पंजाब की नौजवान पीढ़ी आर्थिक तौर पर लडख़ड़ाकर डूब रही नशे की दलदल में

punjabkesari.in Sunday, Jul 01, 2018 - 10:24 AM (IST)

मानसा(मित्तल): पांच दरियाओं की धरती पंजाब में अब छठा दरिया नशों का बहुत तेजी के साथ बढऩे की धारणा पक्की होने लगी है। पंजाब की बेरोजगार नौजवान पीढ़ी आर्थिक तौर पर लडख़ड़ाकर नशों की दलदल में फंसती जा रही है। नौजवान पीढ़ी को नशों से बचाने के लिए राज्य सरकार के हर यत्न नाकाम साबित हो रहे हैं। पंजाब के हर शहर, हर कस्बे, हर गांव में तम्बाकू पदार्थों की बिक्री में इजाफा हो रहा है। 

हर तीसरा व्यक्ति अपनी जेब में तंबाकू वाला पदार्थ बहुत शान के साथ रखता है। वह पाबंदियों से बेखबर होकर नशों का बहुत शानो-शौकत के साथ इस्तेमाल कर रहा है। अगर राज्य सरकार व जिला प्रशासन पंजाब को सचमुच तंबाकू रहित बनाना चाहता है तो ऐसे नशीले पदार्थों को बनाने वाले व बिक्री केन्द्रों को मुकम्मल तौर पर बंद करना पड़ेगा।

सरकार का तंदरुस्त पंजाब मिशन असफल
अकालियों के शासन में कई जिलों को तंबाकू रहित जिला घोषित किया गया व तंबाकू वाली वस्तुएं, गुटखा व पान मसाला बेचने, भंडारण करने, बनाने व बांटने पर पूर्ण पाबंदी लगा दी गई जो कुछ दिनों तक ही सीमित रही। इस समय राज्य सरकार ने तंदरुस्त पंजाब मिशन चलाया हुआ है परन्तु राज्य सरकार को यह इल्म नहीं कि राज्य में तंबाकू वाली वस्तुओं का कितना प्रयोग हो रहा है और इसका लोगों की सेहत पर कितना बुरा प्रभाव पड़ रहा है। सेहत विभाग के तंबाकूनोशी के चालान सिर्फ एक दिखावा लग रहे हैं। 

20 से 60 वर्ष तक एक ट्राली बीड़ी पी जाता है मानव 
अंदाजन एक व्यक्ति एक महीने में 800 ग्राम व 1 साल में 7 किलो, 10 सालों में 72 किलो तंबाकू इस्तेमाल करता है। यदि वह 20 से 60 वर्ष की आयु तक तंबाकू का प्रयोग करता है तो वह औसतन 3 क्विंटल से ज्यादा तम्बाकू गटक जाता है। यदि तंबाकू में कली का जिक्र करें तो यह 35 किलो के करीब लग जाती है। सिगरेट के मुकाबले बीड़ी का प्रयोग ज़्यादा हो रहा है क्योंकि बीड़ी सिगरेट से सस्ती पड़ती है। रोजाना बीड़ी का एक बंडल एक व्यक्ति पी जाता है। यदि 20 से 60 वर्ष तक बीड़ी के प्रयोग बारे अंदाजा लगाया जाए तो एक भरी ट्राली बीड़ी की खपत हो जाती है। इसी तरह  एक व्यक्ति सिगरेट की एक डिब्बी रोजाना सुलग जाता है तो 1 महीने में 30 डिब्बियां व 20 से 60 वर्ष तक एक हाथी के आकार जितनी सिगरेटें लोग पी जाते हैं।

जिला प्रशासन के यत्न नाकाम 
पंजाब भर में प्रशासन द्वारा समाज सेवी संस्थाओं, क्लबों व केंद्र सरकार की स्कीमों के साथ नशों की मुक्ति के लिए सैमीनार, नाटक मेले व जागरूकता कैम्प लगाए जा रहे हैं परन्तु इन यत्नों का प्रभाव उलट दिखाई दे रहा है। आज शहर में तंबाकू रहित क्षेत्र हर बाजार में दुकानों पर पोस्टर लगाने के बावजूद तंबाकू, बीड़ी, जर्दा व गुटखा खाने का रुझान जारी है। 

तंबाकू पदार्थों पर पाबंदी का कोई प्रभाव नहीं 
बेशक तंबाकू कंट्रोल एक्ट-2003 (कोटपा) के तहत पंजाब भर में बीड़ी, सिगरेट, जर्दा, पान व गुटखे खाने व बेचने की लगाई पाबंदी का किसी भी जिले में कोई प्रभाव नहीं दिखाई दे रहा है। बस यह समझ लिया जाए कि यह नशे पंजाब की नौजवान पीढ़ी में घर कर गए हैं। ऐसे तंबाकू बेचने वालों की दिन-ब-दिन चांदी है। लोग बिना किसी डर के शरेआम सार्वजनिक स्थानों पर हाथ की तली पर जर्दा लगाते या सिगरेटें पीते देखे जा सकते हैं।  

कानून की उल्लंघना करने पर है जुर्माने का प्रावधान : स्टेट नोडल अफसर 
नैशनल तंबाकू कंट्रोल प्रोग्राम की स्टेट नोडल अफसर डा. अरीत कौर ने कहा कि पंजाब में तंबाकू बेचने की मनाही नहीं है बल्कि खुलेआम सार्वजनिक स्थानों खासकर शिक्षा केन्द्रों के नजदीक तंबाकू के प्रयोग की मनाही है। यदि कोई भी व्यक्ति इन स्थानों पर खुलेआम तंबाकू का प्रयोग करता पाया जाता है तो कोटपा एक्ट 2003 के तहत चालान काट कर मौके पर जुर्माना वसूला जाता है। उन्होंने कहा कि नैशनल तंबाकू कंट्रोल प्रोग्राम के तहत समय-समय पर जागरूकता रैलियां व जागरूकता सैमीनार आयोजित करके लोगों को तंबाकू के सेहत पर पडऩे वाले बुरे प्रभाव बारे अवगत करवाया जाता है। 

तम्बाकू सेहत के लिए अति घातक: डा. रेखी 
प्रसिद्ध सर्जन डा. तेजिन्द्र पाल सिंह रेखी का कहना है कि तंबाकू सेहत के लिए बहुत खतरनाक है। इसकासेवन करने से शरीर की सभी ज्ञान इंद्रियों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे फेफड़ों पर बुरा प्रभाव पडऩे से मानव सांस, दमा या फिर टी.बी. रोग का शिकार हो जाता है क्योंकि तंबाकू में निकोटिन की ज्यादातर मात्रा होती है। कई बार ज्यादा प्रभाव होने पर मानव कैंसर की बीमारी का शिकार होकर मौत के मुंह में चला जाता है। इसलिए तंबाकू के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए।       -डा. तेजिन्द्रपाल सिंह रेखी। (मित्तल)

 

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