समय की सरकारों व अपनों की बेरुखी का शिकार हुआ बुजुर्ग दम्पति

punjabkesari.in Monday, Aug 20, 2018 - 11:48 AM (IST)

जलालाबाद (बंटी, निखंज): आज के समय में आम देखने को मिल रहा है कि बुजुर्गों का बहुत अपमान हो रहा है। अनेकों पुत्र अपने माता-पिता की सेवा करने की बजाय उनसे कन्नी कतरा रहे हैं। माता-पिता अपनी औलाद की खुशियों के लिए अपनी खुशियों को भी कुर्बान कर देते हैं और चाहते हैं कि उनकी औलाद अपने पैरों पर खड़ा होकर उनके सपनों को पूरा करेगी और अपने माता-पिता का सम्मान करेगी, परन्तु अफसोस की बात यह है कि जब पुत्र जवान हो जाते हैं तब वे अपने माता-पिता की सेवा करने की बजाय उन्हें बुढ़ापे में छोड़ कर धक्के मारते आम ही देखे जाते हैं। कुछ इसी तरह का संताप भोग रहा है बुजुर्ग जोड़ा जोगिन्द्र सिंह और बलवंत कौर। 


 आजादी के 72 साल बीतने के बावजूद भी सरहदी गांवों के लोग नरक भरी जिंदगी व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं। ऐसी ही दास्तां है विधानसभा हलका जलालाबाद के अधीन पड़ते सरहदी गांव हजारा राम सिंह वाला में रह रहे बुजुर्ग दम्पति की, जोकि 2 वक्त की रोटी के लिए मोहताज हैं और फाके काटने को मजबूर हैं। इस बुजुर्ग जोड़े की 20 सालों की कहानी देखने से सामने आया है कि उनको 3 पुत्रों ने 20 सालों से बुढ़ापे की हालत में छोड़ दिया है। वे एक तिरपाल की झुग्गी में परमात्मा के भरोसे दिन काट रहे हैं। दूसरी ओर समय-समय पर पंजाब की सत्ता का राजभाग संभालने वाली सरकार की तरफ से चुनाव से पहले अपने चुनावी घोषणा पत्र में गरीब वर्ग के लिए प्राथमिक सहूलियतों में बिजली, पानी, शौचालय, 5 मरले के रिहायशी प्लाट और सेहत सहूलियतें देने के लारे ही लगाए जाते हैं। 

जिंदगी का एक-एक दिन आजाद देश में कटता है गुलामी जैसा : बुजुर्ग
‘पंजाब केसरी’ को अपनी दास्तान पेश करते हुए बुजुर्ग जोगिन्द्र सिंह ने कहा कि पुत्रों के विवाह का सारा कर्ज उसके सिर पर बोझ बन गया था और ज्यादा उम्र होने के कारण उन दोनों में काम करने की शक्ति कम हो गई। उनके पास कोई भी जमीन-जायदाद नहीं थी कि जिसके चलते वे पक्का मकान बना सकें। यहीं बस नहीं, उनके घर के नजदीक बिजली की तार भी नहीं है कि वे पैसे खर्च करके तार खरीद कर किसी से बिजली का इंतजाम कर सकें जिसके चलते वे भीषण गर्मी और कड़ाके की ठंड में बिजली के बिना दिन काटते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी का एक-एक दिन आजाद देश में गुलामी वाला बना हुआ है। बुजुर्ग बलवंत कौर ने बताया कि करीब 5 साल पहले सड़क पर पैर फिसल जाने के कारण उसकी टांग में फै्रक्चर हो गया था परंतु आज तक वह अपना इलाज नहीं करवा सकी है। 

बुढ़ापे में भीख मांगने को मजबूर, कई बार सोना पड़ता है भूखे 
वहीं बुजुर्ग औरत ने बताया कि उसके पति साथ लगते गांव में बुढ़ापे की उम्र में लोगों के घरों से भीख मांगते हैं, जिसके कारण उनके घर का गुजारा चलता है और वे किसी तरह से अपना घर चला रहे हैं। उसने कहा कि सरकार से जो राशन कार्ड बना हुआ है, उससे भी कई-कई महीने राशन न मिलने के कारण कई बार उनको भूखे पेट ही सोना पड़ता है। कई बार पक्का मकान बनाने और माली सहायता देने संबंधी जिला फाजिल्का के डिप्टी कमिश्नर तथा कई राजनीतिक नेताओं से मिलने के बावजूद भी उनकी किसी ने भी सार नहीं ली, जिसके कारण बुजुर्ग जोड़ा अब प्रशासनिक और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को कोस रहा है। वहीं दूसरी ओर बुजुर्ग जोड़ा अपने बच्चों को कोस रहा था। उधर जब बुजुर्ग के बच्चों के साथ बातचीत की गई तो उनके हालात भी आज के समय मुताबिक नाजुक थे और वे भी कच्चे मकानों में दिहाड़ी-मजदूरी कर अपने परिवारों का पालन-पोषण बहुत ही मुश्किल के साथ कर रहे थे। 

क्या कहना है जिलाधीश का
इस मामले संबंधी जिला फाजिल्का के डिप्टी कमिश्नर मनप्रीत सिंह के साथ बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि बुजुर्ग जोड़े का नाम-पता लिखकर हमें भेजें। हमारे द्वारा गांव में टीम भेज कर बनती मदद की जाएगी। 

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