सिविल अस्पताल गुरदासपुर की बैड क्षमता 100, दाखिल मरीजों की संख्या 209

punjabkesari.in Wednesday, Sep 05, 2018 - 11:09 AM (IST)

गुरदासपुर (विनोद): सिविल अस्पताल गुरदासपुर की क्षमता 100 बैड की है जबकि दाखिल मरीजों की संख्या 209 है। इसके विपरीत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों तथा नर्सों की भारी कमी के चलते सिविल अस्पताल में मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आम लोगों की सोच थी कि सिविल अस्पताल के गुरदासपुर शहर से बाहर चले जाने के कारण इस अस्पताल में मरीज नहीं जाएंगे, परंतु हुआ इसके विपरीत है।

क्या कहते हैं सीनियर मैडीकल अधिकारी डा. विजय कुमार

इस संबंधी जब सीनियर मैडीकल अधिकारी डा. विजय कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह ठीक है कि आज के रिकार्ड के अनुसार दाखिल होकर इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या 209 है, जबकि उनके अस्पताल की बैड क्षमता 100 बैड की है। उन्होंने कहा कि इस समय 80 से अधिक तो गायनी वार्ड में महिलाएं दाखिल हैं। जिन मरीजों को दाखिल कर इलाज करवाने की जरूरत होती है, उन्हें ही दाखिल किया जाता है।

उन्होंने बताया कि अधिकांश सेहत सुविधाएं मुफ्त होने के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं, एक्सीडैंट केसों तथा कैंसर पीड़ित मरीजों को मुफ्त खून देने की सुविधा के कारण अस्पताल में भारी भीड़ रहती है। उन्होंने बताया कि उन्होंने बैड, गद्दों व चादरों आदि का प्रबंध कर रखा है जिस कारण मरीजों को तो परेशानी पेश नहीं आ रही है जबकि अभिभावकों को कुछ परेशानी पेश जरूर आ रही है। हमें अस्पताल में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कम से कम 60 चाहिए जबकि उनके पास मात्र 30 हैं। इसी तरह अस्पताल में 70 से अधिक नर्सों की जरूरत है, परंतु उनके पास मात्र 40 हैं। अस्पताल में इस समय रेडियोलॉजिस्ट तथा ई.एन.टी. डाक्टर भी नहीं हैं, इसके बावजूद वे सीमित साधनों से ही बेहतर सेहत सुविधाएं देने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या स्थिति है आज अस्पताल की

सिविल अस्पताल गुरदासपुर बबरी का दौरा करने पर पाया गया कि 4 सितम्बर को अस्पताल में दाखिल होकर इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या 287 थी। कुछ बैड पर 2-2 मरीज लेटे हुए थे जबकि गायनी वार्ड में दाखिल महिलाओं का तो बरामदे में बैड लगा कर इलाज किया जा रहा था जिस कारण मरीजों तथा उनके साथ आए अभिभावकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। मरीजों के इलाज के लिए टैस्ट आदि की राशि जमा करवाने वाले काऊंटर पर भी भारी भीड़ दिखाई दी। सबसे अधिक खराब स्थिति गायनी वार्ड की थी। यहां वार्ड क्षमता से कहीं अधिक महिलाएं दाखिल थीं।

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