‘पराली न जलाने वाला पठानकोट चौथी बार बना पंजाब का पहला जिला’

punjabkesari.in Friday, Nov 15, 2019 - 09:32 AM (IST)

 पठानकोट(शारदा, आदित्य): पराली को खेतों में न जलाने संबंधी जिला प्रशासन व कृषि विभाग की ओर से की गई अपीलों का असर जिले में प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल रहा है। इसके परिणाम स्वरूप किसानों ने खेतों में पराली न जलाकर बड़ी मात्रा में प्रदूषण पैदा होने से बचाया है। इससे पराली न जलाने के मामले में पठानकोट पहला जिला बना गया है। इन बातों का प्रकटावा जिला उपायुक्त श्री रामवीर ने इस संबंध में जिला प्रबंधकीय काम्पलैक्स में रखे गए कार्यक्रम के दौरान दिया। 

 कार्यक्रम के दौरान जिन 570 किसानों ने पराली को आग नहीं लगाई उन्हें सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अतिरिक्त जिला उपायुक्त (ज) अभिजीत कपलिश, एस.डी.एम. अर्शदीप सिंह, डी.डी.पी.ओ. परमपाल सिंह, कृषि अधिकारी डा. हरिन्द्र सिंह बैंस, डा. अमरीक सिंह, सहायक लोक सम्पर्क अधिकारी राम लुभाया उपस्थित थे। जिला उपायुक्त ने बताया कि जिले अंदर करीब 27 हजार हैक्टेयर रकबे पर धान की फसल की काश्त की जाती है जिसमें 80 हजार मीट्रिक टन धान की पैदावार होती है, वहीं एक लाख 5 हजार मीट्रिक टन पराली पैदा होती है।

पराली को खेतों में जलाने पर बढ़ी मात्रा में प्रदूषण फैलता है जिससे पर्यावरण को खतरा पहुंचता है। जिले अंदर 9 पराली को आग लगाने के मामले पिछले साल दर्ज किए गए थे। वहीं पिछले दिनों 2 गांवों में पराली को आग लगाने के मामले सामने आए थे। जिन किसानों ने आग लगाई थी उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की, वहीं आग लागने की सूचना प्रशासन को न देने के लिए दोष के तहत सरपंच मुअत्तल कर दिया गया। उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से चलाई गई मुहिम के तहत जिले अंदर किसानों ने पराली को न जलाकर पशु पालकों विशेषकर गुज्जर भाइचारे को 4200 रुपए प्रति हैक्टेयर के हिसाब के साथ बेचकर आय में बढ़ौतरी की है। उन्होंने बताया कि इस बार 10 मशीनरी बैंक स्थापित करके किसानों को 80 प्रतिशत सबसिडी उनके खातों में डाल दी गई है। 

swetha