जिला स्तर के बने पॉली-क्लीनिक की हालत बेहद खस्ता

punjabkesari.in Wednesday, Jun 13, 2018 - 11:39 AM (IST)

फिरोजपुर(कुमार): भारत सरकार और पंजाब सरकार का नारा है ‘देश का अनमोल धन पशुधन’ मगर सरकारों की ओर से पशुओं को बचाने की और गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जा रहा और सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में पशुओं के इलाज के लिए सभी तरह की स्टैंडर्ड दवाइयां और विशेष डाक्टर उपलब्ध न करवाए जाने के कारण पशुपालकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और ऐसे में झोलाछाप डाक्टरों की तरफ से किए जा रहे रिस्की इलाज से लाखों की कीमत के पशु मर रहे हैं। लोगों के टैक्सों से बनाई गई सरकारी बिल्डिंग खंडहर साबित हो रही है।   

 जिले भर से 3 दिन में इलाज के लिए 9 पशु लाए गए
फिरोजपुर शहर में आर.एस.डी. कालेज के पास 1997 में लाखों की लागत से बने जिला स्तर के सरकारी वैटर्नरी पॉली क्लीनिक की हालत बेहद खस्ता बनी हुई है और यह पॉली क्लीनिक गंदगी के डंप वाली जगह में बन हुआ है। पॉली-क्लीनिक के दरवाजे और खिड़कियां टूटी पड़ी हैं। ऑप्रेशन थिएटर को देखें तो कबाड़ की दुकान नजर आती है। छोटे जानवरों के ऑप्रेशन थिएटर को लंबे समय से ताला लगा हुआ है और पॉली-क्लीनिक के बाथरूम गंदगी से भरे पड़े हैं। 

पॉली-क्लीनिक में सर्जन डाक्टर और स्टाफ की भारी कमी : अरुण शर्मा
फिरोजपुर शहर के एन.जी.ओ और पशुपालक अरुण शर्मा ने बताया कि फिरोजपुर के वैटर्नरी पॉली-क्लीनिक को देखकर पशुपालन विभाग चंडीगढ़ के उ४चाधिकारियों और पंजाब सरकार पर शर्म आती है। उन्होंने कहा कि लोगों की ओर से दिए गए टैक्सों के साथ बड़ी-बड़ी इमारतें बनाकर पंजाब सरकार राज्य के लोगों से बेईमानी कर रही है। उन्होंने कहा कि फिरोजपुर शहर के वैटर्नरी पॉली-क्लीनिक में लंबे समय से सर्जन डाक्टर और स्टाफ की पोस्टें खाली पड़ी हैं। एक्स-रे मशीन, फ्रीजर और जैनरेटर आदि खराब पड़े हैं और लोगों को पशुओं के इलाज के लिए कीमती दवाइयां खरीदकर लानी पड़ती हैं। ऐसे में सरकारी पॉली-क्लीनिकों का लोगों को क्या फायदा? अरुण शर्मा ने बताया कि जिले भर से इस पॉली-क्लीनिक में पिछले 3 दिनों में केवल 9 पशु ही इलाज के लिए लाए गए हैं। 

 

क्या कहते हैं डिप्टी डायरैक्टर विक्रम ढिल्लों
संपर्क करने पर पशुपालन विभाग फिरोजपुर के डिप्टी डायरैक्टर विक्रम ढिल्लों ने बताया कि विभाग को जो भी दवाइयां ऊपर से आती हैं वे दवाइयां पशुपालन अस्पतालों और पॉली-क्लीनिक में उपलब्ध करवाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास लिमिटेड दवाइयां आती हैं और हमने सरकार से बजट मांगा था, मगर हमें कुछ मिला नहीं है। उन्होंने बताया कि जिला फिरोजपुर में 60 वैटर्नरी अफसर चाहिए, मगर हमारे पास 22 वैटर्नरी अफसर हैं, 58 वैटर्नरी इंस्पैक्टर चाहिए, मगर हमारे पास 28-29 वैटर्नरी इंस्पैक्टर है। डाक्टर ढिल्लों ने बताया कि पशु पालन विभाग फिरोजपुर ने करीब सवा 3 लाख पशुओं की मुंह-खोर की वैक्सीनेशन की है और गल घोंटू की वैक्सीनेशन जिले भर में चल रही है। 

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