कई जिलों में बारिश का कहर, सूखे जैसी स्थिति से जूझ रहा गुरदासपुर

punjabkesari.in Saturday, Jul 20, 2019 - 01:03 PM (IST)

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): देश के विभिन्न भागों के अलावा पंजाब के मालवा क्षेत्र में बारिश के पानी के कहर के विपरीत इस वर्ष गुरदासपुर जिले में पिछले वर्ष के मुकाबले 41 फीसदी बारिश कम हुई है। भले ही पिछले दिनों में हुई बारिश से लोगों को गर्मी से तो कुछ राहत मिली है, लेकिन इस वर्ष बारिश कम होने से स्थिति यह बन गई है कि जो इलाके बारिश के दिनों में पानी से डूब जाते थे, उन इलाकों में हाल की घड़ी सूखे जैसी स्थिति है। एकत्र विवरण अनुसार गुरदासपुर जिले में किसानों को गन्ने की फसल को सूखने से बचाने हेतु बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है और धान की फसल को बचाने के लिए भी पानी की कमी पूरी करने के लिए कई तरीके अपनाने पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में इस जिले के लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे हैं।

सूखे व बाढ़ की मार से जूझते हैं कई लोग
जिले में बेट इलाकों के कई गांव ऐसे हैं, जिनमें अब सूखे की मार पड़ रही है, लेकिन जब एक बार इन इलाकों में बारिश हो जाती है तो बाद में यह इलाके पानी की मार में आकर इतनी बुरी तरह से प्रभावित हो जाते हैं कि कई बार फसलें पूरी तरह से तबाह हो जाती हैं। विशेषकर दोरांगला, काहनूवान, कलानौर ब्लाक के कई इलाके इस समस्या से प्रभावित है।
पिछले वर्ष 19 जुलाई तक हुई थी 153.1 एम.एम. बारिश

एकत्र विवरण अनुसार पिछले वर्ष 19 जुलाई तक इस जिले में 153.1 एम.एम बारिश हुई थी, लेकिन इस वर्ष सिर्फ 62.6 एम.एम. बारिश हुई है। अगर पिछले महीनों के आंकड़ों को देखा जाए तो इस वर्ष के शुरू में गुरदासपुर जिले में हुई बारिश ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए थे। पिछले वर्ष जनवरी और फरवरी महीनों के दौरान क्रमवार 24.5 और 71.7 फीसदी बारिश हुई थी, लेकिन इस वर्ष जनवरी महीने में 112.3 और फरवरी 210.4 फीसदी बारिश हुई थी। इस बारिश के बाद फिर किसी भी महीने भारी वर्षा नहीं हुई। जिसके चलते मार्च महीने 13.8, अप्रैल महीने 18.2, मई महीने 15.7 और जून महीने 31.7 फीसदी बारिश ही हुई है। पिछले वर्ष इन महीनों में काफी अधिक वर्षा हुई थी। जिसके चलते मार्च में 21.4, अप्रैल में 25.5, मई महीने 8.1, जून महीने 99.9 फीसदी वर्षा हुई थी।

किसानों के लिए बारिश बनी सिरदर्दी
बारिश कम होने से सबसे बड़ी सिरदर्दी किसानों के लिए बनी हुई है, क्योंकि इस समय गन्ने की फसल को पानी की अधिक जरूरत होने से किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं। इसी तरह खेतों में लगे धान में पानी की पूॢत हेतु किसानों को पूरी तरह ट्यूबवैल पर निर्भर होना पड़ रहा है, लेकिन जिन इलाकों में ट्यूबवैल कम हैं और न ही नहरी पानी की सुविधा है, उन इलाकों में किसानों को बारिश के पानी से बड़ी उम्मीदें होती हैं, लेकिन बारिश कम होने से किसानों को रोजाना 20-20 घंटे डीजल पंप चलाने पड़ रहे हैं। इसके बावजूद किसानों के खेतों में पानी पूरा नहीं हो रहा।

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