मामूली लापवाही से बड़ी सिरदर्दी बन जाती है टीनिया (ददरी)

punjabkesari.in Saturday, Oct 20, 2018 - 04:43 PM (IST)

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): चमड़ी से संबंधित अहम समस्या टीनिया को कई नामों से जाना जाता है। इसको देहाती क्षेत्र में दाद (ददरी) भी कहा जाता है, जबकि डाक्टरी भाषा में इसे रिंग वर्म के नाम से भी जाना जाता है। यह समस्या करीब प्रत्येक आयु के लोगों में देखने को मिलती है। इसका मुख्य कारण उल्ली की इन्फैक्शन होता है। इस समस्या से बचने के लिए सबसे जरूरी बातों की जानकारी न होने के कारण अधिकतर लोग ददरी से पीड़ित हो जाते हैं। समय पर इसकी रोकथाम न होने पर यह शरीर के अन्य भागों को लपेट में ले लेती है।

ददरी होने के कारण
गुरदासपुर के चर्म रोगों के माहिर डा. रविन्द्र सिंह ने बताया कि टीनिया एक उल्ली की इन्फैक्शन वाला चर्म रोग है। उन्होंने कहा कि यह समस्या शरीर के कई भागों में होती है और विभिन्न भागों में इसके भिन्न-भिन्न नाम हैं। उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति इस समस्या से पीड़ित हो जाता है तो उसके संपर्क में आने वाले अन्य लोग भी आसानी से इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति के कपड़े, तौलिया या फिर अन्य चीजों का प्रयोग करने वाले लोग भी ददरी का शिकार हो जाते हैं। बच्चों व जवानों को यह समस्या काफी होती है, क्योंकि इस वर्ग के लोग अक्सर अपने कपड़े एक-दूसरे के साथ बदल कर पहन लेते हैं। आमतौर पर गीले कपड़े पहनने या फिर शरीर के किसी भी हिस्से पर किसी गीले कपड़े अथवा अन्य कारणों से गीलापन रहने से भी यह समस्या पेश आती है।

लक्षण व नुक्सान
ददरी की समस्या पैरों व अंगुलियों के बीच होने के अलावा बालों व शरीर के किसी अन्य हिस्से में हो सकती है। शुरुआत में ददरी होने से शरीर पर लाल या चमड़ी के रंग के गोल धब्बे पड़ जाते हैं जो एक रिंग के रूप में दिखाई देते हैं। बाद में यह धब्बे बाहरी हिस्से की ओर फैलने शुरु हो जाते हैं और जब मरीज नाखून से खुजलाता है तो यह आगे बढऩे शुरु हो जाते हैं। सिर पर यह समस्या होने पर कई बार प्रभावित जगह पर सिर के बाल एक गोल हिस्से से पूरी तरह से गायब हो जाते हैं और कई बार उस जगह पर पीप भी पड़ जाती है। यदि हाथों व पैरों की अंगुलियों में यह समस्या आ जाए तो अंगुलियों के बीच वाली जगह का रंग सफेद हो जाता है और उक्त भाग गल जाता है। कई बार उस जगह पर चीरा भी आ जाता है।

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