‘किसान आंदोलन से केन्द्र सरकार चिंतित, अमित शाह ने संभाला मोर्चा’

punjabkesari.in Saturday, Nov 28, 2020 - 10:49 AM (IST)

पठानकोट (शारदा): केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानून अब किसान आंदोलन के चलते केन्द्र सरकार के लिए गले की फांस बनते जा रहे हैं। पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर सबसे पहले आवाज बुलंद की है कि ये 3 कानून किसानों के साथ-साथ पंजाब सरकार के लिए भी नुक्सानदायक साबित होंगे। धीरे-धीरे राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे को खूब हवा दी और अंतत: किसानों को यह लगने लगा कि निश्चित रूप में यह कानून मंडी सिस्टम को खत्म कर देगा। 

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इसके चलते पंजाब में किसान आंदोलन शुरू किया गया जिसमें 31 जत्थेबंदियों ने अपने-अपने स्तर पर सड़कों, टोल प्लाजा एवं रेलवे पटरियों पर धरने प्रारम्भ किए। मालवा की कई किसान जत्थेबंदियां कई दशकों से कार्यरत हैं। ये जत्थेबंदियां कैडर बेस हैं और लैफ्ट मूवमैंट से प्रभावित हैं। लैफ्ट हमेशा ही किसानों एवं मजदूरों को एकजुट करने और उसे अपने आधार के रूप में इस्तेमाल करता रहा है। इन किसान जत्थेबंदियों की अपने-अपने आधार क्षेत्र में पकड़ बन चुकी है। इसी का परिणाम है कि इतने सुनियोजित ढंग से आंदोलन चल रहे हैं। ‘दिल्ली चलो’ का नारा भी बहुत सोच-समझकर दिया गया। इसके लिए गांव स्तर पर खूब तैयारियां हुईं। घर-घर जाकर लोगों से राशन एकत्रित किया, फंड की व्यवस्था की, सारा काम इस ढंग से किया कि यह आंदोलन जितना मर्जी लम्बा चले किसान संगठनों को किसी चीज की कमी आती नहीं दिख रही। किसानों के इस आंदोलन का प्रभाव हरियाणा और यू.पी. के किसानों पर पडऩा शुरू हो गया है।

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कांग्रेस शुरू से ही इस आंदोलन के साथ थी, अब धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी और अकाली दल भी इस आंदोलन से जुड़ चुका है। जिस प्रकार से किसान दिल्ली कूच कर गए हैं और केन्द्र सरकार उन्हें बुराड़ी मैदान में प्रदर्शन करने देने के लिए राजी हो गई है, वह इस बात का द्योतक है कि वह इन किसान आंदोलन को लेकर पूरी तरह से चिंतित है। अब इस आंदोलन का मुकाबले व समाधान करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया है। अमित शाह पंजाब से जानकारी एकत्रित कर रहे हैं और उसी के तहत केन्द्र अगली राजनीति बनाएगा। अब सभी की नजरें गृह मंत्री अमित शाह पर टिकी हैं कि वह इसका समाधान कर पाएं।


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