पहले नसीब नहीं होती थी रसोई गैस, अब खपतकारों को ढूंढने के लिए मजबूर एजैंसियां

punjabkesari.in Tuesday, Oct 15, 2019 - 01:47 PM (IST)

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): करीब 10 साल पहले गैस की किल्लत से जूझने वाले लोग गैस एजैंसियों के कर्मचारियों को मिन्नतें करते थे। लेकिन अब गैस एजैंसियों की संख्या में हुई वृद्धि ने इनके कारोबार को इतना झटका दे दिया है कि ये गांव-गांव जाकर खपतकारों को ढूंढने के लिए मजबूर हो चुकी हैं। गौरतलब है कि एक दशक पहले सर्दियों के दिनों में गैस की मांग बढ़ने के कारण विभिन्न ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की एजैंसियों के सामने रात के समय ही गैस की पर्ची कटवाने वाले खपतकारों की लाइनें लग जाती थीं, लेकिन अब स्थिति यह बन चुकी है कि गैस एजैंसियों की गाड़ियां गांव-गांव जाकर सप्लाई करने के लिए ग्राहकों के इंतजार में लगी रहती हैं।

नई योजना के चलते धड़ा-धड़ खुली एजैंसियां
इस संबंधी एक गैस एजैंसी के मालिक ने बताया कि 1979 में गुरदासपुर में सिर्फ एक गैस एजैंसी खुली थी जिसके बाद 1994 में जिला हैडक्वार्टर पर गुरदासपुर गैस एजैंसी को प्रवानगी मिली और 1997 में ज्वाला जी गैस एजैंसी शुरू हुई थी। ये 3 गैस एजैंसियां गुरदासपुर सहित दूर-दूराज के कई गांवों के खपतकारों को गैस मुहैया करवाती थीं जिसके अंतर्गत हालात ये बन जाते थे कि कई लोगों को फालतू पैसे देकर गैस खरीदनी पड़ती थी और गैस की पर्ची कटवाने के लिए पूरा-पूरा दिन लाइन में लगना पड़ता था परन्तु करीब 9 साल पहले यू.पी.ए. सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में गैस की सप्लाई बढ़िया करने के लिए राजीव गांधी गैस ग्रामीण वितरण योजना बनाई थी जिसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में भी कई गैस एजैंसियों को प्रवानगी दे दी गई। 

51 तक पहुंच चुकी है जिले में गैस एजैंसियों की संख्या
इसके नतीजे के तौर पर स्थिति यह बन चुकी है कि केवल गुरदासपुर में ही 6 के करीब गैस एजैंसियां हैं जबकि पूरे जिले में इस दौरान गैस एजैंसियों की संख्या 46 हो चुकी है। इसके अलावा पुलिस, बी.एस.एफ. और आर्मी की 5 एजैंसियों की संख्या मिला कर कुल संख्या 51 तक पहुंच चुकी है। 

अब बड़ी राहत महसूस कर रहे खपतकार
नई एजैंसियां खुलने से पहले ग्रामीण क्षेत्र के लोग परेशान होते थे परन्तु अब तिब्बड़, तिब्बड़ी, सोहल, नानोवाल, काहनूवान, दोरांगला, झबकरा सहित पूरे जिले में शायद ही कोई ऐसा कस्बा होगा जहां गैस एजैंसी न खुली हो और या फिर एजैंसी की गाड़ी की सीधी सप्लाई न हो। यहां तक कि अब हरेक एजैंसी द्वारा ग्राहकों तक पहुंच कर हफ्ते में कम से कम 2 या 3 बार गांवों में ही सिलैंडरों की गाड़ियां भेजी जाती हैं ताकि गैस एजैंसियों के खपतकार किसी अन्य एजैंसियों की ओर न जाएं।

ऑनलाइन प्रक्रिया व सबसिडी ने रोकी गैस की कालाबाजारी
एन.डी.ए. सरकार द्वारा गैस की सबसिडी सीधी बैंक खातों में देने के फैसले को 100 प्रतिशत लागू कर दिए जाने के कारण भी गैस की कालाबाजारी रुक गई है जिस कारण गैस की किल्लत खत्म हो चुकी है। यहां तक कि जो गैस एजैंसियों के गोदाम गैस आने से पहले ही खाली हो जाते थे, उनमें अब कई-कई सिलैंडर भरे रहते हैं। और तो और अब एजैंसी बदलने और गैस बुक करवाने का सारा काम ऑनलाइन हो जाने के कारण भी खपतकारों ने राहत महसूस की है।

Edited By

Sunita sarangal