...तो क्या जी.एस.टी. ने भी पकड़ लिया है राज्यों की पुरानी वैट प्रणाली का रास्ता

punjabkesari.in Monday, Jan 14, 2019 - 12:11 PM (IST)

मलोट(गोयल): भारत में जब जी.एस.टी. लागू किया गया था तो उसे भारत की दूसरी आजादी कहा गया था। भारत की आजादी की जिस प्रकार घोषणा की गई थी उसी प्रकार संसद में अर्धरात्रि को इसकी शुरूआत कर जी.एस.टी. को भारत की आॢथक आजादी बताया गया था। किन्तु जिस प्रकार राजनीतिक लाभ के लिए जी.एस.टी. में बदलाव किया जा रहा है उससे साफ लगता है कि इसके आॢथक उद्देश्य ध्वस्त हो चुके हैं और जी.एस.टी. राज्यों की पुरानी वैट प्रणाली का रास्ता पकड़ चुका है।

वीरवार को जी.एस.टी. कौंसिल की मीटिंग में जिस प्रकार छोटे कारोबारियों को जी.एस.टी. में राहत दी गई है उससे साफ है कि जो करदाता पहले सरकार को कर चुकाते थे भविष्य में वही कर अदा करेंगे, जो पहले कर नहीं देते थे वह अब फिर कर देने के दायरे से बाहर कर दिए गए हैं। जी.एस.टी. कौंसिल के इस निर्णय से माना जा रहा है कि सरकार को 5200 करोड़ रुपए के राजस्व का नुक्सान होगा। जी.एस.टी. लागू होने के पश्चात सरकार पहले ही अपने एक लाख करोड़ रुपए के राजस्व को हासिल करने से पीछे चल रही है। यह राहत उसके लक्ष्य को और नुक्सान पहुंचाएगी। 

माना जा रहा है कि जी.एस.टी. में राहत केन्द्र सरकार ने गत विधानसभा चुनावों में हार और आने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर दी है। साथ में जी.एस.टी. में राहत देकर केन्द्र सरकार के पास छोटे कारोबारियों को अपनी तरफ करने का यह अंतिम अवसर भी था क्योंकि गत 18 महीने (जी.एस.टी. वाले महीने) देश में राजनीतिक बदलाव हुए। जी.एस.टी. कौंसिल में अब विपक्ष के राज्यों की संख्या बढ़ गई है। इसलिए भविष्य में कौंसिल की मीटिंग में आम सहमति मुश्किल होने वाली है जिसके संकेत वीरवार को हुई मीटिंग में भी मिलने शुरू हो गए।


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Vaneet

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