संगरूर सीट से हर बार बदल जाता है सांसद, आसान नहीं भगवंत मान की लड़ाई

punjabkesari.in Saturday, Feb 09, 2019 - 08:45 AM (IST)

जालंधर(विशेष): पिछले लोकसभा चुनाव दौरान संगरूर लोकसभा सीट से अकाली उम्मीदवार सुखदेव सिंह ढींडसा को 2 लाख 11 हजार 721 मतों से हराने वाले आम आदमी पार्टी के सांसद और पंजाब में पार्टी के अध्यक्ष भगवंत मान के लिए इस सीट पर लोकसभा चुनाव की चुनौती आसान नहीं रहने वाली है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस सीट पर सुरजीत सिंह बरनाला के अलावा लगातार 2 बार कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं जीता है। हालांकि संगरूर लोकसभा हलका ऐतिहासिक तौर पर अकाली दल के प्रभाव वाला हलका रहा है और पार्टी ने 1962 के बाद इस सीट पर हुए 14 चुनावों में से 8 बार जीत हासिल की है। 4 बार कांग्रेस का उम्मीदवार विजयी रहा है जबकि एक बार यह सीट सी.पी.आई. और एक बार आम आदमी पार्टी ने जीती है। सुरजीत सिंह बरनाला की 1996 और 1998 में लगातार 2 चुनावों में हुई जीत के अपवाद को छोड़ दें तो संगरूर के लोग हर बार नए चेहरे को ही मौका देते आए हैं। 

क्यों आसान नहीं है भगवंत मान के लिए चुनौती
2014 के लोकसभा चुनाव दौरान आम आदमी पार्टी ने संगरूर लोकसभा की 9 में से 8 विधानसभा सीटों पर कब्जा किया था लेकिन 2017 आते-आते संगरूर में आम आदमी पार्टी की बढ़त 5 सीटों पर सीमित रह गई जबकि कांग्रेस ने 3 और अकाली दल ने 1 सीट पर बढ़त बना ली। भगवंत मान ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 5 लाख 33 हजार 237 मत हासिल किए थे लेकिन 2017 के लोकसभा चुनावों के दौरान संगरूर में आम आदमी पार्टी को 4 लाख, 7 हजार 259 मत हासिल हुए। दूसरी तरफ कांग्रेस को 2014 में इस सीट पर महज 1 लाख 81 हजार 410 मत हासिल हुए थे लेकिन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 3 लाख 87 हजार 158 मत मिले और पार्टी को इस सीट पर 2 लाख 5 हजार 748 मतों का फायदा हुआ। अकाली दल को भी विधानसभा चुनाव दौरान इस सीट पर 2014 के मुकाबले 38 हजार 629 मतों का फायदा हुआ था। पार्टी को इस सीट पर 2014 में हासिल हुए 3 लाख 21 हजार 516 वोट के मुकाबले 2017 में 3 लाख, 60 हजार 145 वोट मिले। 

इस बार कौन-कौन मैदान में
इस सीट पर सांसद भगवंत मान की उम्मीदवारी पर पार्टी ने अक्तूबर 2018 में ही मोहर लगा दी थी। इसके अलावा इस सीट पर सांसद रह चुके अकाली दल मान के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने भी चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। हालांकि अकाली दल और कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर इस सीट पर उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है लेकिन कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री रजिन्द्र कौर भट्ठल के अलावा 2009 में यहां से सांसद रहे विजइंद्र सिंगला के साथ-साथ केवल सिंह ढिल्लो का नाम भी चर्चा में है। उधर अकाली दल की टिकट पर पिछली बार चुनाव लड़े सुखदेव सिंह ढींडसा द्वारा पार्टी के सारे पदों से इस्तीफा दिए जाने और अपने परिवार में से किसी को चुनाव न लड़ाने के ऐलान के बाद अकाली दल में भी नए चेहरे की खोज शुरू हो गई है। अकाली दल की तरफ से लहरागागा से विधायक परमिन्द्र सिंह ढींडसा को चुनाव लड़वाए जाने की चर्चा थी लेकिन ढींडसा परिवार ने किसी भी सदस्य को चुनाव लड़वाने की बात से इंकार कर दिया। इस बीच अकाली दल अमरगढ़ से पूर्व विधायक और इकबाल सिंह चुंडा, पार्टी के प्रवक्ता विरनजीत सिंह गोल्डी और बलदेव सिंह मान के अलावा गगनजीत सिंह बरनाला या उनके बेटे सिमरप्रताप सिंह के नाम की भी चर्चा है। हालांकि अकाली दल ने इस सीट के उम्मीदवार को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

भगवंत मान 
कॉमेडी से सियासत में आए भगवंत मान इस सीट पर पिछला चुनाव जीते थे। इससे पहले वह 2012 में पीपुल्स पार्टी ऑफ पंजाब की टिकट पर रजिन्द्र कौर भट्ठल को भी कड़ी टक्कर दे चुके हैं। 

केवल सिंह ढिल्लों
कारोबार से सियासत में आए केवल सिंह ढिल्लो मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के करीबी हैं और बरनाला से 2 बार विधायक रहे हैं। उन्होंने 2007 और 2012 का चुनाव जीता था लेकिन 2017 में वह आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गुरमीत सिंह मीत से चुनाव हार गए थे। 

सिमरनजीत सिंह मान
खालिस्तान समर्थक इस नेता ने ऑप्रेशन ब्ल्यू स्टार के विरोध में अपनी आई.पी.एस. की नौकरी छोड़ी थी और 1989 में तरनतारन और 1999 में संगरूर से सांसद चुने गए थे। वह अकाली दल से अलग होकर बनाई गई अकाली दल (मान) के मुखिया हैं। 


बलदेव सिंह मान
लम्बे समय तक पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला के करीबी रहे बलदेव सिंह मान कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। मान ने बरनाला के बेटे गगनजीत सिंह के साथ मिलकर 2017 में अकाली दल ’वाइन किया था।

विजयइंद्र सिंगला
संगरूर लोकसभा सीट से 2009 में सांसद रहने के साथ-साथ कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार में मंत्री भी रहे हैं। वह संगरूर सीट से विधायक हैं। राहुल गांधी के साथ करीबी होने के चलते वह राष्ट्रीय राजनीति में आने के इ‘छुक हैं। 

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