गौशालाओं को वित्तीय सहायता न दी तो 50 प्रतिशत गौधन सड़कों पर छोडऩे के लिए होना पड़ेगा विवश: गौशाला कमेटी

punjabkesari.in Friday, Jun 29, 2018 - 05:11 PM (IST)

जलालाबाद(सेतिया): शहर अंदर गौओं की सांभ-संभाल के लिए चल रही गौशाला माली सहायता की दरकिनार के चलते वित्तीय संकट में से निकलने के लिए विवश है। परिणाम यह है कि गौशाला का करीब चार लाख रूपया बिजली विभाग की ओर देने वाला बकाया खड़ा है। इसके अतिरिक्त करीब 6 लाख रूपया बाजार की देनदारी खड़ी होने कारण आज गौशाला कमेटी के अध्यक्ष रंजीव दहूजा, कैशियर के जी शर्मा व उद्योगपति व कमेटी मैंबर राकेश मिढ्ढा ने गौशाला की स्थिति से अवगत करवाने के लिए स्थानीय पुरानी गौशाला में प्रैस कांफ्रेंस की व पंजाब सरकार व जिला प्रशासन से मांग की कि बिजली के बिल माफ किए जाएं व गौशाला को वित्तीय सहायता दी जाए। यदि ऐसा न हुआ तो 50 प्रतिशत गौधन सड़कों पर छोडऩे के लिए संस्था को विवश होना पड़ेगा। 

मीडिया को जानकारी देते उन्होंने बताया कि वर्तमान समय अंदर शहर की दोनों गौशाला अंदर लगभग 1120 गौधान की संभाल ही होती है। जिनमें से 60 के करीब दुधारू गौ शामिल है। गौशाला के लिए कमाई का साधन सिर्फ जनता पैलेस जिससे वार्षिक 15 लाख रूपया ही आता है व अन्य 60 से 65 लाख रूपया शहर के दानी सज्जनों द्वारा गोशाला को दिया जाता है, जिससे गोशाला का 80 लाख रूपए का बजट कलीयर हाोता है। परंतु वर्तमान समय अंदर गौशाला की वित्तीय हालत बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रही है व पिछले समय दौरान अकाली-भाजपा सरकार के समय बिजली के बिल माफ किए गए परंतु अब पिछली सरकार के अंत समय ही बिजली के बिल दोबारा से शुरू कर दिए गए है परंतु साथ वह बिल भरने से असमर्थ है। कमेटी पदाधिकारियों ने बताया कि करीब चार लाख रूपया बिजली का बिल बकाया खड़ा है व करीब छह लाख रूपया बाजार की देनदारी है। 

उन्होंने बताया कि इस संबंधी उन्होंने मुख्यमंत्री पंजाब, डी.सी. व एस.डी.एम. जलालाबाद को लिखित रूप में मांग पत्र भेजा व मांग की है कि गौशाला की आर्थिक हालत को देखते हुए बिजली के बिल माफ किए जाएं व एक पशु के पीछे करीब 20 रूपए प्रतिदिन खर्च आता है व उस अनुसार सरकार गौधन की रक्षा के लिए माली सहायता जारी करे। जैसे कि सरकार गोशालाओं को की जाती है अगर यह न हुआ तो मजबूरन प्राइवेट गौशालाओं में गौओं को बाहर सडकों पर छोडऩे के लिए विवश होगा, जिसकी जिंमेवारी सरकार की होगी। उल्लेखनीय है कि करीब 300 गौधन जिनमें  नंदी भी शामिल है शहर की सडकों पर हादसों का कारण बन रहे है व यदि जल्द ही सरकार व प्रशासन ने गौशाला को वित्तीय सहायता न दी तो 50 प्रतिशत गौओं सड़कों पर छोड़ी जाने कारण हालत बिगड़ सकती है।

 

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