घर बनाना हुआ पहुंच से बाहर, रेता, बजरी न मिलने से निर्माण कार्य ठप्प
punjabkesari.in Wednesday, Oct 12, 2022 - 11:08 AM (IST)

बठिंडा (विजय): पंजाब सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों के खनन पर प्रतिबंद्ध लगाने के कारण निर्माण कार्य ठप्प हुए जिससे राज्य की विकास दर रुकी।
सरकार की नीतियों के चलते रेत, बजरी, ईंट, सीमेंट व सरिए के भाव में उछाल आया इससे अब घर बनाना पहुंच से बाहर हुआ। जो रेत व बजरी पहले 40-45 रुपए प्रति क्विंटल मिलती थी अब उसका भाव बढ़कर 115-125 प्रति क्विंटल चला गया। इसी तरह 280 रुपए में मिलने वाला सीमेंट 360 रुपए प्रति बैग पहुंचा। यहीं नहीं सरिए की कीमत भी असमान को छूने लगी जिसका भाव 4000 रुपए प्रति टन से बढ़कर 6500 रुपए टन हो गया। ईंट की बात की जाए तो 3000 रुपए प्रति हजार मिलने वाली ईंट 6000 हजार रुपए तक पहुंच चुकी है। ऐसे में जहां निर्माण कार्य ठप्प हुए वहीं घर बनाना भी मुश्किल हुआ और मजदूरी कर पेट पालने वाले प्रवासी व पंजाबी मजदूर भी काम न मिलने से भूखे सो रहे है।
रेता, बजरी, सीमेत का कारोबार करने वाले संजीव गोयल का कहना है कि पंजाब में खनन पर प्रतिबंद्ध होने के बाद हरियाना से रेत आ रहा है, जिसका भाव 115 से 125 के बीच है। इसी तरह हिमाचल से बजरी आ रही है जिसका भाव भी रेत के बराबर है। पठानकोट से आने वाला टोका सैंड अब राजस्थान के बीकानेर से लाल रंग का आ रहा है। छिटपुट लोग ही निर्माण कार्य में लगे हुए है जबकि सरकारी व गैर सरकारी निर्माण कार्य सभी बंद पडे़ हुए है। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने रेत माफिया खत्म करने की बात चुनावों से पहले की थी लेकिन अब इसका उल्टा असर देखने को मिल रहा है। सरकार ने सस्ता रेत, बजरी देने की बात कही थी ओर यहां तक कि 500 रुपए प्रति क्विंटल रेत मुहैया करवाई जाएगी ओर 2500 रुपए क्विंटल बजरी मुहैया करवाई जाएगी। लेकिन इन भावों की तुलना वर्तमान भाव से की जाए तो कई गुणा रेट बढे़।
सरकार ने अधिकारियों को निर्देश जारी कर किसी भी कीमत पर खनन न होने के आदेश जारी किए। पुलिस को भी आदेश जारी कर दूसरे राज्यों से आने वाले रेत, बजरी को अवैध रूप से सामग्री के विरुद्ध चौक्स बढ़ा दी। पंजाब की सीमाओं पर पुलिस ने अवैध रूप से राज्य में दाखिल होने वाले ट्रकों को जब्त भी किया। स्थानीय लोगों का कहना है कि निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतों के कारण अब उनका घर बनाने का सपना चूर-चूर हो गया।
पंजाब में लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर रोजी रोटी के लिए आते है काम न मिलने से मजबूरन वह अब खेतों में जाकर दिहाड़ी कर रहे है। ऐसे में उन्हें पेट पालना मुश्किल है लेकिन उतर प्रदेश, बिहार व अन्य राज्यों में जमापूंजी भेजने से लाचार है।
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