योग्यता व पद एक जैसे, तो वेतन में फर्क क्यों

punjabkesari.in Saturday, Dec 01, 2018 - 12:28 PM (IST)

मुक्तसर साहिब (तनेजा): सर्व शिक्षा अभियान व रमसा अधीन सरकारी स्कूलों के अध्यापकों का मामला इस समय पूरी तरह गर्माया हुआ है। अध्यापकों के सांझे मोर्चे की ओर से मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरेंद्र सिंह के शहर पटियाला में पिछले कई दिनों से लगातार दिन-रात का संघर्ष जारी है, परन्तु फिर भी सरकार अध्यापकों की अनदेखी कर रही है जबकि किसान, मजदूर व कई अन्य जत्थेबंदियां भी उनकी हिमायत पर उतरी हुई हैं।अध्यापकों का यह संघर्ष गांव-गांव तक पहुंच गया। मजदूर और किसान जत्थेबंदियों ने पंजाब सरकार, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव व शिक्षा विभाग के खिलाफ गांवों में झंडा मार्च कर आम लोगों को सरकार की नीतियों से अवगत करवाया है। शहरों में रोष प्रदर्शन व रैलियां सरकार के खिलाफ अध्यापकों को उनका बनता हक दिलाने के लिए की गई हैं। अब सोई हुई सरकार को जगाने के लिए सांझे मोर्चे की ओरसे पटियाला में 2 दिसम्बर को फिर बड़ी रैली रखी गई है और चक्का जाम करने का प्रोग्राम बनाया गया है, जिसकी तैयारी के लिए जगह-जगह पर बैठकें की गई हैं। 

क्या है मामला : केंद्र सरकार की सहायता से सर्व शिक्षा अभियान व रमसा अधीन सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की भर्ती कई साल पहले की गई थी। इन अध्यापकों को 60 प्रतिशत वेतन केंद्र सरकार और 40 प्रतिशत वेतन पंजाब सरकार देती है। ऐसे अध्यापकों को हर महीने 43 हजार या 45 हजार रुपए वेतन मिलता था। अब पंजाब सरकार ने फैसला किया है कि सर्व शिक्षा अभियान और रमसा अध्यापकों को शिक्षा विभाग में पक्का किया जाए, परन्तु इनको वेतन 45 हजार रुपए की जगह सिर्फ 15 हजार रुपए दिया जाएगा। ऐसा 3 साल तक चलेगा।

पंजाब सरकार के फैसले का अध्यापकों ने एक बार जोरदार विरोध किया और कहा कि ऐसे उनका पूरा बजट ही हिल जााएगा। वे ऐसा नहीं होने देंगे, परन्तु पंजाब सरकार व शिक्षा विभाग की घुड़की से डरते कई अध्यापकों ने 15 हजार रुपए लेना मान कर पक्के मुलाजिम बनकर स्कूलों में ज्वाइन कर लिया है।इससे अध्यापकों की ओर से चलाए जा रहे संघर्ष में दरार पड़ गई और पंजाब सरकार व शिक्षा विभाग भी अंदर खाते खुश नजर आ रहा है। पता लगा है कि शिक्षा सचिव कृष्ण कुमार ने 30 नवम्बर तक अधिक से अधिक अध्यापकों को 15 हजार रुपए पर ज्वाइन करवाने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से समय मांगा था।


 बहुत बड़ा फर्क है अध्यापकों के वेतनों में 
सरकारों की नीतियों की भी कोई समझ नहीं आती। अध्यापकों की योग्यता व पद एक जैसे हैं, परन्तु उनके वेतन में बड़ा फर्क है। सरकारी स्कूल में काम कर रहे एक अध्यापक को तो 70 हजार रुपए महीना वेतन मिलता है, परन्तु दूसरे अध्यापकों को 15 हजार रुपया मिलता।एक लैक्चरार को हर महीने 1 लाख रुपए वेतन मिलता है, परन्तु उसकी बराबर की योग्यता वाले लैक्चरार को सिर्फ 18 हजार रुपए मिलते हैं। इसी तरह कई मुख्य अध्यापक लाख से ऊपर वेतन ले रहे, परन्तु कइयों को 22 या 23 हजार रुपए ही मिलते हैं। इस बड़ी दरार को खत्म करने के लिए सरकार व शिक्षा विभाग ध्यान दे।


 केंद्र सरकार ने ग्रांट की बंद
भरोसेयोग्य सूत्रों से पता लगा है कि केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान व रमसा अधीन लगाए गए अध्यापकों के लिए 60 प्रतिशत की दी जाने वाली ग्रांट बंद कर दी है और यह फरमान जारी कर दिया है कि एक बार आपका काम चला दिया गया था, अब आगे से अपने आप संभालो। उसके बाद ही पंजाब सरकार ने अध्यापकों को पक्का करने पर 15 हजार वाली शर्त रखी थी।

bharti