लगातार बढ़ रहा जल संकट, सरकार की कार्रवाई सिर्फ खानापूर्ति

punjabkesari.in Monday, Jun 24, 2019 - 01:23 PM (IST)

बठिंडा (विजय/राजवंत/अमिता): प्राचीन काल से ही जल के प्रयोग को सीमित रखने की योजनाओं पर विचार हो रहा है, लेकिन जल को बचाने के लिए कोई भी कारगर स्रोत अभी तक सामने नहीं आया। वर्तमान में विश्व सहित भारत के कई हिस्सों में जल का संकट गंभीर बना हुआ है। पेयजल को लेकर हिंसक झड़पें भी हो रही हैं। कई क्षेत्रों में तो पानी लेने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। देश के लिए जल संकट अति महत्वपूर्ण प्रश्न बन चुका है। यद्यपि देश का 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से घिरा हुआ है परन्तु स्वच्छ जल की समस्या विकट बनी हुई है। देश के कई रा’यों में जलस्रोत सूख चुके हैं। जहां जल है वहां का भू-जल स्तर लगातार गिर रहा है। सरकार मात्र खानापूर्ति करते हुए जल बचाने की अधिसूचना जारी कर देती है लेकिन उसे लागू करने को कोई तैयार नहीं।


 बुड्ढा  नाला इस समय भारत का सबसे बड़ा दूषित नाला : प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड
केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अनुसार बुड्ढा नाला इस समय भारत का सबसे बड़ा दूषित नाला है। यह नाला वलीपुर कलां निकट सतलुज दरिया में मिल रहा है। इस जगह पर दरिया का रंग काला हो जाता है जो आगे जाकर सतलुज का पानी फगवाड़ा ड्रेन, जसमेर ड्रेन, काला संघा ड्रेन, चिट्टी बेईं के जरिए सतलुज मेंं आ रहा है। इन ड्रेनों के जरिए भी अन्य नहरें भी इस दरिया में आ रही हैं। सतलुज दरिया हरीके पत्तन पर ब्यास से मिलकर जाता है। यहां से दो नहरों के जरिए पानी मालवा व राजस्थान जाता है यहां लोग इस पानी को पीने के लिए प्रयोग करते हैं। यही कारण है कि यहां के लोग कैंसर व काला पीलिया की बीमारी की चपेट में हैं। इन जगहों पर सबसे ’यादा इन बीमारियों से पीड़ित लोग हैं। 


‘2026 तक 60 फीसदी अंडरग्राऊंड वाटर नहीं रहेगा पीने योग्य’
एक अध्ययन के मुताबिक यदि पंजाब में इसी तरह से पानी का प्रयोग तेजी से होता रहा तो 2026 तक 60 फीसदी अंडरग्राऊंड वाटर पीने योग्य नहीं रहेगा व रा’य का एक हिस्सा रेगिस्तान बन जाएगा। पंजाब के 9 जिलों में पिछले वर्ष मेंं अंडरग्राऊंड वाटर औसतन 0.77 मीटर से 1.59 मीटर (डेढ़ मीटर) से भी ’यादा नीचे गिर रहा है।  पंजाब में इस वक्त धान की रोपाई जोरों पर है। प्रदेश भर में प्रतिवर्ष धान की रोपाई बड़े स्तर पर अंडरग्राऊंड वाटर को प्रभावित करती है।  


मालेरकोटला के निकट बह रही ड्रेन लोगों को बांट रही बीमारियां
मालेरकोटला के निकट बह रही ड्रेन भी इस नाले से बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। किसान इसके जरिए जहरों से खेती कर रहे हैं जो आगे जाकर लोगों में कैंसर जैसी नामुराद बीमारियां बांट रहे हैं। मालेरकोटला जो भारत की सबसे बड़ी सब्जी मंडी के तौर पर जाना जाता है, से पूरे भारत में सब्जियां सप्लाई की जाती हैं। उक्त सब्जियां गंदे नाले के पानी से प्रदूषित पानी के कारण की होती हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग ऐसी सब्जियां खाकर मौत को गले लगा रहे हैं। ऐसे पानी के कारण जहां पंजाब की खेती जहरीली हो रही है वहीं बीमारियां बढ़ रही हैं। 

जहरीले भू-जल के चलते मालवा क्षेत्र बना कैंसर की पट्टी
पंजाब के मालवा क्षेत्र  में हर वर्ष धान की रोपाई बड़े स्तर पर की जाती है। धान की फसल पानी को काफी हद तक प्रभावित करती है। मालवा के पानी में भारी मात्रा में यूरेनियम मिला हुआ है जिसके चलते यहां कैंसर व काला पीलिया जैसी बीमारियों ने पैर पसार रखे हैं। मालवा का शहर बङ्क्षठडा इस वक्त दूषित पानी की चपेट में है। बङ्क्षठडा में कैंसर की मार सबसे अधिक है। हर वर्ष 50 के करीब मौतें यहां कैंसर के कारण होती हैं। बङ्क्षठडा से एक ट्रेन भी चलती है जिसको कैंसर ट्रेन कहा जाता है। 

‘मालवा क्षेत्र के भूमि निचले पानी में पाया गया है यूरेनियम का गंभीर स्तर’
वैज्ञानिकों के ताजा अध्ययन के मुताबिक पंजाब के मालवा क्षेत्र के भूमि निचले पानी में यूरेनियम का गंभीर स्तर पाया गया है। पेयजल के 24 प्रतिशत नमूनों में यूरेनियम की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के निर्धारित मापदंड से अधिक पाई गई, वहीं नौ प्रतिशत ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) के मानकों से अधिक पाया गया है। विभिन्न क्षेत्रों के प्रति लीटर भूमि निचले पानी में यूरेनियम की औसत मात्रा 26.51 माईक्रोग्राम पाया गई। ऐसा हाल सिर्फ पंजाब का ही नहीं, बल्कि राजस्थान, उड़ीसा, बिहार में भी अंडरग्राऊंड वाटर की दिक्कतें बढऩे लगी हैं। पंजाब में हर रोज 145 फीसदी की दर से अंडरग्राऊंड वाटर बाहर निकाला जा रहा है जिसके चलते पानी का स्तर खतरे की हदों को पार करने लगा है यही कारण है कि पंजाब के मालवा को अब डार्क जोन में रखा गया है। 


पानी की बचत के लिए रिचार्ज ही एकमात्र विकल्प
भूमि निचले पानी के गिर रहे स्तर को रोकने का एकमात्र विकल्प वाटर हार्वैस्टिंग है। बारिश के पानी को हार्वैस्ट (धरती में स्टोर) किया जाए तो इस समस्या से बचा जा सकता है। विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में बरनाला, बठिंडा, लुधियाना, शहीद भगत सिंह नगर, संगरूर, पटियाला, मोगा, जालंधर व फतेहगढ़ साहिब जिलों में स्थिति बेहद गंभीर है, जबकि श्री मुक्तसर साहिब व फाजिल्का जिलों में भी यही हाल है। होशियारपुर में बारिश के पानी की हार्वैसिं्टग से भूमि निचले पानी का स्तर 0.16 मीटर से 0.50 मीटर औसतन ऊपर आया दर्ज किया गया है। विभाग अधिकारियों का मानना है कि हर वर्ष पंजाब के पानी का आधे से ’यादा हिस्सा धान की फसलों मेंं प्रयोग होता है फिर चाहे वह पानी अंडरग्राऊंड हो या नहरों का।  पंजाब में ऐसी फसलों का उत्पादन हो जिनसे पानी का कम प्रयोग हो जैसे कि नरमा। 

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