शाहपुर कंडी डैम का निर्माण कार्य बंद, सरकार को करोड़ों का नुक्सान

punjabkesari.in Thursday, Jun 07, 2018 - 11:34 AM (IST)

गुरदासपुर(स.ह.): शाहपुर कंडी डैम बेराज प्रोजैक्ट का निर्माण कार्य शुरू करवाने के लिए पंजाब सरकार, मजदूर संगठनों सहित केन्द्र सरकार ने कई साल लगातार मेहनत की थी। उस शाहपुर कंडी डैम का निर्माण कार्य 1 सितम्बर, 2014 से बंद पड़ा है। इसके चलते सरकार को करोड़ों रुपए का प्रतिदिन नुक्सान हो रहा है। पंजाब में बिजली संकट भी बना हुआ है।

इस संबंधी बेशक झगड़ा जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ चल रहा था, परंतु जम्मू-कश्मीर सरकार से समझौता होने के बाबजूद पंजाब सरकार शाहपुर कंडी डैम का निर्माण कार्य शुरू नहीं करवा पाई है। इस कारण लगभग 2300 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले इस डैम पर अब तक लगभग 600 करोड़ रुपए खर्च हो चुका है जो अब बर्बाद होता दिखाई दे रहा है। उक्त डैम का निर्माण कार्य पूरा किए बिना पंजाब में बिजली संकट समाप्त होना असम्भव है। 

वैसे तो शाहपुर कंडी डैम का निर्माण भी रणजीत सागर डैम के साथ ही साल 2000 मे पूरा हो जाना चाहिए था, परंतु तब पंजाब सरकार ने रणजीत सागर डैम को प्राथमिकता देकर शाहपुर कंडी डैम का निर्माण दूसरे फेज में पूरा करने का निर्णय लिया था। डैम का निर्माण कार्य एक प्राइवेट कम्पनी को ठेके पर देने के बावजूद भी पूरा न होने पर कई तरह के प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। कम्पनी के साथ हुए समझौते के अनुसार यदि कम्पनी डैम निर्माण का काम निर्धारित समय में पूरा नहीं करती तो उसे प्रतिदिन 1 करोड़ रुपए का जर्माना अदा करना होगा। इसी तरह यदि विभाग की कार्रवाई के कारण निर्माण में देरी होती है तो विभाग को प्रतिदिन 1 करोड़ रुपए कम्पनी को जुर्माना अदा करना होगा परंतु अब मामला कुछ और ही बना हुआ है।

शाहपुर कंडी डैम का इतिहास 
शाहपुर कंडी डैम बनाने के लिए पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर की भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इस डैम के निर्माण के लिए अधिकतर भूमि जम्मू-कश्मीर सरकार से ली गई है जिसके चलते डैम, पावर हाऊस आदि जम्मू-कश्मीर की भूमि पर बनाने का फैसला किया गया। इस संबंधी पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर सरकारों के बीच जो वर्ष 1979 में समझौता हुआ था उसके अनुसार शाहपुर कंडी डैम के निर्माण के बाद यहां से जम्मू तक बनाई हाई लैवल नहर के माध्यम से कृषि कार्यों के लिए पानी इसी डैम से उपलब्ध करवाया जाना है तथा कुल बिजली उत्पादन का 20 प्रतिशत हिस्सा जम्मू-कश्मीर सरकार को लागत कीमत पर मिलना है।

20 अप्रैल, 1995 में उस समय के प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने शाहपुर कंडी डैम का नींव पत्थर रखा था। जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने इलाके में जम्मू तक हाई लैवल नहर का निर्माण करवा रखा है पंरतु शाहपुर कंडी डैम के न बनने के कारण यह नहर बेकार हो गई है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने विवाद पैदा कर शाहपुर कंडी डैम का अपने राज्य की भूमि पर चल रहे निर्माण कार्य को सितम्बर 2014 में बंद करवा दिया था तब जम्मू-कश्मीर सरकार ने आरोप लगाया था कि डैम का निर्माण कार्य 36 साल में भी पूरा न होने के कारण उन्हें बहुत बड़ा आर्थिक नुक्सान हुआ है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने इलाके में बन रहे शाहपुर कंडी डैम के हैड वक्र्स, पावर हाऊस तथा डैम आदि का निर्माण कार्य बंद करवा दिया था तथा वहां पर पुलिस तैनात कर दी थी।

