आर्म्ज एक्ट के तहत खालिस्तान जिंदाफोर्स के आतंकी को 3 वर्ष की कैद

punjabkesari.in Tuesday, May 22, 2018 - 02:02 PM (IST)

अमृतसर(महेन्द्र): स्थानीय स्टेट स्पैशल आप्रेशन सैल की पुलिस ने खालिस्तान जिंदाफोर्स के कथित आतंकी के खिलाफ देशद्रोह तथा जालसाजी सहित गंभीर आरोप लगाते हुए उसे करीब 9 वर्ष पहले गिरफ्तार करने का दावा किया था, लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान प्रोसिक्यूशन देशद्रोह तथा जालसाजी के बड़े-बड़े लगाए गए आरोपों को साबित करने में पूरी तरह से नाकाम रहा, जबकि आर्म्ज एक्ट के तहत लगे आरोपों को सही मानते हुए स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज एस.एस. धालीवाल की अदालत ने आरोपी कथित आतंकी को 3 वर्ष की कैद और 5 हजार रुपए का जुर्माना किए जाने की सजा सुनाई है।

जम्मू की जेल में बंद है आरोपी बरकत
स्थानीय सैशन कोर्ट में मामले की सुनवाई के चलते आर्मज एक्ट में सजा प्राप्त आरोपी बरकत सिंह इस समय हत्या सहित कई अन्य मामलों में पहले से जम्मू की जेल में बंद है, जिसे सोमवार को जम्मू की जेल से ही यहां की अदालत में लाया गया था। सजा सुनाए जाने के पश्चात उसे जम्मू की जेल में ही वापस भेज दिया गया है।

मामले के हालात
स्थानीय थाना स्टेट स्पैशल आप्रेशन सैल की पुलिस को 21 अक्टूबर 2009 को गुप्त सूचना मिली थी कि गांव गाधीगड़, सतवारी, जम्मू निवासी बरकत सिंह पुत्र राम सिंह, जोकि खालिस्तान जिंदाफोर्स का सक्रिय सदस्य है, पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों में तेजी लाने के लिए कई लोगों से मिल रहा है और इसके सीमा पार आतंकवादियों से संपर्क बने हुए हैं। जो अपनी पहचान बदल बदल कर टैलीकाम कंपनी के रिटेलरों की मिलीभगत से फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर कई मोबाइल कनैक्शन लिए हुए हैं। जो इस समय आपोजिट पिंगलवाड़ा स्थानीय सिटी सैंटर क्षेत्र में अपने किसी साथी से मिलने के लिए आया हुआ है।

इस सूचना के आधार पर इंस्पैक्टर हरिन्द्र पाल सिंह ने अपनी पुलिस पार्टी के साथ बताए गए ठिकाने से आरोपी कथित आतंकी बरकत सिंह को काबू करके उसके कब्जे में से अवैध हथियार, 32 जाली सिमें तथा जाली कागजात भी बरामद करने का दावा किया था। इसके खिलाफ थाना स्टेट स्पैशल आप्रेशन सैल में आर्मज एक्ट की धारा 25-54-59, भादंसं की धारा 419, 420, 468, 471, 120-बी, एक्सप्लोजन एक्ट की धारा 3, 4, 5 तथा अन-लाफुल एक्टीविट्सि (गैर-कानूनी एवं देश विरोधी गतिविधियों) को बढ़ावा देने के आरोप में 21 अक्टूबर 2009 को मुकदमां नंबर 38/2009 दर्ज किया गया था।

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