थर्ड डिग्री टार्चर का मामला: सैशन कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई,इंस्पैक्टर व डाक्टर पर केस दर्ज

punjabkesari.in Saturday, Jul 14, 2018 - 04:08 PM (IST)

बठिंडा (विजय): पुलिस ने कोर्ट के आदेश को मानते हुए सी.आई.-2 के प्रभारी तरजिंद्र सिंह व सिविल अस्पताल के डा. हरमीत सिंह पर विभिन्न धाराओं के तहत थर्ड डिग्री टार्चर के संबंध में मामला दर्ज किया है। पुलिस ने उक्त कार्रवाई सैशन कोर्ट के आदेश पर की, जबकि इससे पहले निचली अदालत ने मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे, जिस पर सैशन कोर्ट ने एक दिन की रोक लगाते हुए अपनी देख-रेख में सुनवाई करने के निर्देश जारी किए थे। 

सैशन कोर्ट ने मामले की गहराई तक जाने के बाद पुलिस को 10 दिन में आरोपी पुलिसकर्मियों व डाक्टर के विरुद्ध मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए थे। एस.एस.पी. नवीन सिंगला का तबादला हो चुका है और जाते-जाते उन्होंने कोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए थाना सिविल लाइन में सी.आई. इंस्पैक्टर व डाक्टर पर एफ.आई.आर. करने का हुक्म सुना दिया। पुलिस ने बेशक दोनों आरोपियों पर मामला दर्ज कर लिया, लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं हुई। पुलिस ने इस एफ.आई.आर. को छिपाने का भर्सक प्रयास भी किया, यहां तक कि रोजाना क्राइम रिपोर्ट में भी उक्त मामले के कोई संकेत नहीं थे, लेकिन मीडिया को जैसे ही इसकी भनक लगी तो थाने के संतरी से लेकर एस.पी. रैंक के अधिकारी इस पर चुप्पी साधे रहे। मीडिया के दबाव के आगे आखिर पुलिस को इस एफ.आई.आर. का खुलासा करना ही पड़ा। 

क्या था मामला
शराब के ठेकेदारों के साथ चैकिंग टीम गांव दौलतपुरा में थाना बालियांवाली पुलिस छापा मारने गई, तभी पी.आर.टी.सी. के ड्राइवर कुलविंद्र सिंह ने पुलिस कर्मियों की मोबाइल में वीडियो बनानी शुरू कर दी, जिसे लेकर तैश में आए पुलिस कर्मियों ने उसका मोबाइल तो तोड़ा ही साथ में उस पर गंभीर धाराओं के तहत मामला भी दर्ज कर लिया था। 24 जून को पुलिस ने छापामारी की और 25 जून को कुलविंद्र सिंह को गिरफ्तार कर उसे थर्ड डिग्री टार्चर किया, यहां तक कि उसके गुप्त अंगों में पैट्रोल व करंट लगाया। पीड़ित को जब 26 जून को न्यायाधीश के पास पेश किया तो उसने अपनी व्यथा सुनाई और पुलिस पर थर्ड डिग्री टार्चर करने के आरोप लगाए।

पीड़ित के वकील हरपाल खारा ने भी अदालत को पुलिस के अमानवीय व्यवहार के बारे में बताया, तब न्यायाधीश ने पीड़ित का पुन: मैडीकल करवाने के भी आदेश दिए, जिसकी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि पीड़ित के साथ मारपीट हुई और उसके शरीर पर घाव भी हैं, लेकिन डाक्टर करंट व पैट्रोल की पुष्टि नहीं कर पाए। निचली अदालत के फैसले को लेकर एस.एस.पी. के आदेश पर एस.पी. (डी.) ने सैशन कोर्ट में याचिका दायर की जहां अतिरिक्त सत्र एवं जिला न्यायाधीश ने इस पर एक दिन की रोक लगाई। 3 दिन के बाद एडीशनल सैशन जज ने एस.एस.पी. को निर्देश जारी किए कि वह 10 दिन में इस मामले की जांच कर आरोपी इंस्पैक्टर व डाक्टर के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करें। 12 जुलाई को आधी रात के समय उक्त दोनों पर मामला दर्ज कर लिया, लेकिन इसे पूरी तरह गुप्त रखा गया। शुक्रवार 13 जुलाई को मीडिया कर्मियों को किसी तरह इसकी भनक लग गई, तब पुलिस को इस संबंधी जानकारी देनी ही पड़ी, यहां तक कि कुछ मीडिया कर्मियों से कुछ पुलिस वाले उलझ भी गए। 

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