनक्षक दवाइयों की उपलब्धता पर भी संकट आ जाएगा। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोट्र्स की कोर कमेटी के चेयरमैन व पूर्व प्रधान बल मलकीत सिंह व अन्य सदस्यों ने कहा कि केंद्र ने आर्थिक पैकेज में हमें कुछ नहीं मिला है। 90 लाख ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स कंगाली की हालत में पहुंच चुकेहैं।

उनके पास न अपने स्टाफ को सैलरी देने और न ही कर्ज की किश्त, वाहनों के बीमे (मोटर इंश्योरेैंस) का भुगतान और न ही अन्य शुल्क का भुगतान करने का पैसा है। हर साल परमिट रिन्यू कराने के अलावा रोड टैक्स, मोटर इंश्योरैंस और अन्य टैक्स का भुगतान करना अनिवार्य होता है, जिसकी मियाद 15 मई के आगे बढ़ाने की मांग थी, जिसे अब तक मंजूर नहीं किया गया हैं। अब वाहन चलाना जोखिमभरा हैं। अगर ट्रांसपोट्र्स पर बीमा, टैक्स और कर्ज की ई.एम.आई. पर बीमा, टैक्स और कर्ज की ई.एम.आई. के भुगतान का दबाव बढ़ा तो वे मजबूरीवश अपने वाहनों को चलाना बंद कर देंगे। सरकार को आर्थिक राहत पर जल्द फैसला लेना होगा, क्योंकि दूसरे सैक्टरों को दी गई रियायतों का फायदा नहीं रहेगा। कारखानों में माल बनकर पड़ा रहेगा और यदि उसकी ढुलाई ही नहीं हुई तो वह लोगों तक कैसे पहुंचेगा। 
 


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