अगर आज न संभले तो कल पानी की बूंद-बूंद को तरसेंगे हम

punjabkesari.in Monday, May 21, 2018 - 02:09 PM (IST)

जलालाबाद(गोयल): कुछ वर्षों पूर्व पंजाब में गीत आया था ‘पानी हो गए डूंघे, झोना लाना ही छड्ड देना’। इस गीत को लोगों  ने खूब सुना लेकिन शायद गीत के शब्दों से किसी ने सीख लेने की जरूरत नहीं समझी। आज यही कारण है कि पंजाब जिसे की 5 दरियाओं की धरती कहा जा रहा है, में लगातार पानी की कमी होती जा रही है। अगर अभी पंजाब में पानी के दुरुपयोग को नियंत्रित न किया गया तो आने वाले समय में गंभीर खमियाजा भुगतना पड़ेगा।

सबसे अधिक खपत धान की फसल में पांच दरियाओं की धरती का भूमिगत पानी का स्तर नीचे गिरता दिखाई पड़ रहा है। पंजाब में 80 प्रतिशत पानी खेतों में इस्तेमाल किया जा रहा है तथा 20 प्रतिशत पानी घरेलू व औद्योगिक कार्यों में इस्तेमाल हो रहा है। पानी की सबसे अधिक खपत धान की फसल को तैयार करने में होती है। आंकड़े बताते हैं कि पंजाब के 145 ब्लाकों में 116 ब्लाकों का पानी नीचे जा रहा है। कुछ ब्लाकों की स्थिति बहुत ही गंभीर है। पंजाब में 13 लाख 80 हजार लीटर धरती के नीचे का पानी मोटरों द्वारा खींचा जा रहा है।

फसली चक्र से बाहर निकलने की जरूरत
आज पंजाब का 80 प्रतिशत पानी खेती उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। किसान भी गेहंू व धान की फसल में ही उलझे हुए हैं। अगर किसानों को फसली चक्र से बाहर निकाला जाए और उन्हें अन्य कृषि सहायक धंधे अपनाने के लिए प्रेरित किया जाए तो पानी की काफी हद तक बचत की जा सकती है।

पानी संरक्षण की जरूरत
विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ पंजाब में एक वर्ष में करीब 21.44 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी धरती से निकाला जा रहा है। ऐसे में सभी को एकजुट होकर पानी को संरक्षित करने की जरूरत है। मौजूदा समय में जितना पानी संभालने की जरूरत है, उतना ही पानी को प्रदूषित होने से बचाने की आवश्यकता है।


ऐसे कर सकते हैं पानी की बचत
-सुबह पेस्ट व शेव करते समय पानी मग में लिया जाए न कि टूटी खुली छोड़ दी जाए।
-नहाते समय पानी बाल्टी में लेकर नहाया जाए और गर्मियों में शॉवर का इस्तेमाल न किया जाए।
-पाइप से घर के आंगन को न धोया जाए।
-अगर किसी वाहन को धोना है तो सीधे पाइप की अपेक्षा बाल्टी में पानी डालकर कार अथवा अन्य वाहन की साफ-सफाई करें।
-आर.ओ. का वेस्ट पानी फैंकने की बजाय उसे पौधों को सींचने अथवा घरेलू कार्य में किया जा सकता है।
-पानी की टंकी ओवरफ्लो न होने दी जाए। इससे पानी की बचत के साथ-साथ बिजली भी बचेगी।
-घर में कोई भी टूटी लीकेज नहीं होनी चाहिए।

सभी को आना होगा आगे
सीवरेज व ड्रेनज के पानी की रिसाइक्लिंग की जानी चाहिए। गांवों, शहरों, अस्पतालों व फैक्टरियों के सारे गंदे व प्रदूषित पानी की निकासी भूमिगत नहीं डालनी चाहिए ताकि भूमिगत पानी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके। ऐसे में सभी को संकल्प करना होगा कि वह अपने स्तर पर पानी को दूषित व बर्बाद होने से बचाएगा। अगर सिर्फ पंजाब में ही प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन एक बाल्टी पानी बचाए तो एक दिन में ही करीब पौने 3 करोड़ पानी की बचत की जा सकती है। 

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