तब जम्मू-कश्मीर सरकार यह कहती थी कि वह अब अपने स्तर पर ही डैम का निर्माण करेगी तथा पंजाब को कुछ हिस्सा नहीं दिया जाएगा परंतु दोनों राज्यों के बीच कई स्तर पर चली बातचीत के बाद 24 अप्रैल, 2017 को दोनों राज्यों के बीच समझौता हो गया था तथा जम्म-कश्मीर सरकार ने पंजाब सरकार को डैम का निर्माण कार्य शुरू करने की इजाजत दे दी थी पंरतु इसका निर्माण न कर पंजाब सरकार राज्य में बिजली संकट को बर्दाश्त कर हजारों करोड़ रुपए का नुक्सान बर्दाश्त कर रही है जबकि सरकार को भी पता है कि जब तब शाहपुर कंडी डैम का निर्माण कार्य पूरा नहीं होता तब तक रंजीत सागर डैम से भी पूरी क्षमता 600 मैगावाट बिजली उत्पादन प्राप्त करना कठिन है।

डैम के निर्माण संंबंधी न तो केन्द्र और न ही पंजाब सरकार गंभीर : मजदूर संगठन 
इस संबंधी कर्मचारी संगठन इंटक के जिला प्रधान ज्ञान चन्द लूम्बा, डैम प्रधान विजय कुमार, महासचिव प्रवीन चोपड़ा ने आरोप लगाया कि शाहपुर कंडी डैम के निर्माण संबंधी न तो केन्द्र और न ही पंजाब सरकार गंभीर है। पहले तो कहा जाता था कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने काम बंद करवा दिया है। अब यह बहाना भी समाप्त हो गया है। सभी जानते हैं कि जब तक शाहपुर कंडी डैम का निर्माण कार्य पूरा नहीं होता तब तक रणजीत सागर डैम से पूरी क्षमता में बिजली उत्पादन प्राप्त नहीं किया जा सकता। रणजीत सागर डैम 600 मैगावाट क्षमता का है जबकि शाहपुर कंडी डैम जो पहले 160 मैगावाट का बनना था अब 206 मैगावाट क्षमता का बनाने की योजना है। 

रिटायर हो चुके अधिकारियों की जयदाद की हो जांच 
 लूम्बा ने आरोप लगाया की डैम पर कुछ अधिकारी पंजाब सरकार की छवि खराब करने की साजिश रच रहे हैं तथा बीते 2 माह का कर्मचारियों को वेतन न मिलना इस बात का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि रणजीत सागर डैम से रिटायर हो चुके अधिकारियों की जयदाद की जांच करवाई जानी चाहिए। यह करोड़ों रुपए यहां से हेराफेरी कर ले गए हैं। सरकार कर्मचारियों की वेतन राशि भेज रही है परंतु ये अधिकारी कर्मचारियों को परेशान कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वह इस मामले का समाधान कर शाहपुर कंडी डैम का निर्माण जल्द पुन: शुरू करवाएं। यदि सरकार ने तुरंत समाधान न किया तो वह अन्य मजदूर संगठनों को साथ लेकर सरकार के विरुद्ध संघर्ष शुरू करेंगे।

क्या कहते हैं शाहपुर कंडी डैम के अधिकारी
इस संबंधी जब शाहपुर कंडी डैम के एक्सियन सुधीर गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि 1 सितम्बर, 2014 से डैम निर्माण का काम जम्मू-कश्मीर सरकार ने बंद करवा दिया था तथा हमें इस इलाके में नहीं जाने दिया जाता था। हम अपने इलाके में नहर आदि का निर्माण करवा रहे हैं परंतु जब तक डैम निर्माण का काम शुरू नहीं होता तब तक मुश्किल बनी हुई है। अब मात्र 500 कर्मचारी ही हमारे पास हैं। इस डैम का निर्माण जनवरी 2013 में शुरू हुआ था जबकि केन्द्र सरकार ने इसकी मंजूरी 2008 में दी थी। अब जब जम्मू-कश्मीर सरकार से समझौता हो चुका है तो इस डैम का निर्माण कार्य शुरू हो जाना चाहिए परंतु यह निर्णय पंजाब सरकार ने लेना है।

इस डैम से पंजाब के कुछ हिस्सों को सिंचाई कार्यों के लिए पानी उपलब्ध करवाने के लिए 90 करोड़ रुपए खर्च कर नहर का निर्माण भी लगभग पूरा हो चुका है। कर्मचारियों को वेतन न मिलने संबंधी उन्होंने बताया कि रंजीत सागर डैम पर लगभग 3000 तथा शाहपुर कंडी डैम पर लगभग 500 कर्मचारी काम कर रहे हैं परंतु केन्द्र तथा पंजाब सरकार के आदेश पर सभी सरकारी कर्मचारियों को रिकार्ड इलैक्ट्रॉनिक्स ह्यूमन रिसोॢसस मैनेजमैंट (ई.एच.आर.एम) के माध्यम से करने के लिए कर्मचारियों का सारा रिकार्ड, सर्विस बुक आदि कम्प्यूटराइज्ड किया जा रहा है जिस कारण बीते 2 माह का कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है परंतु यह सारा काम एक सप्ताह में पूरा कर लिया जाएगा।

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