बासमती के एक्सपोर्ट पर छाए संकट कारण कृषि विभाग ने कमर कसी

punjabkesari.in Saturday, Jul 21, 2018 - 11:00 AM (IST)

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): पंजाब सहित देश के अन्य राज्यों में पैदा होने वाले बासमती चावलों में रसायनों की मात्रा आने कारण बासमती की एक्सपोर्ट संबंधी गंभीर संकट बन गया है। इस कारण न सिर्फ बासमती के काश्तकारों व कारोबारियों को बड़ी निराशा का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि इससे भमिगत पानी बचाने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई फसली विभिन्नता मुहिम भी प्रभावित हो रही है।

ऐसी स्थिति में पंजाब के कृषि और किसान भलाई विभाग ने बासमती की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले जहरीले रसायनों का प्रयोग रोकने के लिए विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आगाज किया है जिस तहत विभाग के डायरैक्टर और संयुक्त डायरैक्टर सहित अन्य खेती माहिरों द्वारा पंजाब के विभिन्न जिलों में जाकर दवाई विक्रेताओं तथा किसानों को जागरूक किया जाएगा। 

एक्सपोर्ट में बड़ी गिरावट
वर्णनीय है कि भारत दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा बासमती सप्लाई करने वाला देश है। दुनिया की कुल बासमती की पैदावार का 70 प्रतिशत हिस्सा भारत व पाकिस्तान में पैदा होता है। भारत तकरीबन 40 लाख टन बासमती चावल विभिन्न देशों में भेजता है जबकि 20 लाख टन चावल की खपत यहां ही हो जाती है परन्तु पिछले कुछ समय से भारत में तैयार होते बासमती चावलों में जहरीले तत्वों की मात्रा बढने के कारण विदेशों द्वारा बासमती खरीदने से इन्कार करना शुरू कर दिया गया है। नतीजे के तौर पर बासमती के एक्सपोर्ट में बड़ी गिरावट आ गई है। 

5 जहरीले कीटनाशक बने बड़ी समस्या
बासमती के चावलों में सबसे ज्यादा प्रभाव एसीफेट, कारबैंडाजिम, थाईओमैथाक्सम, ट्राईजोफास तथा ट्राईसाईकलाजोल तत्वों का प्रयोग हो रहा है। इसके चलते कृषि विभाग ने इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए पंजाब में बासमती पैदा करने वाले 6 जिलों गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर तथा फाजिल्का में 21 जुलाई से विशेष मुहिम शुरू की है।

खतरनाक दवाइयों का प्रयोग रोकेंगे : बैंस
कृषि व किसान भलाई विभाग के डायरैक्टर जसबीर सिंह बैंस ने बताया कि इन 6 जिलों के डीलरों के साथ वह खुद बैठकें करने के लिए जा रहे हैं। इस दौरान दवा विक्रेताओं के अलावा किसानों को जागरूक करके उपरोक्त  5 जहरीली दवाइयों  के प्रयोग पर रोक लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि फसली विभिन्नता लाने के लिए बासमती बहुत ही उचित फसल है, जिसकी काश्त कर किसान अच्छी कमाई भी कर सकते हैं तथा पानी की बचत भी हो सकती है।

swetha