पंजाब की नदियों में घुल रहा लाखों लीटर गंदा पानी

punjabkesari.in Sunday, May 20, 2018 - 09:38 AM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी): ब्यास दरिया में प्रदूषण फैलने के बाद बेशक सरकार अब नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का दावा कर रही है लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सालभर पहले सरकार ने स्टेट ट्रीटेड वेस्ट वाटर पॉलिसी-2017 घोषित कर सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट से निकलने वाले पानी को खेतों तक पहुंचाने का दावा किया था। तब कहा गया था कि इससे पानी का रियूज होगा और गंदा पानी नदियों में नहीं घुलेगा।

इसके बावजूद आज भी रोजाना लाखों लीटर गंदा पानी सीधे नदियों में धकेला जा रहा है। ऐसा इसलिए है कि प्रदेश में रोजाना करीब 2120 मिलियन लीटर गंदा पानी निकलता है लेकिन इसमें से केवल 250 एम.एल.डी. ट्रीटेड वेस्ट वाटर ही खेतों तक पहुंच रहा है। सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट से निकलने वाले महज 103.5 एम.एल.डी. पानी को ही सिंचाई स्कीम के अधीन लाया जा सका है। वहीं बाकी करीब 147 एम.एल.डी. पानी को किसान खुद अपने स्तर पर खेतों तक पहुंचा रहे हैं। 

साल में केवल 75 एम.एल.डी. गंदा पानी हो पाया साफ
सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट के आंकड़ों की बात करें तो सालभर में सरकार केवल 75 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एम.एल.डी.) सीवरेज ट्रीटमैंट का इंतजाम कर पाई है। मई 2017 में घोषित पॉलिसी के जरिए सरकार ने घोषणा की थी कि सालभर में 435 एम.एल.डी. दूषित पानी को साफ-सुथरा किया जाएगा और 2018 के दौरान प्रदेश में करीब 1740.6 एम.एल.डी. दूषित पानी साफ होने लगेगा क्योंकि सरकार पहले ही 1305.6 एम.एल.डी. दूषित पानी को साफ-सुथरा कर रही है। इसके बावजूद सालभर में सरकार 75 एम.एल.डी. की बढ़ौतरी के साथ केवल 1380 एम.एल.डी. दूषित पानी साफ करने का लक्ष्य ही तय कर पाई है। इस आंकड़े पर भी पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने सवालिया निशान लगाया हुआ है।

सरकारी दावों की पोल खोल रहा बोर्ड
पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मैंबर सैक्रेटरी पवन गर्ग की मानें तो पंजाब में जो भी सरकारी सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट लगाए गए हैं वे पानी की गुणवत्ता के तय पैमानों पर खरे नहीं उतरते हैं। सरकार का दावा है कि प्रदेशभर में 85 ट्रीटमैंट प्लांट चल रहे हैं लेकिन इनमें से केवल 15 ही ऐसे हैं जो दूषित पानी को सही तरीके से साफ कर पा रहे हैं। 

85 सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट में से 18 की हो रही जांच 
85 सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट में अभी 18 ऐसे प्लांट हैं जिनकी जांच-पड़ताल हो रही है। इन्हें चालू तो कर दिया गया है लेकिन अभी इनसे निकलने वाली पानी की गुणवत्ता को टैस्ट किया जा रहा है इसलिए इन्हें पानी की गुणवत्ता के लिए तय निर्धारित पैमानों पर खरा नहीं माना जा सकता। 

ब्यास नदी में दिखाई दी डॉल्फिन
 आखिरकार 2 दिन बाद ब्यास दरिया में डॉल्फिन का दीदार हुआ। वन्यजीव विभाग व डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. की टीम शनिवार सुबह से ही डॉल्फिन की खोज में जुट गई थी। कई घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार दोपहर में 2 डॉल्फिन दिखाई दीं जिसके बाद टीम ने राहत की सांस ली। पंजाब के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन कुलदीप कुमार ने बताया कि डॉल्फिन सुरक्षित हैं। घडियाल भी बेहतर स्थिति में हैं। वे भी टापुओं पर दिखाई दे रहे हैं। मौसम खराब होने की वजह से शाम को खोजबीन का अभियान रोक दिया गया था। 

उन्होंने बताया कि डैम से पानी छोड़ने के कारण ब्यास दरिया के पानी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। हालांकि हरिके पत्तन में पानी को साफ होने में कई दिन लग सकते हैं। वहीं चड्ढा शूगर मिल की मालकिन जसदीप कौर चड्ढा के चाचा व मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के धार्मिक मामलों के सलाहकार परमजीत सिंह सरना ने कहा कि चड्ढा शूगर मिल का स्टाफ सरकार द्वारा की जाने वाली जांच-पड़ताल में सहयोग करेगा। 

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