शिक्षा विभाग ने स्कूली बच्चों को वर्दियां उपलब्ध करवाने का फैसला लिया वापिस

punjabkesari.in Wednesday, Jan 16, 2019 - 03:56 PM (IST)

बरनाला (विवेक सिंधवानी, गोयल): शिक्षा अभियान अथारिटी के डी.जी. एस.ई.-कम-प्रोजैक्ट-कम स्टेट प्रोजैक्ट डायरैक्टर द्वारा सरकारी स्कूलों के बच्चों को 31 जनवरी तक वर्दियां उपलब्ध करवाने संबंधी दिया गया आदेश वापस लेने पर 12 लाख 76 हजार 303 छात्रों को इस सैशन में वर्दियां उपलब्ध करवाने पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है।

पहले तो शिक्षा विभाग ने लगभग सर्दी बीत जाने के बाद ही 31 जनवरी तक इन बच्चों को वर्दियां उपलब्ध करवाने के आदेश समूह जिलों को दिए थे। स्कूलों में अपने लैवल पर बच्चों को यह वर्दियां उपलब्ध करवानी थी, जिसमें लड़कों के लिए कमीज पैंट, गर्म स्वैटर, टोपी,बूट जुराबें व लड़कियों के लिए कमीज सलवार,जर्सी, बूट-जुराबें आदि उपलब्ध करवाने के आदेश दिए थे परंतु 10 जनवरी को डी.जी.एस.ई. द्वारा पत्र नंबर एस.ए. यूनिफार्म 14637 द्वारा इन आदेशों को वापस ले लिया गया।

शिक्षा विभाग ने 76 करोड़ 57 हजार 818 रुपए की राशि से यह वर्दियां पूरे पंजाब के सरकारी स्कूलों के बच्चों को उपलब्ध करवानी थी। पहली क्लास से लेकर आठवीं तक के बच्चों को यह वर्दियां उपलब्ध करवानी थी। नए आदेशों अनुसार 24 जनवरी तक पूरे पंजाब की सप्लाई के लिए मांगे गए टैंडर समग्र शिक्षा विभाग की वैबसाइट अनुसार 24 जनवरी 2019 तक टैंडर मांगे गए हैं। जिस किसी भी फर्म ने यह टैंडर भरने हैं उसको 2 करोड़ रुपए की पहले सिक्योरिटी जमा करवानी पड़ेगी। फिर ही वह टैंडर डाल सकता है।

छोटा व्यापारी तो इस टैंडर को नहीं डाल सकेगा। अब सबसे बड़ा प्रश्न यह पैदा होता है कि यदि 24 जनवरी तक टैंडर लगेंगे इसके बाद सारे ही सरकारी स्कूलों में से बच्चों के माप मंगवाए जाएंगे। जिसके बाद ही बच्चों को यह वर्दियां उपलब्ध करवाई जाएंगी जिसमें काफी समय लगेगा। इतने समय में तो स्कूली बच्चों के पेपर भी हो जाएंगे व गर्मी का सीजन शुरू हो जाएगा, फिर गर्म कपड़े सर्दी बीत जाने के बाद छात्रों को उपलब्ध करवाने का कोई लाभ नहीं,जबकि बच्चे ठंड से ठिठुरते रहें।

पांचवीं क्लास से बच्चों की वर्दी हो जाती है चेंज
इतना ही नहीं पांचवीं क्लास के बाद बच्चे प्राइमरी स्कूलों से बदलकर मिडल स्कूलों में चले जाते हैं। मिडल स्कूलों में जाकर वर्दी चेंज भी हो जाती है। फरवरी में पांचवीं क्लास के पेपर हो जाते हैं। जिस हिसाब से सरकार काम कर रही है तब तक बच्चों को वर्दी उपलब्ध करवाना मुश्किल ही लगता है। फिर इन बच्चों को उपलब्ध करवाई गई वर्दी भी बेकार जाएगी।

Anjna