लाखों खर्च करने के बाद भी लोगों को नहीं मिली बेसहारा पशुओं से राहत

punjabkesari.in Thursday, Oct 11, 2018 - 11:28 AM (IST)

बठिंडा: लावारिस गौवंश की संभाल हेतु विभिन्न वस्तुओं पर लगाया गया गौ टैक्स (काऊ सैस) नगर निगम के खजाने को लगातार भर रहा है, लेकिन इसके बावजूद लोगों को इन पशुओं से कोई निजात नहीं मिल सकी। पशुओं की संख्या कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही है व आए दिन लोग इनके कारण हादसों का शिकार हो रहे हैं। नगर निगम एक साल में काऊ सैस के रूप में औसतन 1 करोड़ रुपए कमा रहा है। हालांकि नगर निगम द्वारा हर साल लावारिस पशुओं के समाधान हेतु औसतन 70 लाख रुपए खर्च करने का दावा भी किया है लेकिन इसके बावजूद लावारिस पशु लोगों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। 

हर साल बढ़ रही काऊ सैस की राशि 
पिछले 9 सालों में नगर निगम बठिंडा लोगों से काऊ सैस के नाम पर आम लोगों से 936.53 लाख रुपए वसूल कर चुका है व इसमें से नगर निगम द्वारा पशुओं की डाइट व अन्य प्रबंधों के लिए 703.81 लाख रुपए खर्च किए गए। यहां यह भी जिक्रयोग्य है कि शुरूआती सालों में जब काऊ सैस की वसूली कम थी तो निगम ने अपनी ओर से भी गऊओं की डाइट मनी के पैसे भरे, लेकिन अब काऊ सैस की कलैक्शन लगातार बढ़ रही है। 2009-10 में काऊ सैस के नाम पर 1.28 लाख रुपए वसूल किए गए, जबकि 26.21 लाख खर्च किए।

इसी प्रकार 2010-11 में 3.85 लाख रुपए वसूले और 18.42 लाख खर्च किए। 2011-12 में निगम ने 4.16 लाख रुपए वसूल किए और 32.76 लाख रुपए खर्च किए। 2012-13 में 3.65 लाख वसूल किए गए, जबकि 45.31 लाख खर्च किए। 2013-14 में काऊ सैस के नाम पर &.75 लाख रुपए वसूले और 80.90 लाख खर्च किए। 2014-15 में निगम ने 31.03  लाख वसूल करके 71.84 लाख रुपए खर्च किए। इसके बाद काऊ सैस की राशि में एकाएक वृद्धि दर्ज हो गई। वर्ष 2015-16 में काऊ सैस नाम पर निगम ने 296.35 लाख रुपए वसूल किए, जबकि 206.71 लाख रुपए खर्च किए। इसी प्रकार 2016-17 में निगम ने 296.52 लाख वसूले और 149.05 लाख रुपए खर्च किए। 2017-18 में काऊ सैस के रूप में निगम ने  295.94 लाख की राशि वसूल की, जबकि 72.61 लाख रुपए खर्च किए।

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