विकास के बिना आसान नहीं कांग्रेसियों के लिए जलालाबाद का सियासी किला फतेह करना

punjabkesari.in Sunday, Aug 25, 2019 - 03:14 PM (IST)

जलालाबाद (सेतिया,सुमित): चाहे राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार है और राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार होने का फायदा उठाने के लिए कांग्रेस के राजनैतिक नेताओं को उप चुनाव में जीत का स्वाद मिलना आसान लग रहा है परन्तु यह हकीकत नहीं है क्योंकि पिछले अढाई सालों के दौरान कांग्रेस पार्टी जलालाबाद हलके में पाटोधाड़ होने के कारण सावर्जनिक मुद्दों को हल करने में सफल नहीं हो सकती है और जिमनी चुनाव में कांग्रेस की टिकट हासिल करने वाले उम्मीदवार को वोटों मांगने से पहले सावर्जनिक मुद्दों का सामना करना पड़ेगा। 

जानकारी अनुसार जलालाबाद हलके से उप चुनाव लडने के लिए टिकट की दावेदारी में करीब आधा दर्जन लोग लगे हुए हैं हालाकि कांग्रेस हाई कमान इस बात पर विचार कर रही है कि आखिरकार जलालाबाद हलके लिए कौन सा उम्मीदवार दिया जाये जो समूची कांग्रेस की लोकल लीडरशिप को साथ लेकर जलालाबाद से विधान सभा का राजनैतिक किला फतेह कर सके। राजनैतिक चुनाव लडने से पहले कांग्रेस के संभावी उम्मीदवार के लिए बहुत बड़ी चुनौतियां हैं क्योंकि गांवों में सरपंच और शहर में लोग विकास कामों और अन्य मुद्दों के हल के लिए पार्टी हाई कमान का मुंह देख रहे हैं परन्तु समस्याओं के हल के लिए पक्के तौर पर कांग्रेस हाई कमान ने जलालाबाद में किसी भी व्यक्ति की ड्यूटी नहीं लगाई है और दूसरे तरफ गुटबंदी में बांटे कांग्रेसी नेता अपनी अपनी चढ़त दिखाने के लिए एक दूसरे को नीचा दिखाने में ही लगे हुए हैं। 

कांग्रेसियों की आपसी फुट का फायदा अफसरशाही को हो रहा है क्योंकि अफसरशाही बेलगाम हो कर आम लोगों के काम बिना जेब गर्म किए नहीं कर रही है। आम लोगों की यह दुर्दशा कांग्रेसी नेताओं को भी पता है परन्तु लोगों को दीं जाने वाली झूठी तसल्ली के साथ ही काम सार लिया जा रहा है। अब यदि कांग्रेस पार्टी वाक्या ही जीत के इरादे के साथ चुनाव मैदान में उतररना चाहती है तो उसको सब से पहले हलके में अपनी पकड़ बनाने के लिए धडाधड लोगों के काम करने पड़ेंगे और यदि कांग्रेस गत 2017 की चुनाव दौरान सिर्फ मौके पर ही टिकट का ऐलान करने का सोच रही है तो फिर जिस तरह रवनीत सिंह बिट्टू का समय यहां से ही लीडरशिप को समझते ही बीत गया उसी तरह 2019 की उप चयन में भी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार का हाल इसी तरह ही होने वाला है। 

उधर शिरोमणि अकाली दल की जलालाबाद हलके में काफी पकड़ है क्योंकि अकाली सरकार समय हलके में होने विकास कामों और राएसिख बिरादरी के साथ सम्बन्धित लोगों को मिलीं पदाधिकारियों के कारण अकाली दल ने 2017 की चुनाव में अपनी मजबूती दिखा दी है और लोक सभा में भी सुखबीर सिंह बादल को लोगों ने काफी फतवा दिया और लीड के साथ वह जलालाबाद में गुजरे। जलालाबाद हलके में हुए विकास कामों के कारण और कांग्रेसी का पाटोधाड़ नीति के चलते भविष्य में जल्दी कांग्रेस का संवरने वाला नहीं है। इसके अलावा जलालाबाद हलके में ज्यादातर पंचायतों कांग्रेसी समर्थकी हैं और इन पंचायतों को सुखबीर बादल की ओर से फंड दिलाऐ जाने की बातें भी चर्चा का विषय बन रही हैं ऐसी स्थिति में कांग्रेस के लिए जिमनी चुनाव जीतनी आसान नहीं। यहां बता दें कुछ दिन पहले पंचायतों का इकट्ठ हुआ था और इस पंचायतों के इकट्ठ ने सुनील कुमार जाखड़ को चुनाव  मैदान में उतारने की मांग उठाई थी परन्तु यदि चौ. सुनील कुमार जाखड़ चुनाव मैदान में उतरते हैं तो फिर कांग्रेस की तैयारी कैसी होगी और खासकर राय सिख बिरादरी का रुझान किस तरह होगा यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।

Mohit