HIV रिपोर्ट से जागा स्वास्थ्य विभाग, सिविल सर्जन फाजिल्का ने किया जलालाबाद के अस्पताल का दौरा

punjabkesari.in Monday, Jul 15, 2019 - 04:45 PM (IST)

जलालाबाद(सेतिया, सुमित): जलालाबाद हलके में दो माह में 56 एचआईवी के पाए गए मरीजों की गिनती के बाद खबर प्रकाशित होने पर स्वास्थ्य विभाग जागा नजर आ रहा है। जिसके तहत जिला सिविल सर्जन राज कुमार द्वारा सोमवार को सिविल अस्पताल जलालाबाद का दौरा किया गया। इस दौरान उन्होंने अस्पताल से एचआईवी के मरीजों की रिपोर्ट ली व उनके उपचार के लिए दिशा निर्देश भी दिए। इस समय उनके साथ डा हरदेव सिंह एसएमओ जलालाबाद, स्टेनो रोहित सचदेवा, वीरमबाला उपस्थित थे। 

उल्लेखनीय है कि जलालाबाद हलके में चिट्टे के नशे के साथ एचआईवी के रोगी मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। हालांकि सरकारी आंकडों के अतिरिक्त यह संख्या ओर भी बढ़ सकती है यदि हलके के प्रत्येक गांव में जाकर एचआईवी के मरीजों की सही ढंग से जांच की जाए। उल्लेखनीय है कि सीमापट्टी पर जहां नौजवान चिट्टे रुपी नशे की चपेट में हैं वहीं असुरक्षा के कारणों के कारण नौजवान एचआईवी का भी शिकार हो रहे हैं। इसकी मिसाल सरकारी अस्पताल के ओओटी सेंटरों से मिली रिपोर्ट से लगाई जा सकती है। हालांकि इस रिपोर्ट से भी कहीं अधिक संख्या होने का भी अनुमान है। एचआईवी के मरीजों की संख्या अधिक होने संबंधी पंजाब केसरी पंजाब केसरी द्वारा स्वास्थ्य मंत्री से बातचीत व प्रकाशित खबर के बाद स्वास्थ्य मंत्री पंजाब बलबीर सिंह सिद्धू द्वारा जिला सिविल सर्जन व जिला डीसी को इस संबंधी रिपोर्ट व कार्रवाई करने के लिए निर्देश जारी किए हैं।

उधर स्वास्थ्य मंत्री के निर्देशों में जलालाबाद के सरकारी अस्पताल में पहुंचे एसएमओ डॉ. राज कुमार ने बातचीत करते कहा कि स्वास्थ्य मंत्री के फोन के बाद सोमवार सुबह अस्पताल में पहुंचे व सिविल अस्पताल से एचआईवी के मरीजों की रिपोर्ट ली है। उन्होंने बताया कि एचआईवी के मरीजों का उपचार फिरोजपुर व बठिंडा जिलों में स्थापित अस्पतालों के एआरटीसी सेंटरों में होता है व फाजिल्का जिला नया होने कारण अभी यहां ऐआरटीसी सेंटर नहीं बना है व अस्पताल में यदि एचआईवी मरीज आते हैं तो स्टाफ द्वारा फिरोजपुर व बठिंडा रेफर कर दिया जाता है। परंतु हम यहां के आंकडों को देखते हुए सरकार को लिखित भेज रहे हैं कि जिला फाजिल्का में एआरटी सेंटर जल्द खोला जाए जिससे बार्डर पट्टी के लोगों का सही ढंग से उपचार हो सके व उनको बाहरले जिलों में न जाना पड़े।
 

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