आजादी के 7 दशक बीते, कई गांवों को जाने वाले रास्ते अभी भी कच्चे

punjabkesari.in Sunday, Mar 17, 2019 - 12:29 PM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): वैसे कहने को देश बहुत तरक्की कर गया है। दुनिया चांद-तारों पर पहुंच गई है। कम्प्यूटर और साइंस का युग है। आज के समय में अधिकतर लोग इंटरनैट के साथ जुड़े हुए हैं परंतु आजादी के 7 दशक बीतने के बाद भी अभी तक कई गांवों को जाने वाले रास्ते कच्चे ही हैं और इनको पक्का करके सड़कें नहीं बनाई गईं, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। धूल-मिट्टी वाले कच्चे रास्ते से गुजरना बहुत मुश्किल है। बरसात के मौसम में रास्तों की हालत और भी दयनीय हो जाती है। विभिन्न पाॢटयों के नेता चुनावों के समय तो इन कच्चे रास्तों पर पक्की सड़कें बनाने के झूठे वायदे तो करते हैं, परन्तु इनको सिरे नहीं चढ़ाते। 

मुख्यमंत्री तक की थी फरियाद
जिन गांवों के लोगों को कच्चे पड़े रास्तों के कारण आने-जाने के समय परेशानी आ रही है, उन्होंने विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक कच्चे रास्तों को पक्का करने और सड़कें बनाने के लिए फरियाद की थी, परन्तु इतना लम्बा समय बीत जाने के बावजूद समय की सरकारों ने लोगों की बात नहीं सुनी।

कहते ! ढाणियों को भी बना देंगे पक्की सड़कें
वैसे कहने को तो सरकारों ने यह दावे किए थे कि गांवों से बाहर ढाणियां बनाकर रह रहे लोगों को भी सुविधाओं के लिए पक्की सड़कें बनाकर देंगे परन्तु राजनीतिक रसूख रखने वाले लोगों की ढाणियों को तो सड़कें बन गईं, जबकि दूसरे लोग इस सुविधा से वंचित रह गए।

रास्ते पक्के होने से लोगों को होगा लाभ
यदि उक्त कच्चे पड़े रास्तों को पक्का कर दिया जाए तो लोगों को आने-जाने के लिए बहुत लाभ हो सकता है। बड़ी मुख्य सड़कों के साथ भी यह रास्ते फिर जुड़ जाएंगे। लोगों का समय बचेगा व वाहनों के तेल की बचत भी होगी। 

ग्रामीण लोगों को मिलनी चाहिए सुविधा 
गांव नंदगढ़ के समाज सेवक जसविंदर सिंह सिविया, पूर्व सरपंच राजविंदर सिंह नंदगढ़, डा सुरिंदर सिंह भुल्लर कौडियांवाली, डा. गुरसेवक सिंह खुंडे हलाल, किसान नेता, बेअंत सिंह बल्लमगढ़ और परमजीत सिंह सरपंच भागसर ने पंजाब सरकार से मांग की कि कच्चे पड़े ग्रामीण रास्तों की सार ली जाए और यहां सड़कें बनाई जाएं।

कई बार कच्चे रास्ते हो जाते हैं बंद 
जब ज्यादा बारिश होती है तो कई बार कच्चे रास्तों में पानी भर जाता है, जिस कारण ये बंद हो जाते हैं और निकलने वाले लोग परेशान होते हैं।

किसानों को आती हैं मुश्किलें 
उल्लेखनीय है कि इन कच्चे रास्तों पर जिन किसानों की जमीनें हैं, उनको खेतों में आने-जाने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ट्रैक्टर-ट्रालियों पर खेतों से अपनी फसलों को ले जाने में मुश्किल होती है।

वोट मांगने आए नेताओं से लोग करें सवाल 
अब लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और सभी पार्टियों  के नेता गांवों में वोट मांगने के  लिए पहुंचेंगे। जब ये नेता गांवों में आएं तो लोगों को यह सवाल करना चाहिए कि आखिर कच्चे पड़े रास्तों को पक्का क्यों नहीं किया गया  और बार-बार लोगों को लारे क्यों लगाए गए। यह भी पूछना चाहिए कि विकास कहां हुआ है।

सरकारें व प्रशासन दे ध्यान 
पंजाब सरकार, नेताओं और प्रशासन के उच्चाधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की इस समस्या की तरफ ध्यान देना चाहिए ताकि उनको आने-जाने के समय कोई मुश्किल न आए।

इस क्षेत्र के गांवों के कच्चे पड़े रास्ते 
*गांव बल्लमगढ़ से भागसर को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी अढ़ाई किलोमीटर है। 
*गांव कौडियांवाली से भागसर को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 2 किलोमीटर है। 
*गांव भागसर से चिब्बड़ांवाली को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 3 किलोमीटर है। 
*गांव भागसर से बधाईं को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 3 किलोमीटर है। 
*गांव भागसर से नंदगढ़ को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 4 किलोमीटर है। 
*गांव खुंडे हलाल से भंगचढ़ी को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 6 किलोमीटर है। 
*गांव खुंडे हलाल से दबड़ा को जाने वाला रास्ता, जिसकी दूरी 5 किलोमीटर है। 
*गांव खुंडे हलाल से नानकपुरा को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 3 किलोमीटर है। 
*गांव लखमीरेआना से चिब्बड़ांवाली को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 5 किलोमीटर है। 
*गांव पाका से बांम को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 2 किलोमीटर है। 
*गांव नन्दगढ़ से बांम को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 6 किलोमीटर है। 
*गांव नन्दगढ़ से गंधड़ को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 3 किलोमीटर है। 
*गांव गोनियाना से रहूडिय़ांवाली को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी डेढ़ किलोमीटर है। 
*गांव भंगचड़ी से झींडवाला को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 2 किलोमीटर है। 
*गांव अकालगढ़ से लद्धूवाला नहरा को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी डेढ़ किलोमीटर है। 
*चक्क काला सिंह वाला से फत्तनवाला को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 2 किलोमीटर है। 
*गांव खुन्ननकला से लखमीरेआना को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 3 किलोमीटर है। 
*लखमीरेआना से तामकोट को जाने वाला रास्ता जिसकी दूरी 3 किलोमीटर है। 

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