शाहपुरकंडी डैम के 800 कर्मचारियों को 3 माह से नहीं मिला वेतन

punjabkesari.in Tuesday, Aug 14, 2018 - 09:27 AM (IST)

गुरदासपुर(विनोद): रणजीत सागर डैम की सहयोगी परियोजना शाहपुरकंडी डैम पर तैनात लगभग 800 कर्मचारियों को बीते 3 माह का वेतन न मिलने के कारण यहां इन कर्मचारियों को अपना परिवार चलाना कठिन हो गया है, वहीं डैम के बंद पड़े निर्माण कार्य में धनाभाव के चलते पुन: निर्माण कार्य शुरू होने पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। इस निर्माणाधीण डैम पर तैनात कर्मचारी डैम के निर्माण कार्य के शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं, क्योंकि अब जम्मू-कश्मीर सरकार से भी डैम निर्माण को लेकर समझौता हो चुका है, परंतु उसके बावजूद डैम का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो रहा है। अधिकारी भी वेतन न देने का कोई ठोस जवाब नहीं दे रहे हैं जिस कारण डैम के कर्मचारी संघर्ष का रास्ता अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। 

सितम्बर 2014 से बंद पड़ा है निर्माण कार्य
जिस राष्ट्रीय महत्व के शाहपुरकंडी डैम बैराज प्रोजैक्ट का निर्माण शुरू करवाने के लिए पंजाब सरकार, मजदूर संगठनों सहित केन्द्र सरकार ने कई साल लगातार मेहनत की थी, उसका निर्माण कार्य 1 सितम्बर 2014 से बंद पड़ा है। इस संंबंध में बेशक झगड़ा जम्मू-कश्मीर सरकार के साथ चल रहा है, परंतु इस विवाद को समाप्त करवाने के लिए न तो केन्द्र और न ही पंजाब सरकार गंभीर दिखाई देती है, जिस कारण लगभग 3000 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले डैम जिस पर सरकार का अब तक लगभग 425 करोड़ रुपए खर्च हो चुका है, वह बर्बाद होता दिखाई देता है। इस शाहपुरकंडी डैम का निर्माण कार्य एक निजी कम्पनी को ठेके पर देने के बावजूद अभी तक इस डैम के पूरा होने पर कई तरह के प्रश्नह्नि लग रहे हैं। 

पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर की सरकारों के बीच 1979 में हुआ था समझौता
जानकारी के अनुसार शाहपुरकंडी डैम बनाने के लिए पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर राज्य की भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इस डैम के निर्माण के लिए अधिकतर भूमि जम्मू-कश्मीर सरकार से ली गई है, जबकि डैम, पावर हाऊस, हैडवक्र्स आदि सभी कुछ जम्मू-कश्मीर राज्य की भूमि पर बनाया जाना है।

इस डैम के निर्माण संबंधी पंजाब तथा जम्मू-कश्मीर की सरकारों के बीच जो वर्ष 1979 में समझौता हुआ था, के अनुसार शाहपुरकंडी डैम के निर्माण के बाद यहां से जम्मू तक बनाई हाई लैवल नहर के माध्यम से कृषि कार्यों के लिए पानी उपलब्ध इसी डैम से करवाया जाना है तथा कुल बिजली उत्पादन का 20 प्रतिशत हिस्सा जम्मू-कश्मीर सरकार को मुफ्त मिलना है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने इलाके में जम्मू तक हाई लैवल नहर का निर्माण करवा रखा है, परंतु शाहपुरकंडी डैम के न बनने के कारण यह नहर बेकार हो गई है।

36 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ कार्य, जम्मू-कश्मीर सरकार ने जताई नाराजगी
जम्मू-कश्मीर सरकार अब इस बात को लेकर विवाद पैदा कर रही है कि शाहपुरकंडी डैम के निर्माण कार्य 36 साल में भी पूरा न होने से उन्हें बहुत बड़ा आॢथक नुक्सान हुआ है। इस बात को लेकर जम्मू-कश्मीर सरकार ने अपने इलाके में बन रहे शाहपुरकंडी डैम के हैड वक्र्स,पावर हाऊस तथा डैम आदि का निर्माण कार्य बंद करवा दिया था तथा वहां पर पुलिस तैनात कर दी थी। जम्मू-कश्मीर सरकार अब यह कह रही है कि वह अब अपने स्तर पर ही डैम का निर्माण करेगी तथा पंजाब को कुछ नहीं दिया जाएगा। जिस स्थान पर इस समय शाहपुरकंडी डैम का निर्माण किया जा रहा है वह जमीन लगभग सारी ही जम्मू-कश्मीर सरकार की है तथा उसी स्थान पर जम्मू-कश्मीर सरकार अपने स्तर पर डैम बनाने की बात कर रही है, जबकि अभी तक इस सारे काम का टैंडर 687 करोड़ का हुआ था और पंजाब सरकार इस पर लगभग 90 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।

क्या कहना है मजदूर संगठनों का

इस संबंधी कर्मचारी संगठन सीटू के चेयरमैन नत्था सिंह तथा इंटक के चेयरमैन ज्ञान चंद लूम्बा ने आरोप लगाया कि शाहपुरकंडी डैम के कर्मचारियों को 3 माह से वेतन न दिया जाना यह स्पष्ट करता है कि पंजाब सरकार दिवालिया हो चुकी है तथा इसके पास कर्मचारियों के वेतन के लिए भी धन नहीं है। उन्होंने धमकी दी है कि यदि कर्मचारियों के वेतन संबंधी तुरंत निर्णय न हुआ तो 15 अगस्त को डैम पर चीफ इंजीनियर को राष्ट्रीय ध्वज फहराने नहीं दिया जाएगा। 

इन नेताओं ने आरोप लगाया कि शाहपुरकंडी डैम निर्माण संंबंधी न तो केन्द्र और न ही पंजाब सरकार गंभीर है। पंजाब सरकार यह जानती है कि जब तक शाहपुरकंडी डैम का निर्माण कार्य पूरा नहीं होता तब तक रणजीत सागर डैम से पूरी क्षमता में बिजली प्राप्त नहीं की जा सकती। रणजीत सागर डैम 600 मैगावाट क्षमता का है जबकि शाहपुरकंडी डैम जो पहले 160 मैगावाट का बनना था, वह अब 206 मैगावाट क्षमता का बनाने की योजना है। जो सरकार कर्मचारियों को 3 तीन माह से वेतन नहीं दे पा रही है वह 3000 करोड़ रुपए की लागत वाला शाहपुरकंडी डैम का निर्माण कैसे करवाएगी। इस डैम के निर्माण पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।

सरकार से नहीं मिल रहा संतोषजनक उत्तर : अधिकारी

इस संबंधी शाहपुरकंडी डैम के सुपरिंटैंडैंट इंजीनियर सुधीर गुप्ता ने स्वीकार किया कि पहले तो हमें यह कहा जाता रहा कि जब तक सभी कर्मचारियों को ऑनलाइन नहीं किया जाता तब तक वेतन जारी नहीं होगा। यह काम काफी समय पहले ही पूरा हो चुका है, परंतु उसके बावजूद 3 माह से कर्मचारियों का वेतन सरकार रिलीज नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रतिमाह लगभग 3 करोड़ रुपए वेतन कर्मचारियों का बनता है। कर्मचारियों को वेतन अदा करने के लिए तुरंत 9 करोड़ रुपए की जरूरत है, परंतु सरकार कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रही है जिस कारण हमें भी कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

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