पंजाब में कांग्रेस की जीत पर खामोश नवजोत सिद्धू, सियासी गलियारों में छिड़ी चर्चा

punjabkesari.in Friday, Feb 19, 2021 - 02:17 PM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी): पंजाब निकाय चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत पर चौतरफा चर्चा हो रही है, लेकिन पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू खामोश हैं। आमतौर पर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले सिद्धू ने अपने किसी सोशल मीडिया हैंडल पर निकाय चुनाव की जीत पर प्रतिक्रिया तक नहीं दी है। हालांकि किसान आंदोलन के समर्थन में उनकी सोशल मीडिया पर सक्रियता लगातार बरकरार है।

17 फरवरी को चुनावी नतीजों के दिन उन्होंने किसानों के समर्थन में ट्वीट करते हुए शायराना अंदाज में लिखा कि लहरों को खामोश देखकर ये न समझना कि समंदर में रवानी नहीं, हम जब भी उठेंगे तूफान बनकर उठेंगे, बस उठने की अभी ठानी नहीं। इसी कड़ी में वीरवार को भी उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि काले कानून वाले किसानों की इस उफानी नदी को न रोकें। ये नदी अपने खतरे के आखिरी निशान पर अब है। शाही फरमान पर किसान भला कैसे न कुछ बोलें। जिसका शिकंजा ही किसानों के गिरेबान पर अब है। यह आलम तब है जबकि पंजाब में मिली जीत पर राज्य स्तर तक ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर तक के नेताओं व समर्थकों ने बधाई देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पंजाब निकाय चुनाव में कांग्रेस की शानदार जीत ट्वीटर पर टॉप ट्रैंड में रही। कई फिल्मी जगत के सितारों तक ने कांग्रेस की जीत पर ट्वीट किया। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ से लेकर पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत तक ने मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह को बधाई देते हुए पंजाब की भावना के अनुरूप भावी रणनीति का ऐलान कर दिया है। जाखड़ तो कैप्टन को 2022 के चुनावी जहाज का कप्तान घोषित कर चुके हैं।

सिद्धू किसानों के समर्थन में ट्वीट तक ही सीमित रहे
बावजूद इसके सिद्धू किसानों के समर्थन में ट्वीट तक ही सीमित रहे। सिद्धू के इस मौन को राजनीतिक विशेषज्ञ कई मायनों से देख रहे हैं। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इन नतीजों ने पंजाब में कै. अमरेंद्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू दोनों की भूमिका को तय कर दिया है। सिद्धू लगातार हाईकमान के समक्ष पंजाब में अपनी भूमिका को लेकर सवाल उठते रहे हैं। कहा तो यहां तक जा रहा था कि सिद्धू कै. अमरेंद्र सिंह के जरिए नहीं बल्कि कांग्रेस हाईकमान के जरिए पंजाब में कोई अहम जिम्मेदारी संभालने की कोशिश में हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने पिछले दिनों कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी की थी। हाईकमान ने उनकी बात सुनी थी लेकिन पंजाब निकाय चुनाव के चलते सिद्धू पर कोई फैसला नहीं हो पाया। कहा जा रहा है कि हाईकमान भी पंजाब निकाय चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रहा था। अब जबकि नतीजे कांग्रेस के पक्ष में शानदार तरीके से आए हैं तो कैप्टन एक बार फिर खुद को साबित करने में सफल हो गए हैं। ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू की भूमिका पर एक बार फिर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। यही वजह है कि नवजोत सिंह सिद्धू इस जीत पर बधाई तक देने से कतरा रहे हैं। हालांकि कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि इस चुनाव में नवजोत सिंह सिद्धू की कोई भूमिका ही नहीं थी, इसलिए वह इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं। सिद्धू तभी प्रतिक्रिया देने या जिम्मेदारी निभाने की मुद्रा में आते हैं, जब उन्हें टास्क सौंपा जाता है।


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Vatika

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