पशुओं से अधिक से अधिक दूध प्राप्त करने के लिए अपनाया जा रहा है अमानवीय ढंग

punjabkesari.in Tuesday, Jul 10, 2018 - 04:01 PM (IST)

गुरदासपुर(विनोद): बेशक जिला प्रशासन ने नशों की ओवर डोज से नौजवानों की हो रही मौतों को देखते हुए जिले भर में ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं से अधिक से अधिक दूध प्राप्त करने के चक्कर में जिस तरह से पशु पालक पशुओं को हारमोन के इंजैक्शन लगा रहे हैं उससे आने वाले समय में जहां मानव को भी इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी वहीं पशुधन को भी भारी नुक्सान हो सकता है।

इस मामले में बेशक डेयरी विभाग या सेहत विभाग अभी चुप्पी धारण किए बैठा है। जिला प्रशासन ने बेशक पशुओं से दूध प्राप्त करने वाले टीकों तथा पशुओं को लगाने के लिए प्रयोग होने वाली सीरिंज की बिक्री पर रोक लगा दी है, परंतु यदि इन दोनों विभागों सहित पंजाब सरकार ने इस मामले में ठोस कदम न उठाए तो फिर इस समस्या पर काबू पाना कठिन हो जाएगा।कुछ दिनों से जिला गुरदासपुर सहित पंजाब भर में नशों की ओवर डोज लेने से नौजवानों की हुई मौत में रिकार्ड बढ़ौतरी हुई है। नशों की ओवर डोज के लिए जो सीरिंज प्रयोग की गई थी, वह वही थी जो पशुओं को इंजैक्शन लगाने के लिए प्रयोग की जाती है। 

क्या स्थिति है दूध उत्पादन की
इस समय जितना दूध पंजाब में लोगों को सप्लाई हो रहा है वह पशुओं संबंधी इकट्ठे किए आंकड़ों से कई गुना अधिक है। जिला गुरदासपुर इस मामले में कहीं अधिक आगे है। जिला गुरदासपुर में न तो लोगों के पास बड़े डेयरी फार्म है और न ही सरकारी स्तर पर दूध का उत्पादन करने वाला कोई डेयरी फार्म है परंतु जिला गुरदासपुर में दूध मांग अनुसार मिल रहा है। 

सूत्रों के अनुसार पशु पालक तो इस मामले में पशुओं को कई तरह के इंजैक्शन लगा कर अधिक से अधिक दूध प्राप्त कर ही रहे हैं परंतु सिंथैटिक दूध तैयार कर बाजार में बेचने वालों का भी पूरा बोलबाला है। एक डेयरी माहिर के अनुसार जो इंजैक्शन पशु पालक अपने पशुओं को लगा कर अधिक दूध प्राप्त कर रहे हैं, उस दूध को पीने से लड़कियों पर इसका गहरा असर हो रहा है। इस दूध के पीने से छोटी आयु की लड़कियों में समय से पहले हारमोन में परिवर्तन होने का खतरा बनता जा रहा है। इससे लड़कियों में हीनभावना पैदा हो रही है तथा अभिभावक भी परेशान हैं।

क्यों लगाते हैं यह इंजैक्शन
विशेषज्ञों के अनुसार एक गर्भवती गाय व भैंस से लम्बे समय तक दूध प्राप्त करने के लिए भी पशु पालक इस इंजैक्शन का सहारा ले रहे हैं। इससे पशुओं में पेट की बीमारियों में बढ़ौतरी हो रही है और इस दूध को पीने वाले बच्चों के भी प्रभावित होने का खतरा बना रहता है।  इस तरह के इंजैक्शन ग्रामीण क्षेत्रों में मुनियारी व करियाने की दुकानों से आसानी से मिल जाते हैं। कुछ लोग तो यह भी आरोप लगा रहे हैं कि पशु पालक इस अवैध व अमानवीय धंधे को चलाने के लिए हर माह निश्चित राशि अधिकारियों को देते हैं।

क्या कहते हैं डेयरी विभाग वाले
इस संबंधी डेयरी विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि इस तरह से पशुओं से दूध प्राप्त करने पर रोक लगाने के लिए कोई कानून नहीं है। यही कारण है कि हम सब कुछ जानते हुए भी इस तरह से दूध प्राप्त करने वालों पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं।

बिना रोक-टोक बिक रहा है इसका सामान
पशुओं से अधिक दूध प्राप्त करने के लिए लगाए जाने वाला इंजैक्शन व सीरिंज आम बाजार में मिल जाते थे परंतु पाबंदी के बाद से यह धंधा यहां गुपचुप ढंग से चल रहा है, जो इंजैक्शन पहले 10 रुपए में बिकता था, अब 20 रुपए में मिलता है।

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