पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफैसरों को करना पड़ता है क्लर्क का काम

punjabkesari.in Friday, Oct 12, 2018 - 01:18 PM (IST)

बठिंडा(आजाद): किसी भी यूनिवर्सिटी में प्रोफैसर की नियुक्ति स्टूडैंट को पढ़ाने के साथ-साथ शैक्षणिक गतिविधियों से जुड़े रहना होता है, लेकिन इसके उलट पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफैसर स्टूडैंट्स को पढ़ाने के बजाय गैर-शैक्षणिक गतिविधियों में ज्यादा व्यस्त रहते हैं। प्रोफैसरों को दिन भर कार्यालय के कामों में व्यस्त देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह टीचर नहीं कोई क्लर्क होगा।

सूत्रों की मानें तो यूनिवर्सिटी  के ज्यादातर विभाग में एक भी क्लर्क व चपरासी नहीं है जिसके कारण विभाग के सारे गैर-शैक्षणिक काम विभागाध्यक्ष व अन्य शिक्षक के जिम्मे है। विभागाध्यक्ष खुद से नोटिंग व ड्राफटिंग करने के बाद उसकी फाइल भी खुद ही बनाते हैं। उस बनाई हुई फाइल को लेकर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के चक्कर लगाने में ही सारा दिन गुजार देते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण स्कूल ऑफ ग्लोबल रिलेशन के  अंतर्गत संचालित होने वाला साऊथ एंड सैंट्रल एशिया स्टडी (इंक्लूडिंग हिस्टॉरिकल स्टडीज) विभाग व राजनीतिक शास्त्र विभाग, इतिहास विभाग आदि हैं। इन विभागों में पीएच.डी. व मास्टर के कोर्स संचालित किए जा रहे हैं लेकिन इसमें एक भी क्लर्क व चपरासी नहीं होने के कारण सारा गैर-शैक्षणिक काम विभागाध्यक्ष को ही करना पड़ता है। 

यही हाल विश्वविद्यालय के अन्य विभागों का भी है। इस विश्वविद्यालय के ज्यादातर टीचरों का कहना है कि समय रहते काम नहीं निपटने के कारण कभी-कभी तो देर रात तक विश्वविद्यालय में ही रुक कर भी काम करना पड़ता है। समैस्टर परीक्षा के समय ’यादा परेशानी होती है क्योंकि क्लास लेने व गैर-शैक्षणिक काम करने के बाद परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिका भी चैक करनी होती है। इस तरह से प्रोफैसरों को अतिरिक्त कार्य करने पड़ रहे हैं, जिससे उनका शोषण किया जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी कोई कुछ खुल कर बोलने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।
 

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