किसानों की आर्थिकता पर बोझ बनती है अनावश्यक व महंगी खेती मशीनरी

punjabkesari.in Monday, Mar 09, 2020 - 01:09 PM (IST)

गुरदासपुर (हरमन): पंजाब में किसानों की मंदहाली को दूर करने के लिए जहां अन्य सहायक धंधे अहम भूमिका निभा सकते हैं, वहीं कृषि से संबंधित यंत्र और मशीनरी किराए पर देने का कार्य भी किसानों की कई समस्याओं का समाधान कर सकता है। 

खेती-यंत्रों के साथ जुड़ा कारोबार न सिर्फ किसानों को कर्जे के जाल में से निकालने का रास्ता बन सकता है बल्कि इसके साथ कम जमीनों वाले किसानों को भी खेतों में काम करने के लिए महंगे भाव के यंत्र खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। भारत के उत्तरी प्रांतों में करीब 80 प्रतिशत से ज्यादा जमीन छोटे किसानों के पास है। ऐसे किसान बहुत महंगे ट्रैक्टर और मशीनें नहीं खरीद सकते और यदि वे ऐसा करते हैं तो मशीनरी का पूरा प्रयोग नहीं हो सकता और मशीनरी फायदा देने की बजाय आर्थिक पक्ष से एक बोझ बन जाती है।
 
इस समस्या को देखते हुए सरकार द्वारा किसान सब मिशन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजना के अंतर्गत कस्टम हायरिंग सैंटर खोल कर या किसानों के ग्रुपों को सबसिडी पर मशीनरी देने के लिए प्रयत्न शुरू किए हैं। कस्टम हायरिंग सैंटर विभिन्न तरह की कृषि मशीनरी का एक समूह है, जहां से किसान खेती यंत्र किराए पर लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं। मशीनों को किराए पर चलाने से ग्रामीण नौजवानों और किसानों के लिए गांवों में रोजगार के साधन पैदा होते हैं। 

कृषि कर्ज बढ़ाने का बड़ा कारण है खेती मशीनरी

पिछले कुछ सालों से पंजाब में ट्रैक्टरों, ट्रालियों और अन्य खेती यंत्रों की संख्या में तेजी से बढ़ौतरी हुई। इसके चलते हालात ये बने हुए हैं कि जिन किसानों की जमीन 2 एकड़ तक है, उन्होंने भी अपने ट्रैक्टर खरीद लिए हैं। यहां तक कि कई किसानों ने जमीन कम होने के बावजूद कर्जे लेकर विभिन्न तरह की खेती मशीनरी तो खरीद ली है परन्तु उस मशीनरी का प्रयोग करने की बजाय साल में बहुत समय उसे घरों में खड़ा ही रखा जाता है। ऐसी स्थिति में किसानों पर चढ़े कर्जे और बढ़े हैं।  इस समस्या को देखते हुए सरकार द्वारा किसान सब मिशन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन योजना के अंतर्गत कस्टम हायरिंग सैंटर खोल कर या किसानों के ग्रुपों को सबसिडी पर मशीनरी देने के लिए प्रयत्न शुरू किए हैं। कस्टम हायरिंग सैंटर विभिन्न तरह की कृषि मशीनरी का एक समूह है, जहां से किसान खेती यंत्र किराए पर लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं। मशीनों को किराए पर चलाने से ग्रामीण नौजवानों और किसानों के लिए गांवों में रोजगार के साधन पैदा होते हैं। 

कृषि कर्ज बढ़ाने का बड़ा कारण है खेती मशीनरी

पिछले कुछ सालों से पंजाब में ट्रैक्टरों, ट्रालियों और अन्य खेती यंत्रों की संख्या में तेजी से बढ़ौतरी हुई। इसके चलते हालात ये बने हुए हैं कि जिन किसानों की जमीन 2 एकड़ तक है, उन्होंने भी अपने ट्रैक्टर खरीद लिए हैं। यहां तक कि कई किसानों ने जमीन कम होने के बावजूद कर्जे लेकर विभिन्न तरह की खेती मशीनरी तो खरीद ली है परन्तु उस मशीनरी का प्रयोग करने की बजाय साल में बहुत समय उसे घरों में खड़ा ही रखा जाता है। ऐसी स्थिति में किसानों पर चढ़े कर्जे और बढ़े हैं। 

कम प्रयोग करने पर बेहद महंगी पड़ती है मशीनरी

खेती विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि ट्रैक्टर को 1,000 घंटे और हैप्पी सीडर को 250 घंटों के लिए इस्तेमाल किया जाए तो ट्रैक्टर और हैप्पी सीडर को चलाने का खर्च क्रमवार 652.76 रुपए प्रति घंटा और 153.0 रुपए प्रति घंटा पड़ता है परन्तु यदि ट्रैक्टर को 300 घंटे और हैप्पी सीडर को 30 घंटे ही इस्तेमाल किया जाए तो ट्रैक्टर और हैप्पी सीडर के प्रयोग की लागत 911.76 और 798.30 रुपए प्रति घंटा पड़ती है जबकि ट्रैक्टर 350 से 550 रुपए प्रति घंटा किराए पर मिल जाता है। 

इसी तरह खेत में गेहूं की हैप्पी सीडर और ट्रैक्टर सहित बिजाई की लागत 250 घंटे और 30 घंटे प्रयोग के साथ क्रमवार 1,070 और 2,275 रुपए प्रति एकड़ खर्च होता है जबकि किसान को हैप्पी सीडर के साथ गेहूं की बिजाई किराए पर कराने से 1,200 से 1,500 रुपए प्रति एकड़ खर्च देना पड़ता है। 

बड़ी संख्या में मौजूद हैं खेती यंत्र
 

खेती मशीनरी का नाम   संख्या
ट्रैक्टर    4 50, 213
सीड ड्रिल     141,460
लेजर लैवलर्ज  9030
कम्बाइन हार्वैस्टर     12180
जीरो टिलेज ड्रिल   41, 410
हैप्पी सीडर    11, 241
चौपर/ मलचर    6269
उलटावे हल   14, 469
सुपर एस.एम.एस.  4607
स्टराय रीपर    40, 750
रोटावेटर  40, 248
पावर वीडर 800

 

 


  


 
  


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