‘नशों की मार’ से कई परिवार हुए तबाह

punjabkesari.in Sunday, Aug 19, 2018 - 01:24 PM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): एक समय था जब पंजाब तरक्की और खुशहाली का प्रतीक था। हर तरफ खुशियां और बहारें थे। सांझे परिवार थे और हर घर में रौनकें और हंसी की किलकारियां गूंजती थी परन्तु जब से राज्य में नशों का छठा दरिया बहना शुरू हुआ है, उसके बाद हंसी खत्म हो गई, रौनकें अलोप हो गईं और हंसते-बसते घर बर्बाद हो गए। पंजाब पर पड़ रही नशों की यह मार बहुत घातक साबित हो रही है। कई घर तो ऐसे हैं, जिनको नशों के कारण ताले लग गए हैं और बंद हो चुके ये घर वीरान पड़े हैं। इस अति गंभीर समस्या को लेकर पंजाब केसरी द्वारा तैयार की गई विशेष रिपोर्ट।

सरकारें बदलीं परन्तु नशे नहीं खत्म हुए 
राज्य अंदर राजनीतिक हेर-फेर चलता रहा। कभी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीली पगड़ी वाले काबिज रहे और कभी यह कुर्सी सफेद पगड़ी वालों के हाथ आ लगी परन्तु पंजाब में से नशे नहीं खत्म हुए। राजनैतिक गुटों ने इस बात को अपने लाभ के लिए ही हमेशा इस्तेमाल किया। पुलिस प्रशासन और राजनीतिज्ञों का पूरा गठजोड़ रहा। फिर नशे खत्म कहां से होने थे। अब सभी राजनीतिक पाॢटयां नित्य रोज ड्रामे कर रही हैं कि राज्य में से नशों का खात्मा किया जाए। जिनको पहले यह बताना चाहिए कि नशे पैदा किसने किए हैं। चिट्टा, टीका और गोलियों की बात तो छोड़ो, पंजाब में शराब के ठेके तो पंजाब सरकार ही बंद कर सकती है परन्तु कोई पार्टी हिम्मत क्यों नहीं करती, इस तरह लोगों को बुद्धू क्यों बनाया जा रहा है। 

क्या कहतेे हैं जागरूक वर्ग के लोग
कुछ जागरूक शहरियों का कहना है कि सैमीनार लगा कर या स्कूलों के बच्चों की ओर से शिखर दोपहर धूप में रैलियां निकलवाने से नशे बंद नहीं होंगे। यदि राज्य से नशों का खात्मा करना है तो राज्य अंदर हरहलके में अलग नशा छुड़ाओ केंद्र खोला जाए और माहिर डाक्टर भेजे जाएं व इलाज मुफ्त किया जाए। इसके अलावा नशों की पाइप लाइन तोड़ी जाए। नशों की तस्करी में नाम आने वाले राजनीतिक नेताओं और पुलिस वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाए। कई समाज सेवीं संस्थाओं के नेता प्रशासन में अपनी पकड़ बनाने के लिए या लोगों में नंबर बनाने के लिए नशों के खात्मे के लिए बात करते हैं परन्तु इन बातों की जगह पंजाब की जवानी को बचाने के लिए दिल से कुछ मिल-जुल कर किया जाए।  

थोड़े दिनों में 3 नौजवान चढ़े नशों की भेंट
इस क्षेत्र के सबसे बड़े गांव भागसर में कुछ दिनों में ही तीन नौजवानों की मौत ज्यादा शराब पीने से हो चुकी है। स्वर्ण कौर ने बताया कि उसका एक ही बेटा सुखविंद्र सिंह उर्फ फौजी जो अभी 23 वर्षों का ही था, की लगातार शराब पीने से मौत हो गई है व अब घर में मां, बेटियां ही रह गई हैं क्योंकि फौजी के पिता की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है। इसी तरह चरना सिंह ने बताया कि उसका 28-29 साल का पुत्र सुक्खा सिंह भी ज्यादा शराब पीने से मर गया। छोटे बच्चों हरनूर सिंह व हुसनदीप कौर ने बताया कि उनका 38 साल का पिता राजविंद्र सिंह उर्फ राजा ज्यादा शराब पीने से मर गया है। उन्होंने बताया कि मां 11 साल पहले तलाक देकर उन्हें छोड़कर चली गई थी व दादा-दादी की पहले ही मौत हो चुकी है। 

सेहत विभाग नशे छुड़ाने के लिए कर रहा है प्रयास : सिविल सर्जन
जब सिविल सर्जन श्री मुक्तसर साहिब डा. सुखपाल सिंह बराड़ से नशों के कारण नौजवानों की हो रही मौतों बारे बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि हमारे रिकार्ड में कोई मौत होने बारे जानकारी नहीं है व सिविल अस्पताल में ऐसी कोई मौत नहीं हुई। वैसे उन्होंने कहा कि नशा छुड़ाने के लिए सरकारी अस्पताल श्री मुक्तसर साहिब, सरकारी अस्पताल मलोट व सरकारी अस्पताल गिद्दड़बाहा में नशा छुड़ाओ केंद्र चलाए जा रहे हैं व इसके अलावा गांव थेहड़ी में पुनर्वास केंद्र चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिले में जल्द ही पांच और प्राथमिक सेहत केंद्रों में नशा छुड़ाओ केंद्रों की शुरूआत की जाएगी।

जरूरत से अधिक नशा करने से होती है मौतें : जिला सेहत इंस्पैक्टर
जिला सेहत इंस्पैक्टर भगवान दास का कहना है कि जो व्यक्ति जरूरत से अधिक नशे की डोज लेते हैं, वहीं आम तौर पर मौत का शिकार होते हैं। नशा करने वाले व्यक्तियों को चाहिए कि वे धीरे धीरे नशों को कम करें ताकि उनकी जिंदगी बच सके। उन्होंने कहा कि नशा छुड़ाओ केंद्रों में नाम, पता गुप्त रखा जाता है।

swetha