95 गांवों में नहीं हैं सेहत डिस्पैंसरियां

punjabkesari.in Thursday, Dec 05, 2019 - 10:42 AM (IST)

श्री मुक्तसर साहिब(तनेजा): चाहे देश को आजाद हुए 7 दशक बीत गए हों परन्तु आजादी मिलने के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के लोग सेहत सुविधाओं से वंचित हैं। समय की सरकारें हमेशा ही ये दावे करते नहीं थकती कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बढ़िया व सस्ती सेहत सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं परन्तु यह सत्य नहीं व असली तस्वीर कुछ और ही है।

इसकी मिसाल पंजाब की राजनीति पर गहरा प्रभाव रखने वाले मालवा के चर्चित जिला श्री मुक्तसर साहिब में देखने को मिलती है। उक्त जिले में अभी कई ऐसे गांव हैं, जिनमें सरकारी अस्पताल या सेहत डिस्पैंसरी नहीं हैं और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय निकालने के लिए ऐसे अनदेखे गांवों को दूसरे गांव की सेहत डिस्पैंसरियों के साथ कागजी पत्री जोड़ा गया है। अलग-अलग टैस्ट करने वाली मशीनें नहीं हैं या कम हैं और उनको चलाने वाले माहिर भी चाहिएं। अब मसला इस बात का है कि पंजाब सरकार सेहत सुविधाओं से वंचित पड़े सभी गांवों की सार ले और वहां आधुनिक सुविधाओं वाले अस्पताल व डिस्पैंसरियां बनाई जाएं क्योंकि जिला श्री मुक्तसर साहिब में कैंसर, काला पीलिया, हड्डियों व दिल के रोगों से पीड़ित बहुत ज्यादा हैं और पहले ही इन बीमारियों के साथ हजारों व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। इसी तरह जिले के दर्जनों गांव ऐसे हैं, जहां पशु अस्पताल नहीं हैं।
PunjabKesari, Health dispensaries not in villages
पता लगा है कि जिले के कुल 241 गांव हैं परन्तु इनमें से 95 गांव सेहत डिस्पैंसरियों से वंचित हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले के 102 गांवों में सब सैंटर चलाए जा रहे हैं, जबकि जिला परिषद की तरफ से 44 गांवों में हैल्थ सैंटर चलाए जा रहे हैं। यहां मसला यह भी है कि जिन गांवों में अस्पताल या डिस्पैंसरियां है ही नहीं, वे तो बेहद तंग और परेशान हैं। वहीं जिले के कई गांवों में अस्पताल तो हैं परन्तु वहां डाक्टरों की कमी चुभ रही है।

जिले में किन स्थानों पर हैं बड़े अस्पताल 
जिला अस्पताल और मलोट, गिद्दड़बाहा और बादल में सब डिवीजनल अस्पताल चल रहे हैं, जबकि चक्क शेरेवाला लम्बी, दोदा और आलमवाला में मैडीकल ब्लाक हैं। कम्युनिटी हैल्थ सैंटर चक्क शेरेवाला, लम्बी, सरावां बोदला, दोदा और बरीवाला में हैं। वहीं 24 घंटे सेवाएं देने वाला प्राइमरी हैल्थ सैंटर कांनियावाली, थांदेवाला, भाई का केरा, सिंघेवाला, आलमवाला, पन्नीवाला, मल्लन, गुरुसर मधीर आदि में चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा प्राइमरी हैल्थ सैंटर हरीके कला, बल्लमगढ़, गुलाबेवाला, कोटभाई, रहूडिय़ांवाली, माहूआना, कबरवाला, राम नगर, विर्क खेड़ा, कंदूखेड़ा में चल रहे हैं।

जिले के 138 गांव पशु अस्पतालों से वंचित
चाहे समय की सरकारें पशु पालकों व अन्य लोगों को डेयरी धंधा को उत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन देती रहती हैं, परन्तु जिन लोगों ने पशु रखे हुए हैं, उनकी तरफ सरकारें कम ही ध्यान दे रही हैं। पशु पालकों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पशुओं का इलाज करवाने के लिए अनेक गांवों में सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जिस कारण कई बार समय पर इलाज न होने के कारण पशुओं की मौत हो जाती है और पशु पालकों का हजारों रुपए का नुक्सान हो जाता है। उक्त 241 में से सिर्फ 103 गांवों में ही सरकारी पशु अस्पताल और पशु डिस्पैंसरियां हैं, जबकि 138 ऐसे गांव हैं जहां न कोई सरकारी पशु अस्पताल और न ही कोई सरकारी पशु डिस्पैंसरी। ऐसे गांवों के लोग जिन्होंने अपने घरों में पशु रखे हुए हैं, बेहद तंग-परेशान होते हैं क्योंकि जब भी उनका कोई पशु बीमार होता है तो उनको बाहर से डाक्टर बुलाना पड़ता है और कई बार समय पर डाक्टर नहीं मिलता। 


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Edited By

Sunita sarangal

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