नशे की गिरफ्त में पंजाब की जवानी

punjabkesari.in Saturday, Jun 22, 2019 - 11:50 AM (IST)

बठिंडा(विजय/राजवंत): प्रदेश की युवा पीढ़ी इस कदर नशों के प्रभाव में आने लगी है कि अब पंजाब की बेटियां भी चिट्टे जैसे भयानक नशों से बच नहीं सकी। एक रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब भर से करीब दस हजार महिलाएं नशा छुड़ाओ केंद्रों में नशे छोडऩे के लिए अपना इलाज करवा रही हैं, जबकि कई नौजवान लड़के-लड़कियांं ऐसे भी हैं जो शर्म महसूस करते हुए नशा छुड़ाओ केंद्रों में नहीं जा रहे।

पंजाब में पिछले समय के दौरान चिट्टे का बोलबाला इस कदर युवा पीढ़ी पर हावी हुआ है कि प्रतिदिन युवा चिट्टे की ओवरडोज के चलते मौत के मुंह में जा रहे हैं। इसके अलावा चिट्टे का टीका लगाते हुए युवाओं की वीडियोज भी सोशल मीडिया पर आए दिन वायरल होती रहती है जिससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पंजाब की युवा पीढ़ी नशे के गड्ढे में गिरती जा रही है जिस संबंधी सरकार अभी तक कोई ठोस प्रयत्न नहीं कर सकी। जहां तक बात युवा लड़कियों की है तो बठिंडा में एक ऐसा मामला गत दिनों सामने आया जिसमें चिट्टे की ओवरडोज के कारण लड़की ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था, जिसके बाद लोगों में नशों को लेकर सरकार के खिलाफ रोष बढ़ता  जा रहा है लेकिन अब लड़कियों का नशों की गिरफ्त में आना पंजाब के भविष्य के लिए अ‘छे संकेत  नहीं है। 

मुख्यमंत्री के वायदे को लोग बताने लगे ठुस्स
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंंद्र सिंह ने विधानसभा चुनाव मैनीफैस्टो में श्री गुटका साहिब पर हाथ रख शपथ ली थी कि वह पंजाब में 4 सप्ताह में नशों को पूरी तरह से खत्म कर देंगे लेकिन अढ़ाई वर्ष के करीब होने के बाद भी पंजाब में चिट्टे की वजह से मर रहे युवाओं के मामले सामने आने लगे हैं जिसको लेकर जहां विरोधी पार्टियां कैप्टन सरकार पर तंज कसती दिखाई देती हैं वहीं दूसरी ओर आम लोग भी अब कैप्टन सरकार के दावों को ठुस्स बताने लगे हैं। अक्सर सोशल साईट्स पर लोग सरेआम अपनी गलियों, मुहल्लों में नशे बिकने का जिक्र करते हैं जिसमें कभी कभार पुलिस की मिलीभगत का भी खुलासा होता है।


बेरोजगारी भी नशों के सेवन को करती है आमंत्रित
पंजाब में बेरोजगारी इस वक्त बड़ा प्रश्न बनी हुई है। सूबे के युवा उच्च पढ़ाई कर नौकरियों की तलाश करते हैं लेकिन जब उन्हें कहीं भी उनकी पसंदीदा नौकरी नहीं मिलती तो वे मानसिक तनाव के चलते नशों की चपेट में आ जाते हैं। तरह-तरह का नशा शौक के बाद उनकी मजबूरी बन जाता है। पंजाब में नशों के चलते जितने भी युवाओं की मौतें हुई हैं उनके मामले में अक्सर देखा गया  कि युवा नौकरी न मिलने के चलते परेशान थे। भले ही सरकार द्वारा युवाओं को नौकरियां मुहैया करवाने के लिए रोजगार मेले लगाए लेकिन फिर भी पूर्ण तौर पर युवाओं को रोजगार नहीं मिला। 

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