भू-जल संकट बरकरार, 85 फुट नीचे गिरा जल स्तर

punjabkesari.in Thursday, Jun 14, 2018 - 01:53 PM (IST)

बठिंडा(आजाद): गर्मी का कहर लगातार जारी है जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रहा है। जिस रफ्तार से गर्मी के ग्राफ में बढ़ौतरी हो रही, उसी रफ्तार से शहर में पानी की मांग में इजाफा हुआ है। इतनी गर्मी में शहर निवासियों को हर जरूरत की आपूर्ति के लिए भू-जल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। गर्मी के कारण भू-जल स्तर खिसक कर 85 फुट नीचे चला गया है। पिछले साल की तुलना में यह आंकड़ा करीब 10 फुट अधिक है। दरअसल पिछले साल भूजल 12 से 15 फुट तक नीचे जाने से 75 फुट पर पानी निकलता था लेकिन इस साल 80 फीट के बोरवैल सूखने लगे हैं। जाहिर है कि भू-जल संकट बढऩे वाला है। अलबत्ता सर्दियों से पहले और बाद के अनौपचारिक आंकड़े आने वाले समय में जबरदस्त जल संकट की आशंका को पुख्ता कर रहे हैं। 

मई से आने लगी जल स्तर में गिरावट
मई से ही बठिंडा के जल स्तर में गिरावट आने लगी है। जानकारों का कहना है कि जून से गर्मी में एकाएक इजाफा हो गया है जिस कारण तापमान 44 के पार चला गया है। इससे शहरों व गांवों में 3 से 5 फुट तक भू-जल नीचे चला गया है। यह गिरावट हाल की ही है। इस स्थिति में जून के अंत तक 25 से 30 फुट नीचे जल स्तर जाने की आशंका है। भू-जल नीचे जाने की रफ्तार अप्रत्याशित है। इसको लेकर नगर निगम और उससे जुड़ी एजैंसियां मंथन करने में जुट गई हैं लेकिन जिम्मेदार एजैंसियां भू-जल स्तर के सुधार को लेकर बिल्कुल चुप्पी साधे हुई हैं। नगर निगम क्षेत्र में 102 पम्पों के माध्यम से 30 से 40 प्रतिशत इलाकों में घरों तक जलापूर्ति की जाती है। निगम क्षेत्र में जहां सप्लाई पानी नहीं पहुंचता, वहां लोग निजी बोरिंग करवाकर पेयजल की समस्या दूर करते हैं। 

शहर के इन इलाकों में है समस्या
हैरत की बात यह है कि हैंडपम्प व बोर सूख गए हैं जबकि वे हाल ही में लगाए गए थे। जाहिर है कि भू-जल स्तर तेजी से खिसका है। स्थिति यह है कि वार्ड संख्या 20 व 22 में करीब 20 बोरिंग हैं जो मुरम्मत के अभाव में जर्जर हैं। यह स्थिति कमोबेश अधिकतर वार्डों की है। वहीं भू-जल स्तर नीचे जाने पर मोटर भी खूब चलती है। इसलिए लोग पेयजल की समस्या से जूझने को मजबूर हो रहे हैं।

पिछले वर्ष 4 मीटर नीचे गया था भू-जल स्तर
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की मानें तो गर्मी में सिर्फ बठिंडा के भू-जल स्तर में ही गिरावट नहीं आती बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी भू-जल स्तर नीचे चला जाता है। पिछले साल मई में किए गए अध्ययन के अनुसार बठिंडा के औसत भू-जल स्तर में 4 मीटर (12 से 15 फुट ) तक की गिरावट दर्ज की गई थी। 

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