पंजाब में दुधारू भैंसें व गऊओं की कमी के चलते दूध के उत्पादन में भारी कमी

punjabkesari.in Saturday, Jun 23, 2018 - 11:36 AM (IST)

मानसा (मित्तल): पंजाब में खेती को फायदेमंद धंधा बनाने के लिए समय-समय पर राज्य सरकारों की तरफ से खेती के साथ सहायक धंधे पशु पालन, मक्खी पालन, मच्छली पालन, मुर्गी पालन के धंधों प्रति किसानों को उत्साहित किया गया परन्तु इन धंधों को फायदेमंद धंधे बनाने के लिए सरकारों की तरफ से कोई ठोस नीति न बनाने कारण यह धंधे खेती के धंधे की तरह एक-एक कर दम तोडऩे लगे हैं। यदि पशु पालन के धंधे की बात करें तो इस समय पर पंजाब में दुधारू भैंसें व गऊओं की कमी कारण दूध के उत्पादन में काफी कमी हो रही है, क्योंकि इस क्षेत्र का बहुत पशु धन हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश या दूसरे राज्यों में चला गया है, जिसका मुख्य कारण यह भी है कि दुधारू पशुओं की कीमतों में अथाह वृद्धि होना और यह धंधा लागत के मुकाबले किसानों व दूध उत्पादकों को फायदेमंद नहीं साबित हो रहा। इस धंधे को फायदेमंद धंधा बनाने के लिए राज्य सरकार को ठोस नीति व्यवस्था कायम करनी चाहिए। 

दूध कम होने के बावजूद मार्कीट में दूध उत्पादों की झड़ी 
पहले  जमाने में हर घर में दूध व मक्खन को मुख्य रखते किसानों की तरफ से बड़े शौंक के साथ गऊएं व भैंसें रखी जातीं थीं और उनको सुबह-शाम नजदीकी छप्पड़ों में लाइनें बना कर इनको स्नान के लिए लिजाया जाता था जिससे पशु तंदुरुस्त रहें और दूध कम न हो, परन्तु आज गांवों के छप्पड़ों में नामात्र भैंसें व गाएं दिखाई देती हैं। इस समय पर गर्मी का मौसम होने पर दूध का उत्पादन काफी कम है परन्तु इसके बावजूद इस समय दही, मक्खन, पनीर व अन्य कई तरह की मिठाइओं की भी बाजार में कमी नहीं है, परन्तु एक तरफ दूध की कमी दिखाई दे रही है। 

किसान व दोधी दूध का धंधा करने से हाथ खड़े करने लगे 
इस समय पर दुधारू भैंसें व गऊओं की कीमत एक बराबर दिखाई दे रही है। इस क्षेत्र के किसान को मुरा नसल की भैंस 80 हजार से 90 हजार तक मिलती है जबकि एच एफ कायो गाय 70 हजार से 80 हजार रुपए तक पड़ती है। इस नसल की भैंसें व गऊओं के रख-रखाव पर प्रतिदिन 450 रुपए से 500 रुपए खर्च आता है। इनको पालने के लिए पशु खुराक, हरा चारा व अन्य दूध बढ़ाऊ वस्तुएं महंगी होने पर किसानों को दूध &0 रुपए प्रति लीटर पड़ता है। शहरों व गांवों की डेयरियों पर लोगों के घरों व होटलों तक पहुंचने के लिए 40 रुपए तक प्रति लीटर पड़ जाता है। इन पशुओं को रखने के लिए मजदूरों का खर्च भी बहुत ज़्यादा है, जिसके हिसाब से दूध उत्पादकों के खर्च भी पूरे नहीं निकलते। इस कारण किसान व दोधी भी दूध का धंधा करने से हाथ खड़े करने लगे हैं। दूध उत्पादकों ने मांग की है कि महंगाई अनुसार इस धंधे को फायदेमंद धंधा बनाने के लिए पशु खुराक से टैकस कम कर दूध का रेट प्रति लीटर 60 रुपए लीटर दिया जाए। 

सिंथैटिक दूध, मक्खन, खोया की मार्कीट में भरमार,  सेहत विभाग चुप
गांवों व शहरों में दूध का धंधा करने वालों का कहना है कि इस समय गुजरात व दूसरे राज्योंहह में से आने वाले सिंथैटिक दूध, मक्खन, खोया की मार्कीट में भरमार होने के कारण दूध की कीमत सही नहीं मिल रही, क्योंकि यह दूध उत्पादन की बाहरी फैक्टरियों की तरफ से तैयार की वस्तुएं कम रेट पर आसानी के साथ मिल जाती हैं, जिस कारण इस धंधे को काफी धक्का लग रहा है। प्रोग्रैसिव डेयरी फार्मर्ज एसो. के प्रधान दलजीत सिंह सदरपुरा व मैंबर कुलदीप सिंह कोटड़ा ने बताया कि क्वालटी के दूध उत्पादन पर 30 रुपए प्रति लीटर है परन्तु मिलावटी दूध 23 से 26 रुपए प्रति लीटर उपलब्ध हो रहा है। उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि ऐसा धंधा करने वालों पर नकेल कसी जाए। इस कार्रवाई में एसोसिएशन डट कर खड़ी होगी और पूरा सहयोग देगी।

दूध व दूध उत्पाद में मिलावटखोरी करने वाले क्षमा नहीं किए जाएंगे : काहन सिंह पन्नू
उक्त मामले को लेकर जब तंदुरुस्त सेहत मिशन के डायरैक्टर काहन सिंह पन्नू के साथ बात की तो उन्होंने कहा कि दूध उत्पादों में मिलावट सिर्फ सेहत के साथ खिलवाड़ के लिए नहीं, बल्कि डेयरी फार्मर्ज के लिए बेहद नुक्सानदेह भी है। इसलिए 3 महीनों अंदर नकली दूध, दही, खोया, पनीर आदि बनाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी और दूध व दूध उत्पाद में मिलावटखोरी करने वाले क्षमा नहीं किए जाएंगे। इस के साथ हर जिले में दूध जांच मशीनों का प्रबंधन किया जाएगा। इस समय पंजाब अंदर 44 फूड सेफ्टी अफसर हैं, जिनमें विस्तार किया जाएगा और लगातार छापेमारी कर इस गैर कानूनी धंधे को रोका जाएगा। यदि चेतावनी के बावजूद कोई ऐसा धंधा करने से बाज न आया तो बनतीं धाराओं के तहत मामला दर्ज होगा। 

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