‘कोरियर डिलीवरी ब्वॉय’ बना चीन का तीसरा सबसे अमीर आदमी
punjabkesari.in Monday, Mar 06, 2017 - 10:39 PM (IST)

हर व्यवसाय के अपने-अपने धुरंधर और उस्ताद लोग होते हैं, चाहे वह व्यवसाय कितना भी मामूली क्यों न हो लेकिन हम यहां किसी छोटे-मोटे उस्ताद की नहीं बल्कि एक अरबपति की बात कर रहे हैं। यह अरबपति अपनी हिम्मत से यहां तक पहुंचा है। कोई समय था जब वह एक शहर से दूसरे तक ग्राहकों को विभिन्न उत्पाद पहुंचाने के लिए भाग-दौड़ करने वाला ‘कोरियर डिलीवरी ब्वॉय’ था और इसी दौरान उसने एक प्रभावशाली ‘कोरियर साम्राज्य’ खड़ा कर लिया और इस समय चीन के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक है।
एस.एफ. एक्सप्रैस के बॉस वांग वेई ने अभी एक सप्ताह पूर्व ही अपनी कम्पनी को स्टॉक एक्सचेंज पर पंजीकृत करवाया था और इसी एक सप्ताह में उसकी व्यक्तिगत दौलत 22.5 बिलियन पौंड (1800 अरब रुपए) के अकल्पनीय स्तर पर पहुंच गई है। इसका तात्पर्य यह है कि रियल एस्टेट दिग्गज वांग जियानलिन (2100 अरब रुपए) तथा ई-कामर्स दिग्गज जैक मा (1900 अरब रुपए) के बाद 46 वर्षीय वांग वेई चीन का तीसरा सबसे अमीर आदमी बन गया है।
एस.एफ. एक्सप्रैस ने चीन की शेनझेन स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीकरण की सभी प्रक्रियाएं गत शुक्रवार को पूरी कर दी थीं और इस सूचीकरण की बदौलत यह पूंजीकरण की दृष्टि से अपनी प्रतिद्वंद्वी जैड.टी.ओ. एक्सप्रैस को पीछे छोड़ते हुए चीन की सबसे बड़ी कोरियर कम्पनी बन गई है। डी.टी.ओ. ने न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज में अक्तूबर में अपना सूचीकरण करवाया था। इससे पहले उसे 114 अरब रुपए की पूंजी जनता से जुटानी पड़ी थी।
एस.एफ. एक्सप्रैस के सूचीकरण ने इस कम्पनी के संस्थापक और चेयरमैन वांग वेई को करोड़पति से कई अरब रुपए की सम्पत्ति का मालिक बना दिया है। यदि इसकी बाजार हिस्सेदारी वर्तमान गति से बढ़ती रही तो वांग वेई जल्दी ही चीन का सबसे धनाढ्य व्यक्ति बन जाएगा। चीन के लगभग प्रत्येक नागरिक ने या तो एस.एफ. एक्सप्रैस के माध्यम से गत एक दशक दौरान कभी न कभी कोई पार्सल भेजा होगा या उसे इसके माध्यम से पार्सल मिला होगा। वांग वेई के कोरियरों की डिलीवरी टीम में 12000 लोग काम करते हैं और वे करोड़ों पौंड के सामान से लेकर एक चूजे के पंजे पर चढ़ाने वाली पोटली तक की डिलीवरी चीन के किसी भी शहर, कस्बे या गांव में कर सकते हैं।
जीते-जी दंत कथा बन चुके वांग वेई का करियर 24 वर्ष पूर्व तब शुरू हुआ था जब वह कपड़े का व्यापार करता था। तब उसे अपने शहर ग्वांगदांग से पड़ोस के महानगर हांगकांग में अपने ग्राहकों को कपड़े के नमूने भेजने के लिए काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। दो दशक पूर्व चीन के लोगों के लिए हांगकांग में कोई पार्सल या पत्र भेजने का एक ही रास्ता था-सरकारी स्वामित्व वाली डाक व्यवस्था। यह महंगी होने के साथ-साथ बहुत सुस्त-रफ्तार भी थी। एक ही दिन में माल पहुंचा देना और दूसरी ओर से कुछ मंगवा लेना उस समय अकल्पनीय लगता था। बहुत महत्वाकांक्षी व्यवसायियों को भी यह अवधारणा असंभव महसूस होती थी।
वांग को लगा कि बाजार में इस काम को विस्तार देने का अवसर मौजूद है। इसलिए 22 वर्ष की आयु में उसने अपने पिता से 11,800 पौंड (9 लाख 65 हजार रुपए) उधार लिए और शुंडे कोरियर कम्पनी शुरू कर दी। उस समय इस कम्पनी में केवल 6 कर्मचारी थे। यह कम्पनी ग्वांगदांग की फैक्टरियों को अपने उत्पाद हांगकांग में कोरियर द्वारा भेजने में सहायता देती थी। उन दिनों हांगकांग ब्रिटिश उपनिवेश था।
वांग का जन्म चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई में हुआ था। उनके पिता रूसी भाषा के अनुवादक थे और मां एक विश्वविद्यालय में पढ़ाती थी। वह अपने माता-पिता के साथ 7 वर्ष की आयु में हांगकांग चला गया था और वहीं पला-बढ़ा था।