ऐसा तो नहीं था पंजाब, अब मोहल्लों में बिकने लगी लस्सी

punjabkesari.in Tuesday, Apr 17, 2018 - 03:48 PM (IST)

जलालाबाद (गोयल): शायद आपको समाचार का शीर्षक पढ़कर लगे कि यह कौन-सी नई बात है। पिछले लंबे समय से हलवाइयों व अन्य दुकानों पर लस्सी बिकती आ रही है, लेकिन नई बात यह है कि अब लस्सी रेहडिय़ों पर गली-मोहल्लों में दूध की तरह लीटर के भाव में बिकने लगी है। कभी समय था कि दूध बनाते समय छाछ से पैदा हुई लस्सी को लोगों में नि:शुल्क वितरित कर दिया जाता था।

बदल रहा है पंजाब
एक समय था जब पंजाब में दूध, दही और लस्सी की नदियां बहती थीं, लेकिन शायद वह पुराना पंजाब नहीं रहा है। अब पंजाब बदल रहा है। शायद यही कारण है कि गांवों के लोगोंं द्वारा रेहडिय़ों पर लस्सी लाकर गली मोहल्लों में बेचनी शुरू कर दी है। 

रोटी भी तो कमानी है
जलालाबाद के गांव अरनीवाला से गली-मोहल्लों में लस्सी बेचने आने वाले कश्मीर सिंह से जब पूछा गया तो उसका कहना था कि जनाब पेट भी तो पालना है। पेट को रोटी चाहिए। कोई रोजगार का साधन न होने के कारण उसे लस्सी बेचनी पड़ रही है। उसका कहना था कि गांवों में वे जमींदारों के घरों से लस्सी एकत्रित करता है और शहर में आकर 10 रुपए प्रति लीटर बेच देता है।

समय-समय की बात
बड़े बुजुर्गों का कहना है कि कभी पंजाब में लस्सी को बेचना या खरीदना स्वाभिमान के खिलाफ माना जाता था। लोगों द्वारा दूध से पैदा हुई छाछ व लस्सी को खुशी-खुशी से लोगों में वितरित कर दिया जाता था लेकिन शायद वह अब पुराने जमाने की बात हो गई है। 

आधुनिकता ने सिखाई बातें
आज लोगों पर सोशल मीडिया, स्वार्थवाद व आधुनिकता हावी हो रही है। इसी आधुनिकता का नतीजा है कि लोगों में आपसी मोह प्यार कम हो रहा है। आज लोगों द्वारा रेहडिय़ों में लस्सी लाकर बेचना भी आधुनिकता का ही नतीजा है।  

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