मुख्यमंत्री 8 को रखेंगे 206 मैगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता वाले बैराज प्रोजैक्ट का नींव पत्थर

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2019 - 10:15 AM (IST)

पठानकोट (शारदा): पिछले करीब पौने 2 दशक से राष्ट्र की प्रगति में बिजली उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान दे रही रावी दरिया पर निर्मित 600 मैगावाट उत्पादन क्षमता वाली रणजीत सागर बांध परियोजना जो कि निर्माण व चालू होने के बाद अपनी लागत मूल्य से कहीं अधिक बिजली उत्पादन कर चुकी है, की सिस्टर कन्सर्न बांध परियोजना शाहपुरकंडी डैम (बैराज प्रोजैक्ट) जिसकी उत्पादन समर्था 206 मैगावाट है, के निर्माण व कार्य पूरा होने को लेकर लंबे समय से इस पर साढ़ेसाती चलती आ रही थी। कई बार इसमें पेंच फंसने के बाद राज्य सरकार का अपने पड़ोसी राज्य जम्मू-कश्मीर के साथ लंबे समय से बना हुआ गतिरोध अब समाप्त हो गया है। 

जिला प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह 8 मार्च को शाहपुरकंडी डैम के दोबारा से शुरू होने वाले कार्यों का विधिवत रूप से भव्य समारोह में आगाज करने आ रहे हैं। इससे अब उम्मीद बलवती हुई है कि हर प्रकार के अवरोधक हटने के बाद संभवत: इस प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य गति पकड़ेगा तथा फौरी स्तर पर कार्य सिरे चढऩे के बाद यह महत्वपूर्ण प्रोजैक्ट भी बिजली उत्पादन के क्षेत्र में अपना भी अहम योगदान देने की दिशा में अग्रसर हो सकेगा। 

वर्णनीय है कि जब रणजीत सागर बांध परियोजना का निर्माण युद्ध स्तर पर चल रहा था तो उसी दौरान वर्ष 1995 में इसकी सिस्टर कन्सर्न परियोजना बैराज प्रोजैक्ट का नींव पत्थर तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने रखा था। इसके महज 5 वर्षों बाद रणजीत सागर बांध परियोजना पूरी होकर बिजली उत्पादन भी करने लगी वहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे राष्ट्र को समर्पित भी कर दिया। 

रणजीत सागर बांध परियोजना जहां राष्ट्र को समर्पित होने के बाद अब तक 18 वर्षों में भारी बिजली उत्पादन करके यहां अपनी प्रासंगिकता सिद्ध कर चुकी है वहीं इसकी सिस्टर कन्सर्न परियोजना बैराज प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य अब तक 2 दशक से ऊपर की समयावधि बीतने के बाद भी ढंग से शुरू नहीं हो पाया है। अंतत: पिछली गठबंधन सरकार ने इस प्रोजैक्ट को निजी कंपनी को सौंपकर कार्य आगे बढ़ाने की कवायद शुरू हुई परन्तु अभी कार्य आरम्भिक दौर में ही था कि पंजाब का पेंच जम्मू-कश्मीर सरकार से उलझ गया। इससे लंबे समय तक बैराज प्रोजैक्ट का कार्य अधर में लटका रहा तथा समय के साथ इसकी लागत बढ़ती चली गई। लंबा समय बीतने के बाद अंतत: दोनों ही पड़ोसी राज्यों सरकारों ने प्रिंसीपल सचिव स्तर की बैठकें बार-बार करके परस्पर मतभेद सुलझा लिए तथा इसके बाद इसके अगले निर्माण को हरी झंडी मिलने की दिशा में मार्ग प्रशस्त हो सका। 

बैराज प्रोजैक्ट चालू होने पर पाकिस्तान को जाने वाला फालतू पानी रुक सकेगा
वर्णनीय है कि रणजीत सागर बांध परियोजना के निर्माण समय दरिया का पानी रोकने के लिए भारत ने पाकिस्तान को भारी-भरकम राशि अदा की थी परन्तु इस प्रोजैक्ट के निर्माण के बाद आगे निकासी हेतु पानी की पर्याप्त स्टोरेज क्षमता न होने के चलते न तो रणजीत सागर बांध परियोजना के नियमित रूप से चारों यूनिट चल सके तथा न ही पाकिस्तान की ओर जा रहा बहुमूल्य पानी रोका जा सका। इस पानी को रोकने के लिए आगे बैराज प्रोजैक्ट का अस्तित्व में आना नितांत आवश्यक था परन्तु इसके निर्माण को लेकर ही पेंच वर्षों तक फंसा रहा। अब जब इसका दोबारा नींव पत्थर मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह रखने जा रहे हैं तो उम्मीद है कि बैराज प्रोजैक्ट का कार्य तेजी से आगे बढ़ेगा तथा कुछ ही समय में इसका कार्य पूरा होकर इसे भी राष्ट्र को समॢपत करके यहां बिजली उत्पादन के क्षेत्र में भारत और सक्षम होगा, वहीं पाकिस्तान को वर्षों से जा रहा बहुमूल्य पानी भी बैराज प्रोजैक्ट की झील में स्टोर होने से बच सकेगा। वर्णनीय है कि बैराज प्रोजैक्ट को शुरू करने के लिए सांसद जाखड़ ने भी राज्य सरकार के साथ तारतम्य स्थापित करके इसके निर्माण को लेकर अड़चनें दूर करने में सक्रियता दिखाई। 

मुख्यमंत्री के दोनों प्रोजैक्टों के कार्यक्रम को लेकर तैयारियों की मंजूरी मिली: जिला उपायुक्त 
 मुख्यमंत्री के दौरे व उक्त दोनों प्रोजैक्टों को समॢपत किए जाने को लेकर जिला उपायुक्त रामवीर ने पुष्टि करते हुए कहा कि उक्त दोनों ही कार्यक्रमों को लेकर मंजूरी मिल गई है तथा कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर अमलीजामा पहनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सारा प्रशासन कार्यरत है।


 

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