नगर निगम की बैठक: बरसाती पानी की निकासी न होने को लेकर हंगामा

punjabkesari.in Saturday, Jul 13, 2019 - 11:34 AM (IST)

बठिंडा (विजय): आज नगर निगम बठिंडा के जनरल हाऊस की बैठक में बरसाती पानी की निकासी न होने को लेकर जमकर हंगामा हुआ।शोर-शराबे के दौरान ही निगम द्वारा जे.आई.टी.एफ. के साथ चल रहे केस में वकीलों को फीस देने के 2 प्रस्ताव पारित किए गए।

निगम बैठक में कांग्रेस पार्षदों ने पूर्व दस सालों में शहर की चरमराई सीवरेज व्यवस्था के लिए सीधे तौर पर मेयर बलवंत राय नाथ को जिम्मेदार ठहराया। कांग्रेसी पार्षद व सीनियर नेता एडवोकेट जगरूप सिंह गिल ने कहा कि अगर मेयर दिल्ली जाकर त्रिवेणी कंपनी के साथ हुए एग्रीमैंट साइन न करते तो शहर की हालत ऐसी न होती। उन्होंने कहा कि पूर्व चार साल में कोई भी विकास नहीं हुआ है। निगम कमिश्नर डा. रिशीपाल सिंह ने हाऊस को बताया कि त्रिवेणी कंपनी ने एक सप्ताह पहले उन्हें पत्र लिखकर कहा है कि बारिश के दिनों में अगर शहर डूबता है तो उसकी जिम्मेदारी कंपनी की नहीं होगी, चूंकि उन्हें बठिंडा शहर के सीवरेज के बारे में कोई जानकारी नहीं है। वहीं कमिश्नर ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए पूरे मामले के लिए सीवरेज बोर्ड को जिम्मेदार ठहराया। निगम कमिश्नर इस गैर-जिम्मेदार बयान पर पार्षद जगरूप गिल ने कमिश्नर से कहा कि वह ऐसा बयान देकर अपनी जिम्मेदारी नहीं भाग सकते। 


त्रिवेणी कंपनी के खिलाफ फूटा गुस्सा
पार्षद जगरूप सिंह गिल ने मेयर पर आरोप लगाया कि 288 करोड़ रुपए का सीवरेज-पानी प्रोजैक्ट का काम त्रिवेणी को सौंपने से पहले मेयर ने विश्वास दिलाया था, कि कंपनी के पास हाईटेक टैक्नोलॉजी के अलावा बड़े-बड़े इंजीनियर हैं, जोकि शहर की सूरत ही बदल देंगे, जबकि उनके अलावा सीनियर डिप्टी मेयर इंजी. तरसेम गोयल ने भी इसका विरोध किया था, जोकि आज भी ऑन रिकार्ड है। इस दौरान अकाली पार्षद हरपाल सिंह ढिल्लों की तरफ से बारिशों से पहले शहर के 80 फीसदी से ’यादा रोड जालियों की सफाई होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आज तक उनके वार्ड ही नहीं बल्कि शहर के किसी भी गली-मोहल्ले में बनी रोड जाली की सफाई नहीं हुई है और दावे बड़े-बड़े किए जा रहे है। अगर सफाई की गई है, तो उन्हें लिस्ट दी जाए, किस समय किस वार्ड की रोड जालियों की सफाई हुई है, अगर नहीं हुई है और कंपनी को हर माह 40 लाख रुपए सीवरेज मैंटीनैंस के दिए जा रहे हैं, तो इसकी विजीलैंस जांच होनी चाहिए, चंूकि यह पैसे आम जनता का दिया जा रहा है। करीब 3 घंटे तक चली इस मीटिंग में कांग्रेस ही नहीं बल्कि अकाली-भाजपा पार्षदों ने सीवरेज व्यवस्था को लेकर जमकर हंगामा किया। 


वकीलों की फीस के प्रस्ताव पास
निगम व जे.आई.टी.एफ. कंपनी के बीच चल रहे विवाद को लेकर वकील को दी जाने वाली फीस के प्रस्ताव पास कर दिया गया। हालांकि, पार्षद जगरूप सिंह गिल ने आपत्ति जताई कि यह प्रस्ताव हाऊस में लेकर आने वाला ही नहीं था, चूंकि पहले भी निगम के कई केस कोर्ट में चल रहे हैं, लेकिन कभी किसी वकील की फीस देने के लिए हाऊस से परमिशन नहीं ली है, निगम अधिकारी अपने स्तर पर फैसला करते हैं, इसलिए वकील की फीस देने का अधिकार निगम अधिकारियों के पास है, हाऊस से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। वहीं सप्लीमैंट्री एजैंडे के तौर पर अमरूत प्रोजैक्ट के तहत करीब 48 करोड़ रुपए से करवाए जाने वाले सीवरेज प्रोजैक्ट का काम सीवरेज बोर्ड को सौंपने को लेकर अकाली-कांग्रेसियों पार्षदों में जमकर हंगामा हुआ। अकाली-भाजपा पार्षदों ने त्रिवेणी की तरह इस पैसे को बर्बाद करने की बजाय, निगम अपने स्तर पर उक्त प्रोजैक्ट को करवाने की बात कह रहा है, जबकि कांग्रेसी पार्षद गिल ने सरकार की चिट्ठी का हवाला देते हुए कहा कि निगम के पास कोई अधिकार ही नहीं है कि वह यह काम करवा सके। 

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