अगर अस्पताल में दवाएं दान में दी तो करेंगे कानूनी कार्रवाई

punjabkesari.in Tuesday, Jan 08, 2019 - 12:00 PM (IST)

जैतो(जिन्दल): सिविल अस्पताल जैतो में पहले ही डाक्टरों की भारी कमी थी, परन्तु अब इस अस्पताल में पक्के तौर पर काम कर रहे डाक्टर रुपिन्द्र कौर एम.डी. (मैडीसन) और गायनी के डाक्टर बलजीत कौर भी इस अस्पताल को अलविदा कह गए हैं। इनकी जगह पर अब केवल एक मैडीकल अफसर डा. पुनीत कौर ही काम कर रहे हैं। एमरजैंसी सेवाएं भी ठप्प हैं।

इस अस्पताल में दवाओं की कमी होने के कारण यहां मौजूद सीनियर मैडीकल अफसर डा. चंद्र प्रकाश की तरफ से अस्पताल की डिस्पैंसरी के आगे एक पोस्टर लगा दिया गया है कि सिविल अस्पताल जैतो की डिस्पैंसरी में दवाओं की कमी होने के कारण मरीजों से अपील की जाती है कि यहां मौजूद स्टाफ के साथ दवाएं न होने के संबंध में बहसबाजी या परेशान न किया जाए। अब डिस्पैंसरी में मरीजों ने दवाएं मांगनी बंद कर दी हैं।एक महान दानी पुरुष ने अस्पताल को कुछ जरूरी दवाएं देने की कोशिश की, परन्तु एस.एम.ओ. की तरफ से दान में दी जा रही दवाएं लेने से भी इन्कार कर दिया गया और उनको कहा कि यदि दवाएं दान में किसी ने दी तो वह उस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे। लोगों ने इस सारी स्थिती की उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हुए कहा है कि अस्पताल में सुविधाएं दी जाएं।

शहर वासी परेशान
अस्पताल की बिगड़ती हुई स्थिति कारण शहर निवासी परेशान हैं। समाज सेवक मास्टर साधू राम बांसल, संत राम सिंगला, दीपक, सुरेश महेश्वरी, मुकेश गोयल की तरफ से अस्पताल में सुधार करने की कोशिश की जा रही है। लोगों के लिए पार्क बनवाए गए और बैठने के लिए बैंच लगवाए गए, परन्तु अस्पताल प्रबंधकों की तरफ से इसकी न तो सफाई की और न ही संभाल की जा रही है। 

मंत्री करें अस्पताल का दौरा
लोगों ने पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री से मांग की कि वह इस बार जरूर सिविल अस्पताल जैतो का दौरा करें ताकि उनको इस अस्पताल की स्थिति के बारे में ज्ञात हो सके। शहर निवासियों ने बताया कि यदि अस्पताल में डाक्टरों और दवाओं की कमी को पूरा न किया गया तो वे अस्पताल में धरना लगाने और प्रदर्शन करने के लिए मजबूर हो जाएंगे।

फिर क्यों लगाया है बोर्ड

एक तरफ दवाएं होने की बात कही जा रही है, लेकिन बाहर बोर्ड क्यों लगाया गया है कि दवाएं नहीं हैं।  एक तरफ यह कहा जा रहा है कि दवाएं हैं और दूसरी तरफ मरीजों से बोर्ड लगा कर अपील की जा रही है कि स्टाफ से दवाएं न मांगें।