कहीं शार्ट कट न बन जाए जिंदगी का कट

punjabkesari.in Wednesday, Sep 19, 2018 - 12:49 PM (IST)

बरनाला (विवेक सिंधवानी,गोयल): आज की तेज रफ्तार जिंदगी में अधिकतर लोग जिंदगी से अधिक पैसे व विशेषकर समय को विशेषता देने लग गए हैं। जिस कारण समय बचाने के चक्कर में कई बार कुछ लोग अपनी अनमोल जिंदगी को खतरे में डालने से परहेज नहीं करते। जिसकी मिसाल शहर में रेलवे लाइनों को लोगों द्वारा पार किए जाने मौके की जाती जल्दबाजी से आम ही देखने को मिल जाती है। इसको देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि लोगों के लिए अपनी जिंदगी का कितना महत्व है। लोगों के लिए जिंदगी से अधिक ‘समय’ व ‘पैसा’ कीमती हो गया।मानव रहित फाटकों पर हादसे दौरान किसी व्यक्ति का ट्रेन की चपेट में आना तो समझ में आता है परंतु फाटक लगे दौरान गाड़ी आने का पता होने के बावजूद रेलवे लाइनों को पार करना कहां की समझदारी है परंतु कुछ मोटरसाइकिल,स्कूटर व साइकिल सवार रेलवे फाटक बंद होने पर गाड़ी के गुजरने की प्रतीक्षा करने की बजाय बंद हुए रेलवे फाटक की लोहे की पाइपों के नीचे से अपना वाहन गुजारकर ले जाते हैं,जिनकी यह लापरवाही कब उन पर भारी पड़ जाए कहा नहीं जा सकता, जो स्वयं मुसीबत मोल नहीं लेते हैं बल्कि अपने परिवार के लिए भी मुसीबत बन जाते हैं। 

स्थानीय शहर में रेलवे फाटकों पर इस तरह का नजारा आम ही देखने को मिलता है क्योंकि रेलवे फाटकों के बंद हो जाने की हालत में अधिकतर दोपहिया वाहन चालक यहां सब्र से रेलगाड़ी की प्रतीक्षा करने की बजाय जल्दी में आ जाते हैं व अपने दोपहिया वाहनों को टेढ़ा-मेढ़ा कर व स्वयं मुश्किल में आकर फाटक की पाइपों के नीचे से ही निकालना शुरू कर देते हैं। मन में जल्दी व भीड़ होने के कारण जहां इस कार्रवाई को समय अधिक लगता है वहीं कोई अप्रिय घटना हो जाने का खतरा हमेशा बना रहता है। 

लोगों को कानून की नहीं परवाह  
टिंकू अग्रवाल का कहना है कि हालांकि इसके लिए सख्त कानून बना हुआ है परंतु फिर भी अधिकतर लोग कानून की परवाह नहीं करते जबकि रेलवे पुलिस भी प्राय: मूकदर्शक बनी रहती है। 

आखिर कब गंभीर होगा रेलवे प्रशासन
एंटी करप्शन एसोसिऐशन के राज्य सचिव विपन कुमार का कहना है कि इस प्रति रेलवे प्रशासन कितना गंभीर है इसका अंदाजाउस समय लग जाता है जब रेलवे पुलिस अधिकारियों के सामने ही लोग कानून के नियमों की धज्जियां उड़ाकर बंद रेलवे फाटक व रेलवे लाइनों से गुजरते दिखाई देते हैं। इस का बड़ा कारण रेलवे प्रशासन का इस प्रति गंभीर न होना भी है। 

नौजवान मोबाइल या हैडफोन लगाकर चलने में भी परहेज नहीं करते
समाज सेवी सुशील बांसल का कहना है कि कई लोग विशेष करके नौजवान कान पर मोबाइल या हैडफोन लगाकर चलने में भी गुरेज नहीं करते जिस कारण उक्त लापरवाही प्राय: हादसे का कारण बन जाती है।    

समाज सेवी संस्थाओं के सहयोग से लोगों को जागरूक करे रेलवे प्रशासन
बरनाला वैल्फेयर क्लब के सीनियर मैंबर रमेश कुमार गोयल का कहना है कि यदि रेलवे प्रशासन ऐसे लोगों पर थोड़ी सख्ती कर दे व रेलवे लाइनों को पार करने पर रोक लगाकर समाज सेवी संस्थाओं आदि के सहयोग से लोगों को जागरूक करे तो अनेक कीमती जानों को बचाया जा सकता है।  

बंद फाटकों की लोग नहीं करते परवाह 
नौजवान नेता नवल कुमार ने कहा कि रेलवे विभाग द्वारा ऐसे हादसों को रोकने के लिए रेलवे क्रासिंग पर फाटक तो लगा रखे हैं परंतु लोग इन बंद पड़े फाटकों की परवाह किए बिना अपनी जान हथेली पर रखकर उनको क्रास करने से बाज नहीं आते। 

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