सुखदेव सिंह ढींडसा के बागी व्यवहार कारण जिला संगरूर व बरनाला में बड़ी उथल-पुथल होने की संभावना

punjabkesari.in Saturday, Dec 14, 2019 - 12:37 PM (IST)

शेरपुर(अनीश): शिरोमणि अकाली दल के राष्ट्रीय नेता सुखदेव सिंह ढींडसा द्वारा पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर बागी व्यवहार अपना लिया गया है जिससे अकाली दल में जिला संगरूर व बरनाला में बड़ी उथल-पुथल देखने को मिल सकती है, क्योंकि राज्य अंदर 10 वर्ष के अकाली शासन में जिला संगरूर व बरनाला में ढींडसा परिवार की तूती बोलती रही है व प्रत्येक अकाली नेता/वर्कर का कार्य ढींडसा परिवार की सिफारिश पर ही होता रहा है, जिस कारण भारी संख्या में अकाली नेता व वर्कर ढींडसा परिवार से जुड़े हुए हैं।

अब जब सुखदेव सिंह ढींडसा ने अकाली लीडरशिप पर सवाल उठाते हुए अकाली दल में से बाहर निकाले गए टकसाली नेताओं से हाथ मिला लिया है तो दोनों जिलों अंदर राजनीतिक तूफान पैदा हो गया है। वर्णनीय है कि दोनों जिलों अंदर विधानसभा की 10 सीटें हैं और करीब 16 शिरोमणि कमेटी मैंबर हैं और इनमें अधिकतर नेता ढींडसा परिवार के साथ जुड़े हुए हैं। अगर सुखदेव सिंह ढींडसा बादल परिवार से अलग रास्ता तैयार करते हैं तो यह नेता असमंजस में हैं कि किसके साथ चला जाए। दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल द्वारा जिला बरनाला व जिला संगरूर के नेताओं पर पैनी नजर रखी जा रही है और दोनों जिलों के नेताओं की नब्ज टटोली जा रही है।

यहां यह भी वर्णनीय है कि किसी समय दोनों जिलों पर अकाली दल के दिग्गज नेता स्व. सुरजीत सिंह बरनाला का पूरा दबदबा होता था और बरनाला परिवार द्वारा अकाली नेताओं व वर्करों के कार्य होते थे परंतु सुखदेव सिंह ढींडसा ने धीरे-धीरे दोनों जिलों पर अपना कब्जा जमा लिया व बरनाला परिवार बिल्कुल हाशिए पर चला गया। अब जब अकाली दल में बगावत के आसार बनते जा रहे हैं तो देखना यह होगा कि बगावत के बाद पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल दोनों जिलों में किस नेता को आगे लाकर नुक्सान की भरपाई करेंगे। क्योंकि पहले ही संकट में चल रहे शिरोमणि अकाली दल के लिए यह परीक्षा की घड़ी होगी। अगर सुखदेव सिंह ढींडसा पार्टी से किनारा करते हैं तो ढींडसा परिवार द्वारा अनदेखा किए गए अकाली नेता व वर्कर फिर से सरगर्म हो सकते हैं। 
 

Vatika