कपास की फसल पर मिलीबग का हमला, किसान स्प्रे करने लगे

punjabkesari.in Saturday, Oct 06, 2018 - 10:58 AM (IST)

बठिंडा(बलविंद्र): कई सालों के बाद मालवा क्षेत्र में कपास की फसल पर फिर से मिलीबग का हमला देखने को मिल रहा है जिस कारण किसान चिंतित हैं व कीटनाशकों की स्प्रे करने में जुट गए हैं। 

क्या है मिलीबग
मिलीबग एक ऐसी बीमारी है जो नरमा कपास को लगती है। यह सफेद रंग की दीमक जैसी होती है जिसे सफेद मक्खी भी कहा जाता है। यह रस चूसने वाला कीट है जो पौधे का सारा रस चूस लेता है जिस कारण पौधे के पत्ते आदि सूख जाते हैं। इस कारण कपास का उत्पादन आधा रह जाता है। 

मिलीबग कारण मुआवजे की मांग
किसान नेता हनी सिंह जिला कन्वीनर किरती किसान यूनियन ने बताया कि वर्ष 2005-06 में मिलीबग ने अनेकों किसानों का भारी नुक्सान किया था जिस कारण कई किसान खुदकुशियां कर गए थे। अब भी मिलीबग नुक्सानदायक साबित हो रहा है। इस हमले का सरकारी या गैर-सरकारी स्तर पर कोई तोड़ नहीं है। 

मिलीबग का प्रकोप
जिला बठिंडा में मिलीबग का प्रकोप देखने को मिल रहा है जिसकी मात्रा फिलहाल कम है। तलवंडी व संगत ब्लाक के गांवों में मिलीबग का अधिक असर है। किसानों द्वारा कपास की फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है ताकि फसल को बचाया जा सके। गांव पथराला के किसान बलकौर सिंह ने बताया कि नजदीकी खेतों में मिलीबग देखने को मिला है। बेशक मिलीबग पर किसी कीटनाशक का अधिक असर नहीं होता, लेकिन वे फिर भी कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे हैं ताकि नुक्सान को रोका जा सके। 

फसल पकने के समय होता नुक्सान: कृषि वैज्ञानिक 
खेती वैज्ञानिक डी.जी.एस. रोमाणा ने कहा कि बेशक मिलीबग फसलों का नुक्सान करता है व इसका कोई पक्का इलाज भी नहीं है। यह भी सच है कि मिलीबग की बीमारी हर साल ही होती है, लेकिन यह तब नुक्सान करती है जब फसल पकने से पहले आ जाए। उस वक्त यह उत्पादन को भी प्रभावित करती है, लेकिन अब फसल पक चुकी है इसलिए अब यह उतनी नुक्सानदायक नहीं है। किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। 

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