भारत की 50 प्रतिशत नौजवान पीढ़ी विदेशों में पलायन करने को मजबूर

punjabkesari.in Monday, Jan 21, 2019 - 08:03 AM (IST)

 

फरीदकोट (राजन): स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि नौजवान देश की सबसे बड़ी शक्ति होते हैं। इसलिए इन नौजवानों को सही दिशा की तरफ ले जाने की जिम्मेदारी हमारे देश के नेताओं की बनती है। जहां तक हमारे देश के नेताओं का सवाल है नौजवान शक्ति की संभाल के प्रति यह कितने गंभीर हैं इसका निराशाजनक प्रमाण यह है कि इनसे मायूस बेरोजगार नौजवान अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए विदेश जाने को पहल दे रहे हैं। इसके फलस्वरूप हमारे देश के 2 लाख नौजवान हर वर्ष सही या गलत ढंग से विदेशों को पलायन कर जाते हैं।

यह बहुत ही शर्मनाक पहलू है कि हमारे देश की करीब 130 करोड़ की आबादी के 50 प्रतिशत नौजवान लड़के-लड़कियां उचित रोजगार प्राप्ति के लिए विदेशों में पलायन करने के लिए मजबूर हैं।

विदेश जाने की सूरत में वापस अपने देश नहीं आना चाहते नौजवान
विदेश में उचित रोजगार की बात करें तो कम्प्यूटर व तकनीकी शिक्षा प्राप्त नौजवान रूस, इंगलैंड, अमरीका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों में जाने को पहल देते हैं, जबकि कम पढ़े-लिखे नौजवान मेहनत मजदूरी का उचित मेहनताना की कामना करके खाड़ी देशों की तरफ आकॢषत हो रहे हैं। यह और भी शर्मनाक तथ्य है कि आज के युग के नौजवान अपने देश में रहने की बजाय विदेशों में ही पक्के तौर पर रहकर खुशी महसूस करते हैं। नौजवानों का कहना है कि विदेशों में सच्चाई, राष्ट्रवाद, वचनबद्धता, सामाजिक सुरक्षा, सही रोजगार, नाममात्र ब्याज पर रिहायश, वाहन और जीवन की अन्य सुख-सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसलिए वे विदेश जाने की सूरत में फिर अपने देश में वापस नहीं आना चाहते।

Anjna