सभी गांवों में है शराब का ठेका, कईयों में नहीं हैं स्कूल

punjabkesari.in Monday, Jun 17, 2019 - 09:24 AM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): गुरुओं, पीरों, शूरवीरों, बहादुरों व शहीदों की ऐतिहासिक धरती पंजाब में इस समय नशों का छठा दरिया बह रहा है तथा इस दरिया में हजारों लोग डूब चुके हैं। कभी देश के खुशहाल कहे जाने वाले पंजाब राज्य के अधिकांश लोग बड़ी संख्या में नशे के आदी हो चुके हैं। नशों का रुझान गत 2 दशकों से बढ़ा है तथा अब तक नशों के कारण अनेक लोगों की मौत हो चुकी है। नौजवान पीढ़ी को नशों ने बर्बाद करके रख दिया है। शराब पीने से सबसे अधिक मौतें हो रही हैं व शराब ने अनेक घरों को बर्बाद कर दिया है। समय की सरकारें, सियासी नेताओं व प्रशासन के उच्चाधिकारी वैसे तो बातें नशा मुक्त समाज की सृजना करने व तंदुरुस्त पंजाब की कर रहे हैं, परंतु नशे कहीं भी पहले से कम नहीं, बल्कि और बढ़े हैं।

बड़ी बात तो यह है कि राज्य भर के गांवों में भले अनेक कमियां हैं तथा लोग कई तरह की समस्याओं का शिकार हैं, परंतु पंजाब सरकार ने एक तरक्की जरूर करवाई है कि प्रत्येक गांव में देसी व अंग्रेजी शराब के ठेके खुलवा दिए हैं। एक भी ऐसा गांव नहीं बचा होगा जहां शराब का ठेका न हो, बल्कि बड़े गांवों में 3-3 शराब के ठेके खुले हुए हैं। ठेकेदारों ने अवैध तौर पर भी शराब की ब्रांचें खुलवाई हुई हैं। कर व आबकारी विभाग द्वारा शराब का ठेका खुलने का समय सुबह 9 बजे रखा गया है। इसके बावजूद कई गांवों में शराब का ठेका सुबह 6 बजे से पहले ही खुल जाता है। शराब पीने से लोगों की सेहत खराब हो रही है तथा लोग मर रहे हैं, परंतु सरकार को शराब से करोड़ों-अरबों रुपए आमदनी हो रही है। इस कारण सरकारें चुप रहती हैं, परंतु दूसरी ओर सरकारें लोगों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया करवाने की ओर ध्यान ही नहीं दे रही हैं। इसकी उदाहरण मालवा के चॢचत जिले मुक्तसर से मिलती है। इस अहम मसले को लेकर ‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस सप्ताह की यह विशेष रिपोर्ट तैयार की गई है।

जिले के 140 गांवों में नहीं है सरकारी पशु अस्पताल 
जिले के 4 ब्लाकों में 241 के लगभग गांव हैं तथा हर गांव में शराब का ठेका है, परंतु लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए 100 से अधिक गांवों में सरकारी स्वास्थ्य डिस्पैंसरियां अभी तक नहीं बनाई गईं जिस कारण लोग खासकर गरीब जनता परेशान हो रही है। जिन गांवों में डिस्पैंसरियां हैं, उनमें से भी कइयों में डाक्टर नहीं हैं। यही हाल सरकारी पशु अस्पतालों का है। जिले के 140 गांवों में सरकारी पशु अस्पताल ही नहीं है। पशु पालक डाक्टर न होने कारण परेशान हो रहे हैं। प्राइवेट डाक्टर दूर से मंगवाने पड़ते हैं व कई बार पशुओं का नुक्सान भी हो जाता है। जिन गांवों में सरकारी पशु अस्पताल हैं, उनमें से कइयों में डाक्टर नहीं हैं।इसी तरह जिले में कई ऐसे गांव हैं, जहां बच्चों के पढऩे के लिए अभी तक सिर्फ सरकारी प्राइमरी स्कूल चल रहे हैं व शिक्षा सुविधाओं से वंचित हैं। कई गांवों में 8वीं कक्षा तक ही सरकारी स्कूल है। यदि सरकार हर गांव में शराब का ठेका खोल सकती है तो फिर हर गांव में 10वीं या 12वीं तक सरकारी स्कूल क्यों नहीं खोला जा सकता।

40 से 50 गांवों में बंद पड़े हैं आर.ओ. सिस्टम
जिला श्री मुक्तसर साहिब के बहुत से गांवों में लोगों को सुविधाएं देने के लिए सेवा केंद्र खोले गए थे, परंतु कुछ माह पहले सरकार ने गांवों में खोले गए ये केंद्र बंद कर दिए तथा जिले में सिर्फ 20 सेवा केंद्र ही चल रहे हैं। सेवा केंद्र बंद होने से लोगों को बड़ी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। काम करवाने के लिए अपना गांव छोड़कर अन्य गांवों में जाना पड़ता है, जिससे समय भी खराब होता है तथा किराया भी लगता है। वहीं जिले के लगभग 40-50 गांव में आर.ओ. सिस्टम बंद पड़े हैं, परंतु सरकारों का कोई ध्यान नहीं। कई गांवों में अभी तक बस सेवा ही नहीं है। कुछ गांव ऐसे हैं, जहां अभी तक डाकघर ही नहीं है। पैसों के लेन-देन के  लिए सरकारी या प्राइवेट बैंक नहीं। ए.टी.एम. मशीनों की कमी है। छप्पड़ों में गंदा पानी बीमारियों को जन्म दे रहा, परंतु इस ओर सरकारों का ध्यान ही नहीं है। बस हर साल शराब के ठेकों की गिनती में वृद्धि कर दी जाती है।

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