आज के दिन फाजिल्का सैक्टर में शुरू हुआ था भारत-पाक के मध्य युद्ध

punjabkesari.in Monday, Dec 03, 2018 - 04:12 PM (IST)

फाजिल्का (नागपाल, लीलाधर): भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में आज ही के दिन 3 दिसम्बर को युद्ध शुरू हुआ था। फाजिल्का सैक्टर में 4 जाट बटालियन के 82 जवान शहीद हो गए थे और उनकी याद में यहां से 7 किलोमीटर दूर सीमावर्ती गांव आसफवाला में शहीद स्मारक बनाया गया है। जहां इस बार 15 दिसम्बर को विजय दिवस मनाया जाएगा और शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

फाजिल्का सैक्टर में 1971 का युद्ध सबसे बड़ा युद्ध था। & दिसम्बर 1971 को पाक रेंजरों ने गांव बेरीवाला के पुल पर कब्जा कर लिया। दुश्मन जब फाजिल्का की तरफ बढ़ा तो 4 जाट बटालियन के जवानों ने दुश्मन पर हमला करके कई इलाके छीन लिए, लेकिन बेरीवाला पुल काबू में नहीं आ सका। पाकिस्तान की नफरी बढ़ती गई और साबूना बांध पर पहुंच गया। इस दौरान पाक की ओर से 2500 जवान, 28 टैंक और भारी तोपों से लैस एक पैदल ब्रिगेड लगा दी गई। 4 की रात तक दुश्मन गांव पक्का तक पहुंच गया, मगर 3 आसाम बटालियन ने उन्हें रोक लिया और साबूना बांध तक जवान पहुंच गए। उधर सेना की 15 राजपूत बटालियन ने फाजिल्का का बचाव किया। ग"ाी के समीप 15 राजपूत और 4 जाट बटालियन के जवानों ने गुरमुख खेड़ा गांव की तरफ से हमला किया तो बेरीवाला पुल से फाजिल्का की तरफ जाने वाला रास्ता बंद हो गया। बेरीवाला पुल पर भारी युद्ध हुआ। आखिर 17 दिसम्बर की रात 8 बजे युद्ध समाप्ति की घोषणा कर दी गई। 18 सुबह 7 बजे से लेकर सायं 3 बजे तक शहीदों के शवों को आसफवाला में एकत्रित करके संयुक्त दाह संस्कार किया गया और यहां शहीद स्मारक बनाया गया।

स्मृति स्तम्भ में 206 शहीद जवानों की अस्थियों का समावेश
पहले यहां 4 जाट बटालियन के शहीद जवानों का स्मारक था, बाद में इस स्मारक में ही फाजिल्का सैक्टर में शहीद हुए 15 राजपूत, 3 आसाम बटालियन और 18 अश्वाराहेही सैनिक बटालियन के सैनिकों के स्मृति स्तम्भ भी स्थापित किए गए हैं। 5 एकड़ के विशाल प्रांगण में फैला यह स्मारक देश का एक मात्र ऐसा स्मारक है, जहां विभिन्न रा’यों के 206 शहीद जवानों की अस्थियों का समावेश किया है। यहां 1971 के शहीद जवानों की 90 फीट लंबी और 18 फीट चौड़ी चिता बनाकर संयुक्त दाह संस्कार किया गया था। यहां वार म्यूजियम भी बनाया गया है। जहां पाक रेंजरों से छीने गए हथियार, 6 पाऊंडर गन, गिलगिट जीप, शेरमन टैंक के अलावा शहीद जवानों की तस्वीरें लगाई गई हैं। यहां हर साल विजय दिवस मनाया जाता है। जहां भारतीय सैना, प्रशासन के उच्चाधिकारी, स्थानीय लोगों के अलावा शहीदों के परिजन व दूर से आने वाले श्रद्धालु शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। 

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