लुहारा का सरकारी प्राइमरी स्कूल बना स्मार्ट

punjabkesari.in Wednesday, Nov 21, 2018 - 01:14 PM (IST)

गिद्दड़बाहा(संध्या): जिला श्री मुक्तसर साहिब के गांव लुहारा के सरकारी प्राइमरी स्कूल ने आधुनिक शिक्षा जरूरतों के अनुसार ढालकर अपने आप को स्मार्ट सरकारी स्कूलों की श्रेणी में शामिल कर लिया है। स्कूल का हरा-भरा वातावरण व इसकी दीवारों पर की मनमोहक चित्रकारी यहां अपना भविष्य रोशन करने के सपने से पढऩे आने वाले बज्जों के बाल मनों को एक आसमान से ऊंची नई उड़ान भरने के लिए प्रेरित करते हैं। 143 बज्जों को शिक्षा का प्रकाश बांट रहे इस स्कूल की मुख्याध्यापिका ज्योति जैदका ने कहा कि उनका लक्ष्य बच्चों को महंगे निजी स्कूलों से भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाना है ताकि हमारे विद्यार्थी कल को किसी भी मुकाबले में पीछे न रह जाएं। 

स्कूल की लाइब्रेरी में लगभग 300 किताबें
स्कूल की लाइब्रेरी में लगभग 300 किताबें हैं। स्कूल को राज्य स्तर पर स्वच्छ विद्यालय का पुरस्कार मिल चुका है। पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा करवाए जाते सह-शैक्षिणक मुकाबलों में स्कूल की छात्रा एकम कौर प्रीत ने जिले में पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके अतिरिक्त बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ में भी स्कूल को बढिय़ा कार्यप्रणाली के लिए सम्मानित किया गया है।

पढ़ाया जाता है मल्टी मीडिया तकनीक से
मुख्याध्यापिका ज्योति जैदका ने कहा कि यहां 6 अध्यापक सेवा निभा रहे हैं व बच्चों के लिए आर.ओ. पानी, फ्रीजर व अच्छा फर्नीचर उपलब्ध करवाया गया है। परिणाम में यह स्कूल जिले के अग्रणी स्कूलों में है। बच्चों को स्मार्ट क्लास रूम में मल्टीमीडिया तकनीक से भी पढ़ाया जाता है। स्कूल के आसपास हर कोने को बच्चों के सीखने के माडल के तौर पर विकसित किया गया है ताकि विद्यार्थी अच्छे नागरिक बन सकें। स्कूल की दीवारों पर पानी बचाने, पौधे लगाने, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, धरती बचाओ जीवन बचाओ, नशों से बचने के लिए समाज को रास्ता देती पेंटिंग बनाई गई है। स्कूल अध्यापक गुरप्रीत सिंह ने बताया कि 2006 में यहां नियुक्त होने के बाद बच्चों के लिए पीने के पानी के प्रबंध करने से लेकर स्कूल को स्मार्ट बनाने तक स्कूल स्टाफ ने गांव वासियों के सहयोग से लम्बा रास्ता तय किया है। 

स्कूल के बच्चे व अध्यापक करते हैं टीम बनकर कार्य 
मुख्याध्यापिका ज्योति जैदका ने बताया कि 2006 में स्कूल में केवल 5 वृक्ष थे जिनकी संख्या अब 250 तक पहुंच चुकी है। स्कूल के बच्चे व अध्यापक एक टीम बनकर कार्य करते हैं व जरूरत पडऩे पर छुट्टी वाले दिन भी स्कूल में पहुंच जाते हैं। अध्यापकों व विद्यार्थियों ने मिलकर स्कूल में 4 लॉन तैयार किए हैं व इनकी देखभाल भी वे मिलजुल कर करते हैं।

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