5 गुना मुनाफा देने के नाम पर 120 करोड़ की ठगी

punjabkesari.in Tuesday, Dec 04, 2018 - 09:51 AM (IST)

बठिंडा(विजय): अधिक मुनाफे का लालच देकर कई कम्पनियों ने लोगों से ठगी की है, मामला प्रकाश में आने के बाद कम्पनी के अधिकारी या तो फरार हैं या फिर जेल में हैं।फर्जीवाड़ा करने वाली कम्पनियां, जिनमें सहारा, क्राऊन, पर्ल इंडिया, मैक्स फोरैक्स आदि शामिल हैं। इनमें एक ओर ट्रेडमार्ट कम्पनी का नाम शामिल हो गया, जिसने 10-15 लोगों को अपना शिकार बनाकर 120 करोड़ रुपए तक की ठगी मारी है। इस मामले में सैंट्रल बैंक के असिस्टैंट मैनेजर भी शामिल है, जिसका खुलासा उस समय हुआ जब हिसार पुलिस ने बैंक में दबिश देकर मैनेजर से पूछताछ की। जानकारी अनुसार बैंक के सहायक प्रबंधक गौरव ने अपनी बैंक आई.डी. का दुरुपयोग कर फर्जी खाता खोला था यही नहीं बैंक के फार्म पर कम्पनी के एम.डी. शमशेर सिंह मोर की फोटो लगाकर उसके हस्ताक्षर भी किए गए। बैंक के नियमों को दरकिनार कर इस अधिकारी ने लगभग सभी फर्जी दस्तावेज एकत्रित किए और लोगों से पैसे ठगने का धंधा शुरू कर दिया।

सहायक ने अपने पद का किया दुरुपयोग, होगी विभागीय जांच
पुलिस की पूछताछ दौरान बैंक मैनेजर का कहना है कि सहायक ने अपने पद का दुरुप्रयोग किया, जिसकी विभागीय जांच की जाएगी जबकि हिसार पुलिस तमाम दस्तावेज जुटाकर वापस चली गई। इस मामले को लेकर विजीलैंस भी सतर्क है क्योंकि सरकारी पद का दुरुपयोग कर आॢथक लाभ लेना भी भ्रष्टाचार मामले में शामिल है। इसके बाद इस टीम ने गांव बादल में इसी बैंक के सहायक मैनेजर अमित से भी पूछताछ की। अमित व गौरव ट्रेडमार्ट कम्पनी में उच्च पदों पर तैनात थे और यहां तक कि इनके जरिए ही बैंक में लेनदेन हुआ। यह बैंक मैनेजर नकदी लेकर बदले में कुछ प्वाइंट देकर कहते थे कि इन्हें आगे बेचकर रुपए कमा सकते हैं, जैसा कि बिटकॉन करंसी में हुआ। निवेशक इसमें फंसते चले गए और इनका जाल फैलता गया। 10-15 हजार लोग इसमें फंसे, माना जाता है कि यह 120 करोड़ रुपए का बड़ा फ्रॉड था।

ठगी के जाल में एक वकील भी फंसा
उक्त जाल में हिसार का वकील प्रदीप सिवाच भी फंस गया और उसने भी इसमें निवेश किया लेकिन पैसे डुबते देख सितम्बर में उसने हिसार पुलिस को इसकी शिकायत दर्ज करवाई तब पुलिस ने जांच के बाद बैंक कर्मियों से पूछताछ की। शिकायतकत्र्ता का कहना है कि कम्पनी बनाने में आरोपी नवीन बैंक मैनेजर अमित, रोहताश चौहान शामिल हुए लेकिन बाद में इन्होंने बैंक मैनेजर गौरव, नरेश मलिक व शमशेर मोर को भी शामिल कर लिया। इन्होंने निचले स्तर पर कम्पनी शुरू की और देखते ही देखते इसे ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सॉफ्टवेयर तक तैयार करवाए और कम्पनी को रजिस्टर्ड भी करवाया। आर.बी.आई. ने जब इन फाइनांस कम्पनियों पर शिकंजा कसना शुरू किया तो ट्रेडमार्ट कम्पनी भी अपना कार्यालय बंद कर भूमिगत हो गई, तभी से लोगों ने इसकी शिकायत पुलिस को करनी शुरू कर दी थी।

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